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बांका के कोकून उत्पदाक किसान बनाएंगे FPO, खुद करेंगे अपने उत्पदा की मार्केटिंग

बांका के किसान भी अब अपने उत्‍पदों की खुद मार्केटिंग करेंगे। इसके लिए वे लोग एफपीओ बना रहे हैं। कोकून किसानों ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। इससे उन्‍हें अपने उत्‍पदों का सही कीमत मिल सकेगा।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 08:51 AM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 08:51 AM (IST)
बांका के कोकून उत्पदाक किसान बनाएंगे FPO, खुद करेंगे अपने उत्पदा की मार्केटिंग
बांका के कोकोन उत्‍पादक किसान भी अब अपने उत्‍पदों की खुद मार्केटिंग करेंगे।

बांका, जेएनएन। कोकून किसानों ने अपनी बेहतरी के लिए जयपुर में एक किसान उत्पादन संगठन (FPO) का निर्माण किया। बुधवार को मुरली कैन ऊपर चक मढिय़ा विद्यालय में अगर परियोजना पदाधिकारी प्रणव कुमार के नेतृत्व में किसानों की एक बैठक की गई। इस संगठन में फिलहाल एक सौ किसानों की भागीदारी होगी। प्रत्येक किसान एक हजार रुपया शुल्क लगाकर उनके शेयर पार्टनर बनेंगे। एक हजार किसानों द्वारा जमा की गई सदस्यता शुल्क लगभग दस लाख रुपए संगठन कोष में जमा होगा।

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नावार्ड भी किसानों को देगी सहायता राशि 

संगठन के विकास के लिए नाबार्ड उतनी ही राशि देकर सहयोग करेगी। बौंसी अग्र परियोजना पदाधिकारी प्रणय कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि इस संगठन के माध्यम से किसान कोकून उत्पादन से लेकर कोकून से बने उत्पाद बेचने के दर तक का निर्धारण खुद कर सकेंगे। कोकून व्यापार से लेकर धागा निकालने के लिए रेङ्क्षलग सेंटर बीजागार आदि स्रोतों से आमदनी की भागीदारी सभी किसानों का बराबर होगा। मुक्ति निकेतन के अध्यक्ष प्रणव कुमार ने (एफपीओ) तसर किसान उत्पादन संगठन में किसानों भागीदारी, तसर के उत्पाद एवं उनके फायदे के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए संगठन के बारे में किसानों को प्रेरित किया।

इस बैठक में मुख्य रूप से तो सर किसान मौजूद थे। जहां पर कोकून उत्पात से लेकर निर्यातक पर आमदनी के बेहतर आयामों को बताया गया।

बैठक में किसान अरुण कुमार यादव, अभिमन्यु ङ्क्षसह, संतोष ङ्क्षसह, भैरव यादव, बौसी से मु. इम्तियाज मुकेश यादव, सीताराम मुर्मू ,मोहम्मद इबरार, श्यामलाल मुर्मू, चंदन, निरंजन चौधरी सहित दर्जनों किसान मौजूद थे।

इस तरह काम करेगा एफपीओ

एफपीओ के माध्‍यम से रेशम किसान अपने उत्‍पादों की मार्केटिंग खुद कर सकेंगे। उन्‍हें किसी दूसरे के भरोसे रहने की जरूरत नहीं होगी। इससे उन्‍हें अपने उत्‍पाद का सही कीमत मिल सकेगा। अभी वे अपने उत्‍पदा की बिक्री के लिए दूसरों पर आश्रित हैं। इससे उन्‍हें आर्थिक नुकसान सहना पड़ता है। 


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