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Bihar Assembly Election 2020 : चुनावी समर में होगी जनप्रतिनिधियों की अग्निपरीक्षा, जानिए... पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल का हाल

Bihar Assembly Election 2020 कोसी और सीमांचल में भाजपा को फिर मशक्कत करनी होगी। कांग्रेस भी दम-खम के साथ चुनावी तैयारी में जुटी है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 07:46 AM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 07:46 AM (IST)
Bihar Assembly Election 2020 :  चुनावी समर में होगी जनप्रतिनिधियों की अग्निपरीक्षा, जानिए... पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल का हाल
Bihar Assembly Election 2020 : चुनावी समर में होगी जनप्रतिनिधियों की अग्निपरीक्षा, जानिए... पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल का हाल

भागलपुर [संजय सिंह]। बिहार का आगामी विधानसभा चुनाव कोरोना को लेकर काफी अलग हटकर होगा। बावजूद, उद्घाटन और शिलान्यास के बहाने जनप्रतिनिधियों ने जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। पिछले चुनाव में पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल के पांच जिलों में भाजपा का खाता तक नहीं खुला था। कांग्रेस इन इलाकों के 13 जिलों की 62 विधानसभा सीटों में छह पर ही सिमटकर रह गई। किशनगंज को छोड़कर बाकी सभी जिलों में राजद सीटें बटोरने में सफल रहा। 18 विधानसभा सीटों पर राजद का कब्जा रहा। लखीसराय और कटिहार को छोड़कर बाकी जिलों में जदयू सर्वाधिक 22 सीटें पाने सफल रही।

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कटिहार की एक सीट पर भाकपा (माले) की जीत हुई। पिछले दिनों किशनगंज में हुए उपचुनाव में कांग्रेस को हराकर औवैसी की पार्टी एआइएमआइएम एक सीट झटकने में कामयाब रही। इससे ओवैसी के हौसलों में उछाल आया और सीमांचल की राजनीति में नई सुगबुगाहट शुरू हो गई। पिछले विधानसभा चुनाव का राजनीतिक समीकरण नया था। जदयू ने राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। ऐसे में चुनाव परिणाम आने तक राजनीतिक विश्लेषक भी अधिक अनुमान नहीं लगा पा रहे थे। इस बार जदयू और भाजपा एक साथ हैं। ऐसे में पुराने वोट बैंक को इक_ा करने में राजग और महागठबंधन अपना पूरा जोर लगा देंगे। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण कई योजनाओं का काम लटक गया था। इस कारण जनप्रतिनिधियों की परेशानी थोड़ी बढ़ गई है। अधिकांश जनप्रतिनिधि तीन-चार माह तक अपने वोटरों से कटे रहे। परिणामस्वरूप ऐसे जनप्रतिनिधियों को अब भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के बहाने जनप्रतिनिधियों ने जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है।

प्रचार के मामले में भाजपा की स्थिति अन्य दलों की तुलना में थोड़ी बेहतर है। वर्चुअल रैली और सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा लगातार वोटरों के टच में है। इस बार कई नए चेहरे भी चुनावी रण में कूदने को उतावले हैं। कुछ लोग तो ऐसे हैं जो अभी तक तय ही नहीं कर पाए हैं कि किस दल से चुनाव लड़ें। ऐसे लोग हर दल के नेताओं के संपर्क में हैं कि कहीं से उनकी दाल गल जाए। कोसी और सीमांचल में इस बार लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों की संख्या अचानक बढ़ गई। दूसरी बड़ी समस्या बाढ़ की है। बाढ़ के कारण कई इलाकों में अफरातफरी की स्थिति बनी हुई है। लोग प्रशासन को कोस रहे हैं, जनप्रतिनिधियों पर भड़ास निकाल रहे हैं। हर दल इस चुनाव में जोर आजमाइश कर रहा है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव व बिहार प्रभारी वीरेंद्र सिंह राठौर ने भागलपुर आकर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। बैठक में कांग्रेसी नेताओं ने इस बात के संकेत दिए कि इस बार पार्टी अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उधर, जन अधिकार पार्टी के नेता कोसी इलाके में लगातार जनसंपर्क अभियान चलाए हुए हैं। भाजपा भी वर्चुअल रैली के माध्यम से अमित शाह, जेपी नड्डा, शाहनवाज हुसैन, नित्यानंद राय जैसे राजनीतिक दिग्गजों को कार्यकर्ताओं से रूबरू करा चुकी है। राजद के प्रदेश महासचिव चक्रपाणि हिमांशु व प्रदेश प्रवक्ता अरुण यादव आदि भी कार्यकर्ताओं से संपर्क स्थापित कर रहे हैं। कुल मिलाकर नए राजनीतिक समीकरण और कोरोना का असर चुनाव परिणाम पर दिखेगा।


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