अटल यादें: जब भागलपुर पहुंचे भारत रत्न वाजपेयी बोले- मैं बिन बुलाए भगवान के पास ना जाऊं
अटल यादें आज भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpaye) की तीसरी पुण्यतिथि है। उनके भाषणों को हर कोई सुनना चाहता था। आज भी उनके कई भाषण लोगों को आकर्षित करते हैं। भागलपुर उनके यहां दिए हुए कुछ संबोधन की अमिट यादें अपने जहन में लिए हुए है।
ऑनलाइन डेस्क, भागलपुर। 16 अगस्त 2018 का दिन, जब लोग आजादी का जश्न मना अगले दिन अपने अजीज भारत रत्न और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के कुशल स्वास्थ्य की कामना कर रहे थे। मेडिकल बुलेटिन जारी हुआ और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। दुखद समाचार टीवी चैनलों से लेकर इंटरनेट मीडिया में दौड़ने लगे। खबर थी कि 'नहीं रहे अटल'। अटल एक ऐसा नाम, जिसे सत्ता ही नहीं विपक्ष के लोग भी सम्मान के साथ लेते रहे। आज उनकी तीसरी पुण्यतिथि है। उनकी अटल यादें लोगों के जहन में आज भी जिंदा हैं। ऐसी ही यादों का गवाह है बिहार का भागलपुर जिला।
साल 1984 की बात थी, जब भागलपुर के बीजेपी कार्यकर्ता अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन को उनके साथ सेलीब्रेट करने के इच्छुक हुए। ये पूर्व पीएम का 60वां जन्मदिन था। इसके लिए भागलपुर से उन्हें आमंत्रित किया गया। भागलपुर के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए वाजपेयी भागलपुर पहुंचे। यहां लाजपत पार्क में उनकी सभा आयोजित की गई। लाजपत पार्क पहुंचे वाजपेयी से जब पूछा गया कि आप बहुत दिनों बाद भागलपुर आए हैं, तो उन्होंने तत्काल जवाब दिया, 'मैं बिन बुलाए भगवान के पास भी नहीं जाने वाला हूं।'
अटल यादें: इस बाबत बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष अभय वर्मन ने कहते हैं कि अटल जी देशभर में पार्टी फंड के लिए दौरा कर रहे थे। इसी को लेकर उन्हें भागलपुर में भी आमंत्रित किया था। जब वे भागलपुर आए थे, उस समय उनका 60वां जन्मदिन था। लाजपत पार्क के मंच से वाजपेयी जनता को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान लोगों ने उनसे कहा कि काफी दिन बाद आप भागलपुर आए हैं तो उन्होंने कहा 'मैं बिना बुलाए तो भगवान के पास भी नहीं जाने वाला हूं'। उनके भाषण में चुटीला अंदाज रहता था, व्यंग रहता था।
2005 में सैंडिस कंपाउंड में भाषण
अटल यादें लिए सैंडिस कंपाउंड भी वाजपेयी के भाषण को याद करता है। 2005 में अटल बिहारी वाजपेयी भागलपुर पहुंचे और यहां उन्होंने सैंडिस कंपाउंड में भाषण दिया। ये वो दिन थे जब अटल ने अपने घुटने का ऑपरेशन कराया था इसलिए उनके लिए जो मंच बनी सीढ़ी की उंचाई 4 इंच से अधिक नहीं थी। जनता अटल को सुनना चाहती थी इसके लिए बीजेपी नेताओं को भाषण के दौरान हूटआउट कर रही थी। जनता का ऐसा व्यवहार करने का उद्देश्य था कि अटल जी के सामने कोई भी अपना विचार न दें। वे सिर्फ और सिर्फ अटल जी को ही सुनना चाहती है। अटल यादों का गवाह भागलपुर आज उन्हें नमन कर रहा है।
अटल यादें: 2018 का वो दिन...
जब अटल भागलपुर पहुंचे, तब पूरे बिहार में बाढ़ आई हुई थी। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा, 'पूरा बिहार डूबा लेकिन एक व्यक्ति नहीं डूबे वह हैं...बिंदेश्वरी दुबे।' उस समय बिंदेश्वरी दुबे बिहार के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। भगवान के घर जाने वाली अटल बिहारी वाजपेयी की 1984 में कही हुई बात 2018 सत्य लगी। अटल बिहारी वाजपेयी अटल मृत्यु से तब तक संघर्ष करते रहे, जब तक भगवान ने उनको अपने पास नहीं बुला लिया। 16 अगस्त 2018 दिन गुरुवार, शाम पांच बजकर पांच मिनट पर वाजपेयी ने इस संसार को अलविदा कह दिया।