Bihar Assembly Elections 2020 : सीट बंटवारे और अधिसूचना के इंतजार के बीच अपना समीकरण, अपने पेंच
Bihar Assembly Elections 2020 पूर्व बिहार सीमांचल और कोसी में हर क्षेत्र का अपना समीकरण है और गठबंधन के अपने पेंच भी। इस बार अधिक मारामारी एनडीए में होने की संभावना है।
भागलपुर [शंकर दयाल मिश्र]। Bihar Assembly Elections 2020 : कोरोना अब डरा नहीं रहा! सुप्रीम कोर्ट ने भी चुनाव पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। सितम्बर आ ही गया। अब अक्टूबर और नवंबर। नवंबर में तो नई सरकार ही आ जाएगी। बस दो महीने ही बचे हैं चुनाव को। इसी माह चुनाव की अधिसूचना भी जारी होनी चाहिए। गठबंधन सब फाइनल ही है। बहुत कुछ साफ हो चुका है, पर दोनों गठबंधनों का आपस में सीट बंटवारा भी हो जाए तो सब साफ-साफ नजर आने लगेगा!
कोरोना के कारण कई महीनों तक घरों में कैद रहे रहे विभिन्न पाटियों के क्षेत्रीय नेता-टिकटार्थी का यह ताजा असमंजस है। हालांकि अब वे जमीन पर भी दिखने लगे हैं। वर्चुअल मीटिंग्स के माध्यम से उन्हें अपने गठबंधन के लिए जान लगा देने की घुट्टी पिलाई गई है। पर, कौन सीट किसकी! यह सवाल सभी के मन में है। पूर्व बिहार, सीमांचल और कोसी की बात करें तो यहां हर क्षेत्र का अपना समीकरण है और गठबंधन के अपने पेंच भी। इस बार अधिक मारामारी एनडीए में होने की संभावना है।
कौन सीट किसके कब्जे में
कोसी के सहरसा जिले की चार सीट में से सहरसा, सिमरीबख्तियारपुर व महिषी पर राजद और सोनवर्षा पर जदयू, मधेपुरा जिले की चार सीटों में आलमनगर, बिहारीगंज व सिंहेश्वर पर जदयू और मधेपुरा पर राजद तथा सुपौल जिले की पांच सीटों में तीन सुपौल, निर्मली व त्रिवेणीगंज पर जदयू, छातापुर पर भाजपा और पिपरा पर राजद का कब्जा है।
सीमांचल के पूणया जिले की सात सीटों में पूणया सदर व बनमनखी से भाजपा, धमदाहा व रुपौली से जदयू, कसबा व अमौर से कांग्रेस और बायसी से राजद, कटिहार के सात सीटों में कटिहार व प्राणपुर से भाजपा, मनिहारी, कदवा व कोढ़ा से कांग्रेस, बरारी से राजद और बलरामपुर से भाकपा माले, अररिया जिले की छह सीटों में फारबिसगंज व सिकटी से भाजपा, जोकीहाट व नरपतगंज से राजद, रानीगंज से जदयू और अरिरया से कांग्रेस तथा किशनगंज जिले के चार सीटों में से ठाकुरगंज व कोचाधामन से जदयू, बहादुरगंज से कांग्रेस और किशनगंज सीट से ओबैसी की पार्टी एआइएमआइएम के विधायक हैं।
पूर्व बिहार के भागलपुर जिले की सात विधानसभा सीटों में सुल्तानगंज, नाथनगर व गोपालपुर पर जदयू, भागलपुर व कहलगांव पर कांग्रेस, बिहपुर व पीरपैंती पर राजद, बांका जिले के पांच सीटों में बेलहर व कटोरिया पर राजद, अमरपुर व धोरैया पर जदयू एवं बांका पर भाजपा, मुंगेर जिले की तीन सीटों में से जमालपुर व तारापुर पर जदयू, मुंगेर से राजद, लखीसराय जिले के लखीसराय सीट पर भाजपा और सूर्यगढ़ा सीट पर राजद, जमुई जिले की चार सीटों में से जमुई व चकाई पर राजद, झाझा पर भाजपा और सिकंदरा पर कांग्रेस तथा खगडिय़ा जिले की चार सीटों में खगडिय़ा, परबत्ता व बेलदौर तथा अलौली सुरक्षित पर राजद का कब्जा है।
हर सीट पर उलझी हैं गठबंधन की गांठें
2015 में जदयू महागठबंधन में था और अभी वह फिर से एनडीए में है। 2010 में लोजपा राजद के साथ थी, अभी वह भी एनडीए की हिस्सा है। वर्तमान गठबंधन के नए स्वरूप के कारण इन तीनों जनपद के हर जिले की हर सीट की परिस्थिति बदल चुकी है। इस दफे महागठबंधन में वेकेंसी ठीक-ठाक दिख रही है। हालांकि कुछ पेंच हैं, लेकिन एनडीए में गठबंधन की गाठें उलझी नजर आ रही है। उदाहरण के तौर पर जमुई जिले की बात करें। यहां लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान खुद सांसद हैं। यहां से पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के दो बेटे अजय प्रताप भाजपा और सुमित सिंह जदयू के साथ मजबूती से हैं। अजय जमुई सीट से दावेदार हैं और सुमित चकाई से। झाझा परंपरागत तौर पर भाजपा की सीट है। ऐसे में चौथी सीट सिकंदरा ही लोजपा के लिए बचती दिख रही है। जबकि राजनीतिक जानकारों के मुताबिक क्षेत्रीय सांसद और पार्टी सुप्रीमो के तौर पर लोजपा यहां से कम से कम दो सीट चाहेगी। अन्य जिलों में भी स्थानीय समीकरण गड्डमड्ड हो रहे हैं। हर सीट पर गजब की मारामारी है। लखीसराय से भाजपा के विधायक सह मंत्री विजय कुमार सिन्हा को बदलने की मांग जदयू के जिलाध्यक्ष और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर की है। भागलपुर जिले में अभी एक भी विधायक भाजपा का नहीं है। राजनीतिक नजरिए से यह भाजपा के लिए महत्वपूर्ण जिला है। खासकर भागलपुर सीट पर पार्टी लंबे समय तक काबिज रही है। पार्टी जिले की सभी सीटों पर अपना विधानसभा सम्मेलन कर चुकी है। हर सीट से दावेदार भी कमर कसे हुए दिख रहे हैं। जबकि हर चुनाव में इस जिले में सर्वाधिक सीटों पर काबिज होने वाले जदयू ने भाजपा के लिए प्रमुख मानी जाने वाली सीट भागलपुर पर भी अपनी मजबूत दावेदारी कर रखा है। स्थानीय स्तर पर इन दोनों दलों की आपसी दावेदारी में यहां लोजपा कहीं दिख नहीं रही, जबकि लोजपा से भी कई दावेदार हैं।
सिमरी बिख्तयारपुर की सीट पर 2015 के चुनाव में जदयू के दिनेश यादव ने जीत दर्ज की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में दिनेश मधेपुरा सीट से जीतकर सांसद के रूप में प्रोन्नत हुए। इसके बाद सिमरी सीट पर हुए उपचुनाव में यह सीट पर जदयू को हराकर राजद ने कब्जा जमा लिया है।
-2015 के चुनाव में किशनगंज से कांग्रेस के डॉ. जावेद आजाद ने जीत दर्ज की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे किशनगंज के सांसद चुने गए। इसके बाद हुए उपचुनाव में एआइएमआइएम की इस सीट पर जीत दर्ज हुई।
-बेलहर सीट पर जदयू गिरिधारी यादव ने 2015 में चुनाव जीता था। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हेंं बांका का उम्मीदवार पार्टी ने बनाया और वे जीतकर सांसद बने। इसके बाद हुए उपचुनाव में इस सीट राजद की झोली में चला गया।
-नाथनगर सीट से 2015 चुनाव बाद विधायक बने जदयू के अजय मंडल 2019 में भागलपुर लोकसभा सीट से एनडीए की ओर जदयू के प्रत्याशी बने और चुनाव में जीत दर्ज की। उपचुनाव में सूबे में यही इकलौती सीट रही जिसपर जदयू बरकरार रहा।
-कटिहार जिले की मनिहारी सीट से कांग्रेस के वर्तमान विधायक हैं मनोहर प्रसाद सिंह। वे 2015 से पहले जदयू से इसी सीट से जीते थे। 2015 में जदयू महागठबंधन में था। तब यह सीट कांग्रेस के हिस्से में आई। तब सीट और प्रत्याशी दोनों ट्रांसफर हुआ। विधायक मनोहर प्रसाद सिंह कांग्रेस में बने रहेंगे या वापस जदयू में लौटेंगे इसको लेकर भी चर्चाएं चल रही है।