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भागलपुर नगर निगम: मजदूरी घोटाला मामले में कार्रवाई सुस्‍त, नगर निगम प्रशासन पर उठ रहे सवाल

भागलपुर नगर निगम में मजदूरी घोटाला मामले में कार्रवाई धीमी हो गई है। जिन आठ दैनिक मजदूरों को बिना कार्य कराए निगम से भुगतान करने का अनिल ने आरोप लगाया है उन मजदूरों से निगम ने नोटिस जारी कर जवाब तक नहीं मांगा...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 01:34 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 01:34 PM (IST)
भागलपुर नगर निगम में मजदूरी घोटाला मामले में कार्रवाई धीमी हो गई है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस घोटाले को लेकर पांच कर्मियों के खिलाफ ताबड़तोड़ फरमान जारी कर कार्रवाई हुई। वहीं मजदूरी घोटाले की जांच पर निगम प्रशासन ने पर्दा डाल रखा है। जिन आठ दैनिक मजदूरों को बिना कार्य कराए निगम से भुगतान करने का अनिल ने आरोप लगाया है, उन मजदूरों से निगम ने नोटिस जारी कर जवाब तक नहीं मांगा। इन मजदूरों का न ही भौतिक सत्यापन किया है। नतीजतन मामले की जांच निगम की फाइलों में कैद हो गई है। निगम प्रशासन अब पर्दा डालने की जद्दोजहद कर रहा है, जबकि पार्षदों ने हाईकोर्ट में याचिका दर्ज करा दी गई है। 2019 से अप्रैल 2021 तक बिना कार्य के निगम भुगतान करता रहा। इसकी जांच अधूरी है।

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निगम के स्वास्थ्य शाखा से लेकर लेखा शाखा की फाइलों में राज दफन हैं। मामले की लीपापोती के लिए तत्कालीन जोनल प्रभारी राकेश भारती व पुर्णेंदू झा को निलंबित कर खानापूर्ति की गई। जिस वार्ड में अनिल से कार्य लिया गया वहां के वार्ड प्रभारी की हाजिरी पर हस्ताक्षर है। इसके बाद जोनल प्रभारी और स्वास्थ्य शाखा प्रभारी के टेबल से भुगतान की फाइल गुजरती है। इनसे भी जवाब-तलब नहीं किया गया।

अनिल के आरोपों पर निगम ने नहीं मांगा जवाब

शाहकुंड के अनिल कुमार के आरोप पर निगम ने माना है कि मजदूरों से कार्य कराया गया है। निगम के लेखा शाखा से अनिल समेत सात कर्मियों से कार्य कराने की पुष्टि की है। स्वास्थ्य शाखा ने इन मजदूरों से कहां-कहां कार्य कराया, इसका जवाब अब जिला प्रशासन की जांच कमेटी, आदमपुर थाना व हाईकोर्ट को देना होगा। न्यायालय में निगम ने जवाब दिया है कि इन मजदूरों को मेयर की ओर से उपलब्ध कराया गया था। इनसे कार्य लिया गया है। निगम के स्तर से जांच तक नहीं कराई गई। जब अनिल कुमार कह रहे हैं कि मैं निगम का कर्मी नहीं हूं, इसके बावजूद निगम ने बिना कार्य के भुगतान कर दिया। निगम प्रशासन को पहले राशि आवंटित करने वालों पर प्राथमिकी दर्ज करना था।

सफाई मजदूरों के परेड शामिल नहीं हुए दोषी कर्मी

नगर निगम में सफाईकर्मियों की परेड चार माह पूर्व कराई गई। लेखा शाखा प्रभारी के समक्ष सफाई मजदूरों की फोटोग्राफी कराई गई। इस दौरान उनसे बैंक खाते और आधार कार्ड की प्रति ली गई थी, लेकिन आरोपित कर्मियों का भौतिक सत्यापन नहीं कराया गया। ऐसे में आखिर ये मजदूर कहां चले गए।

यह है पूरा मामला

शाहकुंड के अनिल कुमार तांती ने बताया था कि वह जिला परिषद अध्यक्ष अनंत कुमार के पेट्रोल पंप पर जून 2013 से काम कर रहा था। उसका मासिक वेतन 12000 रुपये था, लेकिन आईओसीएल और पंप मालिक टुनटुन साह के मैनेजर और फील्ड आफिसर का वेतन 15189 रुपये होता है। उन्हें नकद तो कभी चेक के माध्यम से भुगतान किया जाता था। वेतन का भुगतान उनके बैंक खाते में किया जाने लगा। इसके साथ निगम से उनके बैंक खाते भुगतान आना लगा। इसमें उनकी निर्धारित मजदूरी 12000 रुपये से बढ़कर 15189 रुपये आने लगा। पंप संचालक द्वारा नकद निकलवाकर देने का दवाब बनाने लगे। नगर निगम के खाता से 10 दिसंबर 2019 से 19 अगस्त 2021 तक नगर निगम के खाते से मेरे एसबीआई के खाते में 1,62,488 रुपये जारी किया है।

फर्जी भुगतान का आरेाप

अनिल तांती ने नौ लोगों को भुगतान करने की शिकायत दर्ज कराई है। इसमेंं अनिल कुमार तांती, मो. अख्तर, मो. केशर, अंजुम परवेज, नजरुल, लाल बहादुर ङ्क्षसह, अनिल कुमार, गणेशी यादव और दीपक ङ्क्षसह शामिल हैं। इनमें से कोई भी व्यक्ति नगर निगम के कर्मचारी नही है।  


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