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Bihar Assembly Elections 2020 : चुनाव में नक्सली हिंसा रोकने को लगेगी कोबरा बटालियन

Bihar Assembly Elections 2020 शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए सतर्क हुआ प्रशासन। बांका मुंगेर जमुई और लखीसराय में माओवादी गतिविधियों पर नजर रहेगी। पुलिस को कई निर्देश दिए हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 09:27 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 09:27 AM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020 : चुनाव में नक्सली हिंसा रोकने को लगेगी कोबरा बटालियन
Bihar Assembly Elections 2020 : चुनाव में नक्सली हिंसा रोकने को लगेगी कोबरा बटालियन

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। चुनाव में नक्सली हिंसा रोकने के लिए बांका, मुंगेर, जमुई, लखीसराय और भागलपुर प्रशासन सजग है। भागलपुर के बाथ, सजौर और पीरपैंती पर प्रशासन की विशेष नजर है। अक्सर चुनाव के दौरान मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों पर नक्सली घात लगाने की फिराक में रहते हैं। इस बार नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए कोबरा बटालियन को लगाया जाएगा।  

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नक्सलियों के निशाने पर हैं जिले के कई इलाके

नक्सल प्रभावित इलाकों में पहले से अद्र्धसैनिक बलों की टुकडिय़ां मौजूद हैं। बावजूद, कोबरा बटालियन के आने से अतिरिक्त सुरक्षा की गारंटी रहेगी। बांका, मुंगेर, जमुई, लखीसराय के अलावा भागलपुर के पीरपैंती, ईशीपुर, शाहकुंड, सजौर और बाथ थाना क्षेत्र को भी नक्सलियों के निशाने पर बताया गया है। खुफिया अधिकारियों ने चुनाव पूर्व अपनी एक रिपोर्ट में ऐसी आशंका जताई है।

मतदानकर्मियों और पुलिस को बनाते हैं निशाना

रिपोर्ट में बड़े पुलिस पदाधिकारियों, मतदान कर्मियों और अद्र्धसैनिक बलों की टुकडिय़ों को निशाना बनाने की बात कही गई है। मुंगेर, जमुई, लखीसराय और बांका में झारखंड के गिरीडीह, चतरा और पलामू से नक्सलियों की आवाजाही की बात भी कही गई है। खुफिया रिपोर्ट में गुरमाहा, चोरमारा, दुधपनियां, सोनो व चरकापाथर जंगल में उनकी सक्रियता बताई गई है। खुफिया अधिकारियों की इस सूचना से पुलिस मुख्यालय सतर्क है। माओवादियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए इन इलाकों में सधी तैयारी की गई है।

जमीन में छिपे बम निकालने में माहिर हैं कोबरा के जवान : 12 दिनों तक बिना खाना-पानी के कोबरा बटालियन के जवानों का प्रशिक्षण होता है। ये हर मौसम में उसी फुर्ती के साथ काम कर सकते हैं। जमीन के नीचे छिपे बम ये आसानी से खोज निकालते हैं और उसी सरलता से इन्हें डिफ्यूज भी कर देते हैं। जंगलों-पहाड़ों में ये मीलों तक पैदल चल सकते हैं। बस एक बार नक्शा समझा दिया जाए तो ये इलाके की खाक छान लेंगे।


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