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मुकुटधारी अग्रवाल जितने सामाजिक थे, उतने ही सांस्कृतिक और कलात्मक Bhagalpur News

भागलपुर जिले के जाने-माने उद्योगपति पत्रकार लेखक और इस्टर्न बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष मुकुटधारी अग्रवाल नहीं रहे।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 11:12 AM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 11:12 AM (IST)
मुकुटधारी अग्रवाल जितने सामाजिक थे, उतने ही सांस्कृतिक और कलात्मक Bhagalpur News
मुकुटधारी अग्रवाल जितने सामाजिक थे, उतने ही सांस्कृतिक और कलात्मक Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। जिले के जाने-माने उद्योगपति, पत्रकार, लेखक और इस्टर्न बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष मुकुटधारी अग्रवाल नहीं रहे।

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1937 में हुआ था जन्म, 23 अगस्त 2019 को ली आखिरी सांस

जिले के जाने-माने उद्योगपति, पत्रकार, लेखक और इस्टर्न बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष मुकुटधारी अग्रवाल नहीं रहे। वे अर्थशास्त्र के बड़े जानकार के थे। इसके साथ ही रोटरी क्लब ऑफ भागलपुर के पहले सदस्य थे। सामाजिक गतिविधियों में उनकी गहरी रुचि थी। शुक्रवार की शाम उन्होंने शहर के निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। वे कई दिनों से बीमार चल रहे थे। शनिवार को बरारी घाट पर उनका दाह-संस्कार किया जाएगा। वे अपने पीछे एक पुत्र और दो पुत्रियों सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन की खबर सुनते ही पूरा शहर मर्माहत हो गया। घर पर सांत्वना देने लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा।

पहली बार लगवाए थे किसान मेला, सैकड़ों हुए थे लाभान्वित

जिले के विकास में स्व. मुकुटधारी अग्रवाल का योगदान काफी अहम है। हमेशा वह विकास की बात ही सोचते थे। उनके पारिवारिक सदस्य बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप झुनझुनवाला बताते हैं कि जब वह चैंबर के अध्यक्ष थे तो किसानों के लिए सबसे पहले सबौर कृषि विवि में किसान मेला लगवाए थे। एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेले में जिले के किसान पहुंचे थे। बैंकों की मदद से सैकड़ों किसानों को खेती के उपकरण दिलाने में सहायक बने। उन्होंने इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा। एसोसिएशन के कार्यों में बराबर सलाह देते थे।

फेसबुक पर रोज भरते थे सभी में ऊर्जा

सोशल मीडिया (फेसबुक) पर वे रोज लोगों में ऊर्जा भरते थे। उनके आखिरी संदेश भी शहरवासियों के हितों को लेकर ही था। उन्होंने चार दिन पहले 20 अगस्त की सुबह 10.45 बजे लिखा था कि चाटुकारों से बचें..ये तभी तक आपकी चाटुकारिता में हैं, जब तक उनका आपसे स्वार्थ सिद्धि हो रही है। 19 अगस्त को उन्होंने शंकराचार्य के उपदेश से मृत्यु को भी परिभाषित किया था। फेसबुक पर शोक संदेश भी छाया रहा। आज भागलपुर रो रहा है, आपको कभी नहीं भूल पाएंगे..जैसे वाक्य से लोगों का दु:ख झलकता रहा।

मुझे चेंबर से जोड़ा बहुत कुछ सिखाया

शहर ने एक पुरोधा खो दिया। सरकार की बेहतर आर्थिक नीतियों की प्रशंसा तो भविष्य में नुकसान देने वाली नीतियों की आलोचना करने में वे कभी पीछे नहीं रहे। चेंबर के अध्यक्ष के रूप में उनका छह साल अविस्मरणीय है। उन्होंने ही मुझे चेंबर से जोड़ा, बहुत कुछ सिखाया। - शैलेन्द्र कुमार सर्राफ, पूर्व अध्यक्ष, ईस्टर्न ऑफ कॉमर्स

व्यापारी थे पर समाज व सरोकारों की चिंता में ही जीवन गुजारा

मुकुटधारी अग्रवाल की शख्सियत बिल्कुल अलग थी। वे जितने सामाजिक थे, उतने की सांस्कृतिक, उतने ही कलात्मक। पूरा शहर उनके घर जैसा ही था। समाज के लिए उनकी चिंता बेहद गहरी रही है। यूं तो वे व्यावसायी थे, लेकिन कभी व्यापार तक सीमित नहीं रहे। वे पत्रकार थे। रंगकर्मी थे। तकनीक को ग्रामीण भारत से भी जोड़ने को इच्छुक रहे। उनके जीवन का सबसे खास पहलु स्पष्टवादिता थी।

गुरुवार को अचानक बिगड़ गई थी तबीयत

मुकुटधारी अग्रवाल अरसे से बीमार चल रहे थे। उनकी तबीयत गुरुवार को अचानक तबीयत ज्यादा बिगड़ जाने के बाद उन्हें एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। सांस में तकलीफ के बाद उन्हें पेसमेकर लगाया गया था। 82 वर्षीय अग्रवाल ने शुक्रवार की शाम 6.15 बजे आखिरी सांस ली और दुनिया को अलविदा कह दिया।

मीडिया वालों के लिए चलता-फिरता दस्तावेज थे

वह लंबे समय तक मीडिया में रहे। इसके बाद व्यवसाय और चैंबर से जुड़ गए। इसके बाद भी वह मीडिया कर्मियों के लिए चलते-फिरते दस्तोवज से कम नहीं थे। शहर के इतिहास, व्यवसाय से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी शेयर करते थे।

अनुच्छेद 370 पर जागरण से हुई थी बात

मुकुटधारी अग्रवाल से दैनिक जागरण की बात जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने पर जागरण से आखिरी बार हुई थी। इन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के निर्णय का पुरजोर समर्थन और स्वागत किया था।

सांसद सहित प्रबुद्ध लोगों ने शोक व्यक्त किया

उनके निधन की खबर सुनते ही पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई। सांसद अजय मंडल, राज्यसभा सदस्य कहकशां परवीन, पूर्व सांसद शैलेश कुमार, विधायक अजीत शर्मा, मेयर सीमा साहा, डिप्टी मेयर राजेश वर्मा, भाजपा के भागलपुर जिला अध्‍यक्ष रोहित पांडेय, पार्षद डॉ. प्रीति शेखर ने शोक व्यक्त किया। चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अध्यक्ष अशोक भिवानीवाला, उपाध्यक्ष अजीत जैन, नीरज कोटरीवाला, शरद सलारपुरिया, महासचिव रोहित झुनझुनवाला, सचिव पुनीत चौधरी ,गिरधर गोपाल मावंडिय़ा, कोषाध्यक्ष मनीष बुचसिया, पीआरओ अभिषेक जैन, आशीष सर्राफ,अभिषेक डालमिया, पदम जैन ने शोक जताया और शनिवार को चैंबर कार्यालय बंद रखने की बात कही। शहर के व्यवसायी कुंज बिहारी झुनझुनवाला, सुमित जैन, अभिषेक डालमिया, अश्विनी जोशी मोंटी, जॉनी संथालिया, रमण साह, अमर गोयनका सहित अन्य व्यवसायियों ने दुख जताया।

ट्रेन कोच पर मंजूषा पेंटिंग की उठाई थी आवाज

अग्रवाल ने अंग क्षेत्र की प्रसिद्ध विषहरी पूजा पर आधारित लोक चित्रकला 'मंजूषा' को भागलपुर से चलने वाली ट्रेनों के कोचों पर उकेरने की आवाज उठाई थी। इसके लिए उन्होंने डीआरएम और पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक को पत्र भी लिखा था।

सदैव बड़े भाई की तरह मानते थे

चैंबर के पूर्व अध्यक्ष राम गोपाल पोद्दार ने कहा कि उनके लिए आज का दिन बड़ा दुखदायी है। आज सिर से बड़े भाई का साया उठ गया। चैंबर में जब मुकुटधारी अग्रवाल अध्यक्ष थे, तो वे भी उनके साथ उपाध्यक्ष थे। उन्होंने सभी व्यवसायियों को साथ लेकर चलने का काम किया। 30 वर्षों तक उनका साथ रहा। इसके बाद उन्होंने मुझे चैंबर का अध्यक्ष बनाया। जब भी किसी कार्य में उलझ जाते थे तो वह तुरंत मदद करते थे। उनकी सादगी को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

पिताजी की कमी नहीं खलने दी कभी

इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार झुनझुनवाला ने कहा कि पिताजी के निधन होने के बाद इन्होंने पिता की तरह सहारा दिया। कभी भी उनकी कमी खलने नहीं दी। उनकी गोद में खेलकर बड़ा हुआ। छात्र जीवन में भी हमेशा पढ़ाई के बारे में पूछते रहते थे। आज जो भी कुछ हूं उन्हीं की बदौलत हूं। उनके निधन से गहरा झटका लगा है, जिसे बयां नहीं कर सकता हूं। पूरा परिवार सदमे में हैं।

इससे पहले शहर के जाने-माने उद्योगपति, चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष व पत्रकार मुकुटधारी अग्रवाल के अंतिम दर्शन के लिए दिनभर लोगों का तांता लगा रहा। राज्यसभा सांसद कहकशां परवीन ने घर पहुंच कर परिजनों को सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि आज हमने बड़े भाई को खो दिया। इसके बाद मेयर सीमा साहा, डिप्टी मेयर राजेश वर्मा, समाजसेवी प्रकाशचंद्र गुप्ता, नागरिक विकास समिति के अध्यक्ष जियाउर रहमान, प्रधान सलाहकार रमण कर्ण, सत्यनारायण प्रसाद, राकेश रंजन केसरी, चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अशोक भिवानी वाला, महासचिव रोहित झुनझुनवाला, रामगोपाल पोद्दार, पारिवारिक सदस्य प्रदीप झुनझुनवाला सहित शहर के अन्य लोगों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

शाम में बरारी श्मशान घाट के लिए निकली अंतिम यात्रा

शाम 4.10 बजे मुकुटधारी अग्रवाल का शव ट्रक पर रखा गया। अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ गया। शाम 4.55 वाहन बरारी स्थित श्मशान घाट पहुंचा। 5.20 के पास बेटे आलोक अग्रवाल ने मुखाग्नि दी। इस दौरान नगर विधायक अजीत शर्मा श्मशान घाट पर पहुंचे और परिजन को सांत्वना दिया। चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व सचिव मनोज जैन ने कहा कि उनकी कमी हमेशा खलेगी।

हमेशा दिलों में रहेंगे मुकुटधारी अग्रवाल
चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष, पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता मुकुटधारी अग्रवाल के निधन पर नया बाजार स्थित आवास पर शोकसभा आयोजित की गई। इसमें शहर के सभी प्रतिष्ठित व्यवसायी और सामाजिक संगठन के लोग पहुंचे। सभी ने उनके चित्र पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। शोकसभा की अध्यक्षता करते हुए इस्र्टन बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप झुनझुनवाला ने कहा कि स्व. अग्रवाल को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वह दिलों में हमेशा रहेंगे। उन्होंने सदैव जिले के विकास के बारे में सोचा। भागलपुर व्यवसायिक हब कैसे बने। इस पर उनका बेहतर योगदान रहा है। चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अशोक भिवानीवाला ने कहा कि व्यवसाय कार्यों के संचालन जब भी परेशानी होती थी तो उसे तुरंत सुलझा देते थे। जिला अग्रवाल सम्मेलन के अध्यक्ष कुंज बिहार झुनझुनवाला ने उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। शोकसभा में भागलपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अमर गोयनका, अशोक बसंल, गौरव बसंल, अजीत कोटरीवाल, बिल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नितेश संथालिया, मोती मातृ सेवा सदन के अध्यक्ष सहित शहर के कई गणमान्य थे।  


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