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एलएचबी कोच से चलेगी भागलपुर-नई दिल्ली और अजमेर एक्सप्रेस

एलएचबी कोचों में डिस्क ब्रेक कम समय व कम दूरी में अच्छे ढंग से पकड़ता है। शॉक-एक्जावर की वजह से झटकों का अनुभव कम होगा। और भी कई फायदे हैं इस कोच में।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 02:52 PM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 05:44 PM (IST)
एलएचबी कोच से चलेगी भागलपुर-नई दिल्ली और अजमेर एक्सप्रेस
एलएचबी कोच से चलेगी भागलपुर-नई दिल्ली और अजमेर एक्सप्रेस

भागलपुर [जेएनएन]। भागलपुर से चलने वाली नई दिल्ली साप्ताहिक एक्सप्रेस और अजमेर एक्सप्रेस का परिचालन अगले महीने से एलएचबी (लिंक हॉफमेन बुश)कोच से होगा। कोच बदलने का नोटिफिकेशन रेलवे ने जारी कर दिया है। दोनों में ट्रेनों में साधारण, एसी, एसी थ्री, एसी-टू, गार्ड और जनरेटर यान मिलाकर कुल 22 कोच होंगे। पहले चरण में एलएचबी की सात बोगियां भागलपुर आ गई है। एक सप्ताह के अंदर 15 और कोच आ जाएंगे। दरअसल, ट्रेन में अभी तक आइसीएफ कोच लगे थे। एलएचबी कोच का प्रयोग अभी इस रूट से चलने वाली अंग एक्सप्रेस, कामख्या-गया और विक्रमशिला सुपरफास्ट में किया जा रहा है। उच्च स्तरीय तकनीक से लैस इस कोच में बेहतर शॉक एक्जावर का उपयोग होता है।

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एलएचबी के खासियत और फायदे

-पुराने रैक में स्लीपर क्लास में 72 बर्थ होते हैं, जबकि इसमें 81 सीटें होती है। इसी तरह एसी थ्री कोच, एसी टू में भी बर्थ की संख्या आठ से दस ज्यादा होता है।

-एलएचबी कोच पुराने कंवेशनल कोच से काफी अलग होते हैं। ये उच्च स्तरीय तकनीक से लैस है। पटरियों पर दौड़ते वक्त अंदर बैठे यात्रियों को ट्रेन चलने की आवाज बहुत धीमी सुनाई देती है।

-कोच स्टेनलेस स्टील और एल्यूमीनियम से बने होते हैं। जिससे कि यह कोच पहले की तुलना में हल्काहोता हैं।

-इन कोचों में डिस्क ब्रेक कम समय व कम दूरी में अच्छे ढंग से पकड़ता है। शॉक-एक्जावर की वजह से झटकों का अनुभव कम होगा।

-सीबीसी कपलिंग तकनीक के कारण हादसे में दुर्घटना की संभावना कम होती है। दुर्घटना होने के पर भी बोगियां एक-दूसरे पर नहीं चढ़ती है।


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