आयोग की चाबुक, चुनावी आहट ने छीना रोजगार, दूसरे काम की कर रहे तलाश
भागलपुर में आधा दर्जन कारीगर शिलापट्ट बनाने का काम करते हैं। चुनाव के कारण अब नए साल में रोजगार की उम्मीद। आचार संहिता के कारण शिलान्यास और उद्घाटन कार्यक्रम नहीं होंगे। ये कारीगर दूसरे रोजगार की तलाश कर रहे हैं।
भागलपुर, जेएनएन। विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू होते ही कुछ लोगों की रोजगार मंदर गई। चुनाव से पहले तक दो माह से वे लोग अच्छी कमाई कर रहे थे। लेकिन, चुनाव की घोषण होते ही उन लोगों का रोजगार भी मंदा गया। भागलपुर में 28 अक्टूबर और तीन नवंबर को सभी सात सीटों पर वोट पड़ेंगे। चुनावी आहट शुरू होते ही शिलान्यास और उद्घाटन का शिलापट्ट बनाने वाले कारीगरों की हालत भी पतली हो गई है। आचार संहिता लागू होने के कारण इन्हें काम मिलना बंद हो गया है। इससे शिलान्यास और उद्घाटन का शिलापट्ट बनाने वाले कारीगरों का रोजगार मंदा हो गया
दरअसल, भागलपुर में आधा दर्जन से अधिक जगहों पर शिलान्यास और उद्घाटन शिलापट्ट बनाए जाते हैं। मार्बल पर कारीगर छेनी-हथौड़ी से योजना का नाम, उद्घाटनकर्ता, राशि और जगह लिखने का काम करते हैं। विधानसभा चुनाव की घोषणा शुरू होने के बाद नए ऑर्डर आने बंद हो गए हैं। वहीं, एक माह से इनलोगों के पास हर दिन एक साथ कई ऑर्डर आते थे।
20 से 30 शिलापट्ट का मिलता था ऑर्डर
घंटाघर के पास वर्षों से शिलापट्ट बनाने वाले कारीगर महेंद्र पंडित और मुकेश कुमार ने बताया कि नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। छोटा से बड़ा मिलाकर करीब 20 से 30 शिलापट्ट बनाने का काम मिलता था। मुकेश ने बताया कि अब नया काम बंद है। बड़ा शिलापट्ट बनाने के लिए 15 से 18 सौ रुपये मजदूरी मिलती है। वहीं, छोटे आकार के शिलापट्ट बनाने पर एक हजार रुपये मिलते हैं।
दूसरे काम की कर रहे खोज
इस धंधे से जुड़े कई कारीगर चुनाव समाप्ति तक दूसरे रोजगार की खोज कर रहे हैं। मुकेश के साथ काम करने वाले कारीगर छोटू पंडित और अन्य काम की तलाश में दूसरे शहर चले गए हैं। इसी तरह सोनू और रामप्रकाश भी दूसरे धंधे में लगे हैं। इनका कहना है कि जब नए विधायक या मंत्री बनेंगे तो फिर से काम मिलेगा।