Bihar Assembly Elections 2020: बदहाल एनएच 107 की आश्वासन के बाद भी नहीं बदली सूरत, लोगों में आक्रोश
चुनावी वादे करने वाले नेताओं को इस बार जनता सबक सिखाने के मूड में हैं। बीते एक दशक से एनएच 107 की स्थिति बदतर हो गई है। लोगों को आवाजाही में काफी मुश्किलें हो रही है। पर आज तक नेताओं ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
मधेपुरा, जेएनएन। विधानसभा के चुनाव की तिथि नजदीक आने के साथ-साथ समस्याओं के कारण अब मतदाताओं का मूड भी बदलता जा रहा है। नगर पंचायत के लोगों ने क्षेत्र में एनएच 107 की खराब हालत को ले इस बार चुनावी वादे करने वाले नेताओं को सबक सिखाने का मन बना लिया है। हर बार चुनाव में मुरलीगंजल से होकर गुजरने वाली एनएच 107 सड़क का मुद्दा तो बनता है। नेता आश्वासन भी देते हैं। लेकिन इसके बाद भी दशकों से स्थिति जस की तस बनी हुई है। शहर के चौक चौराहे, गलियारों व चाय दुकानों पर चुनावी चर्चा में एनएच का मुद्दा पर खूब बहस हो रही है। इसको लेकर लोगों ने बताया कि पूॢणया-मधेपुरा-महेशखूंट एनएच 107 की सड़क की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। नाम का हाईवे अब पूरी तरह खाईवे बन चुका है। सड़क पर बने बड़े-बड़े गड्ढों के कारण आवाजाही में काफी परेशानी होती है। इससे आए दिन दुर्धटना की आशंका बनी रहती है।
बदहाल सड़क हादसे को दे रहा न्यौता
बताते चलें कि मुरलीगंज से सहरसा एवं मुरलीगंज से पूॢणया की सड़क की जर्जरता का आलम ये है कि इस सड़क पर आवाजाही करने में दोगुना समय लगता है। अब यह सड़क किसी बड़े हादसे को न्यौता दे रहा है। आए दिन हो रहे दुर्घटना से इस बार लोगों ने सड़क के निर्माण का आश्वासन एवं ठोस वादे करने वाले नेताओं को वोट देने के बजाए नोटा दबाने की बात कह रहे हैं।
आश्वासनों की घूंट से नेताओं के प्रति लोगों में आक्रोश, दबाएंगे नोटा
मधेपुरा- सहरसा एनएच 107 की खस्ता हालत को लेकर हर बार चुनावी वादे एवं आश्वासन देने के बाद भी निर्माण कार्य नहीं किए जाने से लोगों का गुस्सा चरम पर है। मतदाताओं ने बताया कि नेता हर बार चुनावी वादे एवं लोकलुभावने वादे कर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं। इसी वजह से हर बार सड़क बनाने का आश्वासन देने के दशकों बाद भी सड़क की स्थिति बद से बदतर है। बारिश होने के बाद तो लोगों को पैदल चलना मुश्किल हो जाता है। लगातार उपेक्षा का शिकार होने के कारण इस बार किसी प्रकार का वादे एवं आश्वासनों के झांसे में लोग पडने वाले नहीं हैं। मतदाताओं ने नोटा दबाकर चुनावी वादे करने वाले नेताओं को सबक सिखाने का मन बना लिया है।