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Bhola Paswan Shastri jayanti: बिहार के 3 बार मुख्यमंत्री रहे शास्त्री जी को पसंद थी मौलाना अब्दुल की मचान

Bhola Paswan Shastri jayanti बिहार के तीन बार सीएम रहे भोला पासवान की जयंती पर उनके गांव के लोग उनसे जुड़ी यादों को ताजा कर रहे हैं। वे कई दिलचस्प किस्से सुनाते हैं। इन्हीं किस्सों में एक किस्सा मौलाना अब्दुल की मचान से जुड़ा है।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 03:35 PM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 03:35 PM (IST)
Bhola Paswan Shastri jayanti: बिहार के 3 बार मुख्यमंत्री रहे शास्त्री जी को पसंद थी मौलाना अब्दुल की मचान
Bhola Paswan Shastri jayanti: जयंती विशेष, पढ़ें पूरा आर्टिकल...

प्रकाश वत्स, जासं, पूर्णिया। Bhola Paswan Shastri jayanti: तीन-तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने वाले भोला पासवान शास्त्री से जुड़ी हर छोटी-बड़ी यादें अब भी उनके पैतृक गांव बैरगाछी समेत पूरे परिक्षेत्र के लोगों के जेहन में कैद है। उनके हम उम्र तो अब नहीं रहे लेकिन उनके उत्कर्ष को देखने वाले तक के किशोर व युवाओं के बूढ़ी आंखें अब भी पूरी कथा बयां करती हैं। बैरगाछी पहुंचने पर किस तरह उनकी बैठकी बाजू में बसे गांव सबूतर निवासी सह पूर्व सरपंच स्व. मौलाना अब्दुल हकीम के मचान पर जमती थी, यह भी बहुतेरे लोगों को याद है। इसी तरह बारिश के समय चौपहिया वाहन के गांव नहीं पहुंचने पर बैलगाड़ी से उनका आगमन भी लोगों की यादों में बसा हुआ है। यही कारण है कि उनकी जयंती व पुण्यतिथि के अवसर उनके गांव सहित आसपास के टोले में उत्सवी माहौल रहता है। लोग अपने-अपने घर-दरवाजे की साफ-सफाई कर आगंतुकों के स्वागत को तैयार रहते हैं।

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केनगर प्रखंड क्षेत्र स्थित बैरगाछी गांव में अवस्थित स्व. भोला पासवान शास्त्री के पैतृक घर से महज कुछ दूरी पर अवस्थित सबूतर निवासी शकील अहमद बताते हैं कि शास्त्री जी उन लोगों के लिए अभिमान हैं। वे सामाजिक व साम्प्रदायिक सदभाव के बड़े ध्वज वाहक थे। यूं तो उनका गांव आगमन कम होता था, लेकिन जब भी गांव आते थे तो उनकी बैठकी सबूतर में ही जमती थी। शकील अहमद बताते हैं कि इस पंचायत के पूर्व सरपंच स्व. मौलाना अब्दुल हकीम से उनकी गजब की यारी थी। अब मौलाना साहब तो नहीं रहे, लेकिन उनके दरवाजे पर आज भी उसी स्थान पर मचान मौजूद है। वे बताते हैं कि इसी मचान पर शास्त्री जी की बैठकी ग्रामीणों के साथ होती थी। बिना किसी भेदभाव गांव की समस्या से लेकर बच्चों की शिक्षा तक पर बात होती थी।

(भोला बाबू की प्रतिमा)

जब कुर्सी हटाकर मचान पर ही पल्थी मार बैठ गए थे शास्त्री जी

शकील अहमद के अनुसार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी स्व. शास्त्री गांव आए थे। बाद में वे आदतन सबूतर पहुंच गए। मौलाना साहब को लगा कि अब शास्त्री जी सीएम रह चुके हैं, इसलिए ढेर सारी कुर्सी लगवाई गई। इधर वहां पहुंचते ही शास्त्री जी ने कुर्सी हटवाकर मचान पर ही पल्थी मार पूर्व की तरह बैठ गए और फिर उसी अंदाज में बातचीत होने लगी। वे बताते हैं कि शास्त्री जी मौलाना साहब के यहां यदा-कदा मांगकर चाय-नाश्ता भी कर लेते थे।

(काझा कोठी स्थित स्मारक स्थल)

फरवरी 1968 को पहली बार बने थे सीएम

21 सितंबर 1914 को बैरगाछी में जन्म लेने वाले भोला पासवान शास्त्री ने स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम किरदार निभाया था। फरवरी 1968 में पहली बार वे बिहार के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए थे। उनका पहला कार्यकाल महज पांच माह का रहा था। दूसरी बार जून 1969 में वे इस पद पर आसीन हुए, लेकिन यह कार्यकाल महज एक माह का था। तीसरी बार वे जून 1971 में इस पद पर आसीन हुए थे और जनवरी 1971 तक इस पद पर आसीन रहे थे।


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