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सृजन घोटाला : अब होगा स्पेशल ऑडिट, सर्टिफिकेट केस की सुनवाई टली Bhagalpur News

पहले चरण में डीआरडीए और जिला परिषद से जुड़ी राशि का स्पेशल ऑडिट होगा। डीएम ने संबंधित विभागों को मनी सूट और सर्टिफिकेट केस भी करने कहा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 10:21 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 10:21 AM (IST)
सृजन घोटाला : अब होगा स्पेशल ऑडिट, सर्टिफिकेट केस की सुनवाई टली Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। सृजन घोटाले में सरकार को कितनी राशि का नुकसान हुआ अब तक इसका सही से आकलन नहीं हो सका है। घोटाले में गई राशि का पता लगाने के लिए जिला प्रशासन अब स्पेशल ऑडिट कराएगा। इसके लिए डीएम ने महालेखाकार और वित्त विभाग को पत्र लिखा है। पहले चरण में डीआरडीए और जिला परिषद से जुड़ी राशि का स्पेशल ऑडिट होगा। साथ ही डीएम ने संबंधित विभागों को मनी सूट और सर्टिफिकेट केस भी करने कहा है। डीएम के आदेश पर स्वास्थ्य और कल्याण आदि विभागों ने मनी सूट के लिए विभाग से राशि मांगी है।

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सृजन से जुड़ी राशि का ऑडिट महालेखाकार के स्तर से हो चुका है। इस ऑडिट से डीएम संतुष्ट नहीं हैं। ऑडिट में यह पता नहीं चल पाया है कि कितनी राशि सृजन के खाते में गई और कितनी लौटकर सरकारी खजाने में आ गई है। इधर, डीडीसी के स्तर से बनी कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडियन बैंक के एक और बैंक ऑफ बड़ौदा के छह बैंक खातों से सृजन के खाते में राशि जमा की गई है। 20 करोड़ 26 लाख 18 हजार रुपये चेक के माध्यम से इन बैंकों में तो जमा हुए हुए, लेकिन डीडीसी के बैंक खातों में राशि हस्तांतरित न होकर सृजन के खाते में भेज दी गई।

इसी प्रकार तीन करोड़ पांच लाख 81 हजार 175 रुपये 65 पैसे 24 विभिन्न बैंक खातों में बंद करने के बाद ड्राफ्ट से जमा किए गए। यह राशि डीडीसी के खाते में ट्रांसफर न होकर सृजन के खाते में भेज दिया गया। 52 करोड़ 26 चेक के माध्यम से बैंकों में जमा किए गए और वहां से राशि सृजन के खाते में चली गई। 26 चेकों में 23 चेक इंडियन बैंक से संबंधित थे। यह राशि 12 दिसंबर 2006 से 22 अक्टूबर 2009 के बीच जमा हुए थे। इस अवधि में डीडीसी लक्ष्मी प्रसाद चौहान, गजानन मिश्र, लेखा पदाधिकारी गिरिजेश प्रसाद श्रीवास्तव, निरंजन कुमार झा, शिव नारायण सिंह थे। इनसे मिलता जुलता हस्ताक्षर चेक पर अंकित है। इससे यह साबित नहीं हो पा रहा है कि चेक पर इन अधिकारियों के ही हस्ताक्षर थे। अरुण कुमार और अमरेंद्र कुमार यादव नजारत के प्रभार में थे। अमरेंद्र कुमार यादव 17 फरवरी 10 से 11 फरवरी 13 तक नाजिर थे। तीन चेक बैंक ऑफ बड़ौदा से संबंधित थे, जिसकी जांच सीबीआइ के पास कागजात रहने के कारण नहीं हो पाई।

बैंकों ने फर्जी तरीके से सृजन में भेजे रुपये

डीआरडीए प्रशासन मद में केंद्रांश की राशि 42 लाख आठ हजार बैंक ऑफ बड़ौदा के खाता संख्या 13124 में हस्तांतरण के लिए स्टेट बैंक से भेजी गई। एसजीआरवाइ के सात करोड़ 33 लाख 28 हजार 549 रुपये इंडियन बैंक खाता संख्या 90102 से मनरेगा के इंडियन बैंक के खाता संख्या 730305580 में हस्तांतरित किए गए। बैंकों ने फर्जी तरीके से यह राशि सृजन के खाते में हस्तांतरित कर दी। कमेटी ने राशि हस्तांतरण के लिए सीधे-सीधे बैंक को जिम्मेदार ठहराया है।

प्रभात कुमार सिन्हा के कार्यकाल में अवैध निकासी

प्रभात कुमार सिन्हा 29 दिसंबर 2012 से 17 अप्रैल 2013 तक भागलपुर में डीडीसी सह जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी थे। उनके कार्यकाल में डीआरडीए की चार करोड़ 82 लाख और जिला परिषद की 22 करोड़ 32 लाख रुपये की अवैध तरीके से निकासी हुई थी। एजी की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार डीआरडीए की 89 करोड़ 83 लाख रुपये और जिला परिषद की 101 करोड़ 78 लाख रुपये की अवैध निकासी हुई है। इसे लेकर अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

सर्टिफिकेट केस की सुनवाई टली

जिला आपूर्ति पदाधिकारी के स्थानांतरण होने के कारण सर्टिफिकेट केस की सुनवाई 15 दिनों के लिए टल गई है। जिला आपूर्ति पदाधिकारी ही जिला नीलाम पत्र पदाधिकारी थे। जिला आपूर्ति पदाधिकारी का प्रभार डीआरडीए निदेशक को दिया गया है। लेकिन उन्हें जिला नीलाम पत्र पदाधिकारी का प्रभार नहीं मिला है। सुनवाई मंगलवार को होनी थी।

विभाग ने दी अभियोजन की स्वीकृति

डूडा के अधिकारी ने कर्मचारी भीम नंदन ठाकुर पर अभियोजन चलाने की स्वीकृति दे दी है। सीबीआइ ने भीम नंदन ठाकुर पर अभियोजन चलाने की स्वीकृति मांगी थी।

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