बिहार बोर्ड परीक्षा 2022: इंटरमीटिएट में छात्रों ने छोड़ दी साइंस, किशनगंज में कला संकाय से परीक्षा देंगे 8 हजार से ज्यादा छात्र
बिहार बोर्ड परीक्षा 2022 में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इंटरमीडिएट के छात्र विज्ञान संकाय में कम रुचि लेते दिखाई दे रहे हैं। ये आंकड़ा सिर्फ किशनगंज का है। जहां 8 हजार से ज्यादा छात्रों ने कला संकाय चुना।
संवाद सहयोगी, किशनगंज : केंद्र और राज्य सरकार द्वारा विज्ञान विषय के प्रति रूझान बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिससे कि स्कूलों में अध्ययनरत बच्चे अन्य विषय के साथ विज्ञान विषय की पढ़ाई में विशेष ध्यान दे। सरकार द्वारा इंस्पायर अवार्ड और बाल विज्ञान कांग्रेस सहित कई अन्य कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लेकिन सरकार के तमाम कोशिश के बावजूद भी जिला के विद्यार्थी विज्ञान विषय में कम रुचि लेते हैं।
बताते चलें कि बिहार बोर्ड परीक्षा 2021 के इंटरमीडिएट परीक्षा में 9,557 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इनमें से विज्ञान संकाय में केवल 1,035 परीक्षार्थी शामिल थे। अब बिहार बोर्ड परीक्षा 2022 में होने वाले इंटरमीडिएट परीक्षा में कुल 9,900 परीक्षार्थी शामिल होंगे। इस वर्ष होने वाले इंटरमीडिएट की परीक्षा में विज्ञान संकाय में केवल 1,615 परीक्षार्थी शामिल होंगे। हालांकि, जिले के 142 हाई स्कूल और प्लस टू स्कूलों में स्मार्ट क्लास द्वारा विद्यार्थियों को विज्ञान विषय को रोचक ढंग से पढ़ाया जाता है। विद्यार्थी स्मार्ट क्लास में शामिल भी होते हैं। इसके बावजूद भी विद्यार्थियों का रुझान विज्ञान विषय के प्रति कम होता दिखाई दे रहा है।
'हाई स्कूल और प्लस टू स्कूलों में विज्ञान विषय के पढ़ाई के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है। अत्याधुनिक प्रयोगशाला बनाए गए हैं। इन प्रयोगशाला में नए-नए उपकरण लगाए गए हैं। जिससे कि विद्यार्थी प्रयोगशाला में आकर शिक्षकों के देखरेख में अनेक प्रयोग का सकें। ताकि विद्यार्थियों में विज्ञान विषय के प्रति रुचि बढ़े और उनमें विज्ञान के क्षेत्र में नई खोज और आविष्कार करने की प्रतिभा उत्पन्न हो।'- सुभाष कुमार गुप्ता, जिला शिक्षा, पदाधिकारी।
अब यहां सोचने वाली बात ये है कि किशनगंज में इतनी बड़ी संख्या में छात्रों ने कला संकाय को क्यों चुना। आखिर छात्रों ने विज्ञान से तौबा क्यों कर ली। बता दें कि हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक किशनगंज बिहार के गरीब जिलों में से एक है। तो क्या ये उस बात का परिणाम है कि छात्र इंटरमीडिएट की परीक्षा सिर्फ अपनी डिग्री बढ़ाने के लिए दे रहे हैं। जो भी हो ज्ञान की धरती पर विज्ञान की कमी दिखाई दे रही है।