बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : एक कदम आगे बढ़कर महिलाओं ने दी लोकतंत्र में आहुति
Bihar Assembly Elections 2020 भागलपुर के कहलगांव विधानसभा में महिलाओं ने 58 फीसद मतदान किया। जबकि सुल्तानंगज विधानसभा में 55.1 फीसद मतदान किया। सुबह नौ बजे तक वैसे मतदान का प्रतिशत कम रहा लेकिन बाद में मतदान प्रतिशत बढ़ता रहा।
भागलपुर [संजय कुमार सिंह]। महिलाओं की वोटिंग को लेकर सियासी दलों के मन में सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि बिहार में चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव पिछले कुछ सालों में महिलाओं ने वोटिंग में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। इस बार भी महिलाओं ने कहलगांव व सुल्तानगंज विधानसभा में जमकर वोटिंग के प्रति दिलचस्पी दिखाई। इस बार कहलगांव में महिलाओं ने 58 फीसद महिलाओं ने मतदान किया। सुल्तानगंज में महिलाओं ने 55.1 फीसद ने मतदान किया।
दरअसल, पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान महिलाओं में वोटिंग को लेकर जबरदस्त उत्साह था। कई बूथों पर पुरुषों के मुकाबले महिला वोटरों ने ज्यादा वोटिंग की। कहीं-कहीं तो मतदान केंद्रों के बाहर महिलाओं की देर शाम तक लंबी कतार लगी रही। कुछ महिलाएं तो नवजात शिशुओं के साथ मतदान करने पहुंची। कोरोना का संकट देख सियासी दलों को आशंका थी कि महिलाएं घर नहीं निकलेंगी। इसलिए सभी दलों ने महिला वोटरों को मतदान स्थल तक पहुंचाने के लिए जोर कसा था। महागठबंधन ने तो कोरोना के दौर में चुनाव कराने के फैसले पर सवाल खड़ा कर दिया था। सभी आशंका को दूर करते हुए महिलाएं घर से निकल गई। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के वोटिंग नतीजे पर नजर डालें तो साफ जाहिर होता है कि वोटिंग के मामले में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं आगे रही हैं।
कहलगांव में तो दो-तीन बूथों पर मत देने वाले पुरुषों की संख्या से महिलाएं ज्यादा थी। सन्हौला के बूथ संख्या 300 में 459 मतदाता थे। यहां 127 पुरुष और 141 महिलाओं ने मत दिए। बूथ संख्या 300ए पर भी 163 महिलाओं और 144 पुरुषों ने वोट दिए। ओलपुरा बूथ संख्या 109 पर 167 महिलाएं और 143 पुरुषों ने मत दिए। यहीं स्थित अधिकांश बूथों पर भी थी। गोराडीह बूथ संख्या 57 और 47 ए में कुल 1121 मतदाताओं में 352 महिलाओं ने मत दिए।
टीएनबी कॉलेज राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि सशक्त लोकतंत्र की पहचान महिलाओं की भूमिका से होती है। राज्य इस मामले में काफी खुशनसीब है कि यहां की महिलाओं में वोटिंग के प्रति काफी जागरुकता है। उनकी सक्रियता मजबूत लोकतंत्र का परिचायक है।