भागलपुर जिला प्रशासन के कर्मचारी को शराब पीना पड़ा महंगा, DM ने कहा अब घर में बैठिए, आपकी मुझे आवश्यकता नहीं
भागलपुर में जबरन रिटायर किए गए शराब पीकर हंगामा करने वाले कर्मी। कार्यालय परिचारी जयगणेश प्रसाद पर जिलाधिकारी ने की कार्रवाई। कचहरी परिसर में शराब पीकर हंगामा करने के दौरान पकड़ा गया था कर्मचारी। जिलाधिकारी ने कहा कि शराबबंदी में शराब पीने वालों पर कार्रवाई होगी।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। जिला प्रपत्र एवं लेखन सामग्री शाखा के कार्यालय परिचारी जयगणेश प्रसाद कर्ण को जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति (जबरन रिटायर) दे दी है। यह दंड शराब पीकर कचहरी परिसर में हंगामा करने के कारण मिला है।
जोगसर टीओपी प्रभारी ने जिला प्रशासन को 14 नवंबर 2019 को जानकारी दी थी कि जयगणेश 17 सितंबर 2019 को कार्यालय अवधि में कचहरी कैंपस में शराब के नशे में हंगामा करते हुए पकड़ा गया था। 18 सितंबर को कोतवाली में केस दर्ज करते हुए जेल भेज दिया गया। जोगसर टीओपी के आवेदन के आधार पर 11 दिसंबर 19 को कर्ण को निलंबित कर दिया गया और जिला प्रपत्र एवं लेखन सामग्री शाखा के प्रभारी पदाधिकारी से आरोप पत्र गठित कर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।
28 दिसंबर 19 को आरोप पत्र गठित कर जिला प्रशासन को उपलब्ध कराया गया। इसके बाद अपर समाहर्ता विभागीय जांच संचालन पदाधिकारी व जिला प्रपत्र एवं लेखन सामग्री शाखा के प्रभारी पदाधिकारी को प्रस्तुतिकरण पदाधिकारी नामित किया गया। चार सितंबर 20 को अपर समाहर्ता ने विभागीय कार्यवाही पूर्ण कर अपना मंतव्य जिलाधिकारी को सौंप दिया। कर्ण को जिला स्थापना शाखा द्वारा 24 जुलाई 19 को जिला निर्वाचन शाखा, जिला प्रोग्राम कार्यालय, जिला प्रपत्र शाखा के रात्रि प्रहरी के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। 17 सितंबर 19 को अनाप-शनाप बोलते हुए पुलिस ने कचहरी परिसर से उसे पकड़ा था। ब्रेथ एनेलाइजर से जांच में शराब पीने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद कर्ण को जेल भेज दिया गया। 12 अक्टूबर 19 को कर्ण ने जिला पारगमण शाखा में आवेदन देकर योगदान दिया। इसमें उसने गिरफ्तार कर जेल भेजने की बात को छूपा लिया। इसे लेकर कर्ण को निलंबित करते हुए मुख्यालय सदर एसडीओ कार्यालय कर दिया गया। कर्ण से स्पष्टीकरण भी मांगा गया था। स्पष्टीकरण के जवाब में कर्ण ने शराब पीने की बात स्वीकार कर ली। साथ ही उन्होंने कहा कि अज्ञानतावश अनुपस्थिति की तिथियों को लेकर आवेदन पत्र दिया। कोई तथ्य नहीं छुपाया गया। कर्ण के स्वीकार करने के बाद आरोप प्रमाणित हो गया। इसके बावजूद स्थापना शाखा द्वारा 16 सितंबर 20 दूसरी बार स्पष्टीकरण मांगा गया। स्पष्टीकरण के जवाब से जिला प्रशासन संतुष्ट नहीं हुआ और कोर्ट में आरोप पत्र समर्पित होने के बाद जिला प्रशासन ने इसे सरकार की छवि को धूमिल करने की बात करते हुए जयगणेश प्रसाद कर्ण को निलंबन मुक्त करते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी।