ज्योतिर्लिंग की तरह विख्यात है यहां का भीमशंकर महादेव
लोगों की आस्था यहां से इस कदर जुड़ी है कि भक्तों का तांता दर्शन-पूजन के लिए यहां लगा रहता है।
सुपौल, जेएनएन। ज्योतिर्लिंग की तरह विख्यात भीमशंकर महादेव जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर उत्तर पूरब तथा राघोपुर रेलवे स्टेशन से सात किमी दक्षिण की ओर गणपतगंज के धरहरा में अवस्थित हैं। लोगों की आस्था यहां से इस कदर जुड़ी है कि भक्तों का तांता दर्शन-पूजन के लिए यहां लगा रहता है। यहां मंदिर मे शादियां भी होती है। मान्यता है कि पांडवों ने भी यहां पूजा की थी।
भीमशंकर महादेव से संबंधित कई कई जनश्रुतियां प्रसिद्ध, लंबा रहा है इतिहास
भीमशंकर महादेव से संबंधित कई कई जनश्रुतियां प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि पांडवों द्वारा अज्ञातवास के क्रम में विराटनगर नेपाल जाने के दौरान पांडव पुत्र भीमसेन ने यहां रुककर अपने अराध्य देव शिव की पूजा-अर्चना की थी। उसी समय से लोग देव स्थल को भीमशंकर महादेव के नाम से जानने लगे। शिवङ्क्षलग कितना पुराना है अथवा मंदिर का क्या इतिहास है इसके कोई पुष्ट प्रमाण नहीं मिलते लेकिन मंदिर का अस्तित्व महाभारत काल में भी था ऐसा जनश्रुतियों में तो है। मंदिर का पुनरुद्धार 1930 में किया गया था।
पूजा की महत्ता
रविवार और सोमवार को यहां शिव भक्तों की अच्छी खासी भीड़ उमड़ती है और भक्त यहां पूजा-अर्चना के साथ जलाभिषेक करते हैं। खासकर सावन के महीने में कोसी बराज से जल भरकर कांवरिया पैदल चलते हुए इस देवस्थल तक आते हैं। पूजा-अर्चना कर जलाभिषेक करते हैं।
असाध्य रोगी होते हैं रोगमुक्त
लोगों की माने तो यहां पूजा करने से असाध्य रोगी भी बाबा की कृपा से रोगमुक्त हो जाते हैं। लोग इसके उदाहरण भी गिनाते हैं। इसलिए यहां लोगों की आस्था बढऩे के साथ ही भक्तों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।
लगता है मेला
यहां शिवरात्रि के मौके पर मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला एक सप्ताह तक चलता है। मेले में खासकर पूजन सामग्री की दुकानें काफी होती हैं जहां लोग खरीदारी करते हैं। इसके अलावा झूला आदि मेले का खास आकर्षण होता है।