Bihar Assembly Elections 2020 : चरम पर पहुंचा सीट बंटवारे और प्रत्याशी चयन का सस्पेंस, दावेदार बेचैन
Bihar Assembly Elections 2020 इस क्षेत्र में टिकटार्थी अभी तीन प्रकार के दिख रहे हैं। इनमें से दो दलीय आस्थावान हैं और तीसरे को अगर टिकट नहीं भी मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। दलीय आस्थावानों में से एक क्षेत्र में घूम रहा है।
भागलपुर [शंकर दयाल मिश्रा]। चुनाव की घोषणा के सस्पेंस अब चरम पर पहुंच चुका है। किस गठबंधन में कौन-कौन, प्रत्याशी कौन? इस राजनीतिक सस्पेंस ने टिकट दावेदारों की बचैनी बढ़ा दी है।
कुछ दिन पहले सर्वे के नाम पर क्षेत्रों में लौटाए गए दावेदार इसी बेचैनी के साथ फिर से पटना-दिल्ली पहुंच गए हैं। पटना में भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों में बड़े नेता कह रहे हैं। उन्होंने अपनी पसंद की सीटों और नामों का चयन कर दिल्ली दरबार भेज दिया है। हालांकि सीट और टिकट नहीं मिलने पर जो भगदड़ मचेगी, उसे थामना भी चुनौती होगी। लिहाजा, पार्टी के दफ्तर में बिहार स्तर के बड़े नेताओं की लगातार उपस्थिति की बात भी कही जा रही है। वे टिकटार्थियों को लगातार समझा रहे हैं कि उन्होंने नाम भेज दिया है। अब जो होगा दिल्ली से ही होगा। आप सब सम्मानित हमारे सम्मानित नेता हैं। टिकट नहीं भी मिला तो पार्टी उचित सम्मान देगी। यहां भीड़ न लगाएं और वापस क्षेत्र में जाएं। जिसे उम्मीदवार बनाया जाएगा उसे बुला लिया जाएगा। यह सुनकर टिकटार्थी अब दिल्ली का टिकट कटा रहे हैं।
टिकटार्थी अभी तीन प्रकार के दिख रहे हैं। इनमें से दो दलीय आस्थावान हैं और तीसरे को अगर टिकट नहीं भी मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। दलीय आस्थावानों में से एक क्षेत्र में घूम रहा है। उनके आत्मविश्वास को देखकर यह कह सकते हैं कि पार्टी नेतृत्व से उन्हें हरी झंडी मिल चुकी है। मसलन भागलपुर जिले की कहलगांव सीट पर शुभानंद मुकेश लगातार कांग्रेस का झंडा लेकर क्षेत्र में घूम रहे हैं। शुभानंद कहलगांव विधायक व हैवीवेट नेता सदानंद सिंह के पुत्र हैं। कहलगांव क्षेत्र में जदयू नेत्री कहकशां परवीन भी लगातार पार्टी के प्रचार में दिख रही हैं। इसी सीट के लिए भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य पवन यादव पटना में कैंप किए हैं। पवन की गाडिय़ां क्षेत्र में उनके प्रचार में घूम रही है। ये टिकटार्थियों के तीसरे प्रकार में आते हैं। जबकि भाजपा और जदयू के कई और नेता पटना में हैं। वे दूसरे प्रकार दलीय दावेदार हैं। टिकट मिलेगा तो क्षेत्र में घूमने लगेंगे नहीं तो पुराने रिकार्ड के मुताबिक मन मारकर पार्टी के साथ बने रहेंगे। हालांकि अभी यह घोषित नहीं हुआ है कि एनडीए में यह सीट किस पार्टी को जाएगा, पर जिस हिसाब से राज्यसभा की पूर्व सदस्य कहकशां परवीन पार्टी के प्रचार में उतरी हैं वह एक इशारा माना जा रहा है। अन्य सीटों पर भी टिकटार्थियों के तीनों प्रकार दिख रहे हैं।
भागलपुर प्रमंडल के सात सीटों पर प्रथम चरण में चुनाव
भागलपुर प्रमंडल की। भागलपुर जिले में सात सीटें हैं। इनमें कहलगांव और सुल्तानगंज पर प्रथम चरण में चुनाव होना है। बांकी प्रमंडल के बांका जिला की पांचों सीट बांका, कटोरिया, बेलहर, अमरपुर, धोरैया पर भी इसी चरण में वोटिंग होगी। कहलगांव सीट पर कांग्रेस और सुल्तानगंज सीट पर जदयू का कब्जा है। इसी प्रकार बांका पर भाजपा, धोरैया, अमरपुर पर जदयू और बेलहर और कटोरिया पर राजद के विधायक हैं। बेलहर सीट पर राजद ने 2019 के उपचुनाव में जदयू को हरा दिया था।
एनडीए में बढ़ेगी जिच, महागठबंधन में वैकेंसी
2015 के चुनाव में जदयू महागठबंधन के साथ था। तब भागलपुर प्रमंडल से सिर्फ बांका सीट जीतकर भाजपा ने इज्जत बचाई। बांकी एनडीए का सूपड़ा साफ हो गया था। जदयू फिर से एनडीए में है। चर्चा होते ही स्थानीय स्तर पर 2010 के फार्मूले पर सीट बंटवारे की प्राथमिक समझ बता दी जाती है। हालांकि राजनीतिक गलियारे में अभी तक यह माना जा रहा है कि अब एनडीए में लोजपा के अलावे रालोसपा भी होगी। अगर ऐसा हुआ तो सीट बंटावारे में प्रमंडल की एक और सीट पर जिच बढ़ जाएगी। यह सीट धोरैया की होगी। यहां सीटिंग विधायक जदयू के हैं और रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी इस सीट पर प्रचार करते दिख रहे हैं। बांकी एनडीए के चुनावी वीरों और पार्टी के स्थानीय अधिकारियों की समझ है कि शीर्ष स्तर पहला फार्मूला यह होगा कि जिस सीट पर जो जीता हुआ है वह उसका। इस हिसाब से धोरैया, अमरपुर और बेलहर सीट उसकी है। भागलपुर जिले की सुल्तानगंज, नाथनगर और गोपालपुर सीट पर जदयू का कब्जा तीन टर्म से है। बचे जिले के चार सीटों में 2010 के हिसाब से बंटवारा होगा। इसमें भागलपुर, बिहपुर और पीरपैंती सीट पर भाजपा लड़ेगी। उस वक्त भाजपा इन तीनों सीटों पर जीती थी। 2010 में कहलगांव सीट पर जदयू हार गया था। 2015 में जदयू की अनुपस्थिति में लोजपा को भागलपुर जिले की दो सीटों में नाथनगर के अलावे कहलगांव की ही सीट मिली थी। इस दफे उसे कौन सीट मिलती है इसको लेकर गुणा-गणित बिठाया जा रहा है। इधर रालोसपा के बाहर जाने से महागठबंधन में वैकेंसी बढ़ गई है।