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Bihar assembly elections 2020:कटिहार में नहीं लगा कृषि आधारित उद्योग, होते रहे झूठे वादे

कटिहार जिला का प्राणपुर प्रखंड कृषि प्रधान है। यहां के लोगों की मुख्य जीविका कृषि है। धान और मक्का की बड़े पैमाने पर खेती होती है। पर उनके उत्पाद का उचित बाजार मूल्य नहीं मिलता। कृषि आधारित उद्योग की मांग है पर आज तक मिला झूठा आश्वासन

By Amrendra TiwariEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 11:30 PM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 11:30 PM (IST)
कटिहार के प्राणपुर प्रखंड में कृषि आधारित उद्योग नहीं लग सका।

कटिहार, जेएनएन। मक्का एवं धान की खेती के लिए मशहूर प्राणपुर प्रखंड में कृषि आधारित उद्योग लगाने की मांग वर्षों से होती रही है। हर चुनावी मौसम में इसको लेकर सपने भी दिखाए जाते हैं, मगर धरातल पर सब कुछ नदारद रहता है। किसान हर बार अपने को ठगे-ठगे से महसूस करते हैं। इस चलते किसानों को मेहनत का उचित मुनाफा भी नहीं मिल पाता है।

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कृषि आधारित उद्योग नहीं लगने व विपणन की उचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता है। वे औने-पौने दाम पर अपनी फसल बेचने को विवश हो जाते हैं। आज भी प्राणपुर प्रखंड के क्षेत्र के कृषि को आजीविका का मुख्य साधन मक्का एवं धान की खेती है। काफी संख्या में किसानों ने अभी भी मक्का को अपने गोदामों में अधिकांश लोग रेट नहीं मिलने के कारण रखा है।

खेती बन रहा घाटे का सौदा

बता दें कि इस बार मक्का का बाजार मूल्य काफी कम रहने के कारण किसानों के लिए यह घाटे का सौदा साबित होगा। मक्का की खरीददारी भी रफ्तार नहीं पकड़ पाई है। बता दे कि मक्का के उत्पादन के बाद भी यहां कृषि आधारित उद्योग की स्थापना नहीं हो पाई है। इस कारण मक्का बाहर की मंडियां में भेजा जाता है। किसानों के दर्द पर मरहम लगाने व कृषि आधारित उद्योग की स्थापना बस चुनावी वादे तक ही सीमित है। मक्का का कीमत नहीं मिलने के कारण किसानों के लिए खर्च निकालना परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। किसान हरि शंकर मंडल, निपम उपाध्याय, रवि गुप्ता, रमन सिंह, श्याम मंडल, दीनानाथ यादव, लाला यादव, प्रताप सिंह, सऊद आलम, भगवान सिंह, शिव देव झा, रघुनाथ यादव आदि किसानों ने बताया कि फसलों का समर्थन मूल्य निर्धारित कर सरकारी स्तर पर खरीद की व्यवस्था करने व क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग की स्थापना से ही क्षेत्र की तस्वीर बदल सकती है।


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