भागलपुर : अजगवीनाथ धाम में युवक को मगरमच्छ ने पकड़ा, खींचकर उतारा गंगा में, जांघ कट जाने के बाद तैरकर भागा युवक
भागलपुर के अजगवीनाथ धाम जहाज घाट में युवक को पकड़कर गंगा में ले गया मगरमच्छ जांघ कट जाने से बची जान। 20 फीट गहरे पानी में ले गया जबड़े में दबाए हुए। डाक्टर ने बताया कि पैर की हड्डी टूटी गहरा जख्म हुआ।
संवाद सूत्र, सुल्तानगंज (भागलपुर)। भागलपुर जिले के अजगवीनाथ धाम स्थित जहाज घाट पर कभी-कभी दिखने वाला मगरमच्छ अब नरभक्षी बन गया है। उसने शुक्रवार को वार्ड-24 दुधैला निवासी गणेश मंडल के पुत्र सुरेश (35) पर हमला बोल दिया। उसका पैर जबड़े में दबाए 20 फीट गहरे पानी में लेकर चला गया। किसी तरह मगरमच्छ के मुख से सुरेश मंडल का पैर छूट गया और वह जान बचाकर गंगा से तैरकर बाहर निकल गया। अपनी सूझबूझ से अपनी जान बचाई। हालांकि मगरमच्छ के हमले से युवक का दायां पैर गंभीर रूप से जख्मी हो गया। जिसे स्थानीय लोगों के द्वारा उसे उसके घर तक पहुंचाया गया। जहां पर उसका प्राथमिक उपचार किया गया। रात में काटने के बाद जब वह दर्द से बेचैन होने लगा तो उसे स्वजनों के द्वारा इलाज के लिए एक निजी क्लीनिक में भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सकों के द्वारा इलाज करने के बाद बेहतर इलाज के लिए के भागलपुर के डॉ हेमशंकर शर्मा के यहां रेफर कर दिया गया।
कहते हैं जख्मी सुरेश
घटना के बाबत जख्मी सुरेश मंडल ने बताया कि गुरुवार की रात्रि करीब 8:30 बजे दुधैला दियारा से नाव के द्वारा गंगा पार कर सुल्तानगंज पहुंचे थे और शौचालय करने के बाद पानी लेने के लिए गंगा के करीब गए थे। तभी अचानक मगरमच्छ में हमला बोल दिया और मेरा दांया पैर को जबड़ा में दबाकर तेजी से झटका मारकर पानी में चला गया। पैर का मांस कट जाने की वजह से मेरा पैर उसके जबड़े से छूट गया और मैं किसी तरह जान बचाकर गंगा नदी से तैर कर बाहर निकल आया। गंगा से कुछ दूरी पर लेट गया। पैर में दर्द और जलन अधिक होने से चल भी नहीं पा रहा था। स्थानीय लोगों के द्वारा मुझे घर पहुंचाया गया। जहां पर स्थानीय डॉक्टरों के द्वारा रात में इलाज कराया गया ।
क्या कहते हैं चिकित्सक
घटना की पुष्टि करते हुए डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि जिस हिसाब से युवक बता रहा है वैसा सिर्फ मगरमच्छ ही कर सकता है और यह बहुत ही भाग्यशाली और हिम्मतबाज है जो कितना गहरा जख्म रहते हुए भी अभी तक सुरक्षित है। जबकि मगरमच्छ के काटने से 9 से 25 घंटा तक असुरक्षित समय माना जाता है। लेकिन, 15 घंटे बीत जाने के बाद भी यह अभी तक सुरक्षित है । हालांकि पैर में बहुत गहरा जख्म भी है और प्रहार के कारण से पैर का हड्डी टूट गया है। इसे पेन किलर देते हुए पैर को पूरी तरह ठीक करने के बाद बेहतर इलाज के लिए डॉ हेमशंकर शर्मा के यहां रेफर कर दिया गया है।