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हर साल बाढ़ का प्रकोप झेलते हैं नरपतगंज के लोग, तीन महीने तक बाढ़ से घ‍िरा रहता अंचरा और मानिकपुर

सीमांचल के नरपतगंज के लोग हर साल बाढ़ का प्रकोप झेलते हैं। सबसे अध‍िक परेशानी नेपाल से सटे इलाके में होती है। यहां पर लगभग तीन महीने तक पूरा इलाका बाढ़ से घ‍िरा रहता है। इससे लोगों को काफी परेशानी...

By Abhishek KumarEdited By: Published: Wed, 25 May 2022 11:52 AM (IST)Updated: Wed, 25 May 2022 11:52 AM (IST)
हर साल बाढ़ का प्रकोप झेलते हैं नरपतगंज के लोग, तीन महीने तक बाढ़ से घ‍िरा रहता अंचरा और मानिकपुर
सीमांचल के नरपतगंज के लोग हर साल बाढ़ का प्रकोप झेलते हैं। फोटो- गूगल।

संसू, फुलकाहा (अररिया)। भारत नेपाल सीमा से सटे नरपतगंज प्रखंड के उत्तरी भाग का दो पंचायत अंचरा और मानिकपुर पंचायत अत्यधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। यहां जब बाढ़ का पानी जब प्रवेश करता है तो उसे निकालने में करीब तीन माह लग जाते हैं किंतु बांकी के पंचायतों में ऐसा नहीं होता। पड़ोसी देश नेपाल के सुनरसरी जिला स्थित भूटहा बांध के जल दबाव के कारण टूटते हीं सीमावर्ती इलाके में बाढ़ अपना रंगत दिखाने लगती है।

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कमोबेश हर वर्ष बारिश के महीने में तराई क्षेत्र में लगातार मूसलाधार बारिश होते हीं नेपाल की नदियां उफना जाती है और हजारों क्यूसेक पानी नेपाल द्वारा छोड़े जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। फिर सुरसर नदी के टूटे भागों से नरपतगंज की उत्तरी भाग के पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाता है। बीते वर्ष 2006 में यूपीए की सरकार में जल संसाधन मंत्री जयप्रकाश नारायण भुटहा बांध का मरम्मत नेपाल के सरकार के सहयोग से कराया था। किंतु वर्ष 2008 में यह बांध ध्वस्त हो गया जिससे सीमा क्षेत्र में भारी तबाही मची थी उसके बाद से सुरसर नदी के कई तटबंध टूट गए जिसकी मरम्मती खानापूर्ति के तौर पर किया गया है।

खासकर नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र के अंचरा पंचायत स्थित लक्ष्मीपुर,अंचरा, तोपनवाबगंज गांव के सात हजार आबादी एवं मानिकपुर पंचायत के छह हजार आबादी बाढ़ के समय भयभीत रहते हैं। बाढ़ की समस्या के स्थाई निदान के दिशा में सरकार के उदासीन रवैया को लेकर ग्रामीण सरकारी सिस्टम को कोस रहे हैं। नरपतगंज प्रखंड के भारत नेपाल सीमा से सटे मानिकपुर पंचायत स्थित बलुआही धार हर साल तबाही मचाता है। जुलाई से जब नदी का तांडव शुरू होता है तो तीन महीना तक कई बार बाढ़ आ जाती है जिनके कारण हर साल वहां के किसान का फसल बर्बाद हो जाता है। यहां तक कि घर घर पानी घुस जाता है।

सड़कें टूट जाती है,पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है। खेतों में कितने दिनों तक पानी लगा रहता है। बाढ़ के कारण फसल बर्बाद हो जाता है लेकिन कभी भी उनका मुआवजा नहीं मिलता है।सरकार तो हमेशा किसानों की आय दुगुनी करने की हवा-हवाई बात करते रहते हैं लेकिन आज तक ना किसानों की आय दुगुनी हुई और ना हीं उनको बाढ़ से निजात मिला। यहां तक कि तय कीमत भी नहीं मिलता है।

तटबंध बना दिया जाय तो कम होगा तबाही-

सुरसर नदी में पानी का जलस्तर बढ़ने से पानी का प्रवाह खरहा धार में भी होने से पानी गांवों समेत खेत खलियानों में घुसने लगता है। जानकारी के अनुसार पड़ोसी देश नेपाल के सुनसरी जिला स्थित भुटहा बांध के समीप खरहा धार में सुरसर नदी का पानी घुस जाती है और यह पानी मानिकपुर पंचायत समेत नरपतगंज के उत्तरी भाग के क्षेत्रों में भी काफी तबाही मचाती है। खरहा धार में अब तक बांध का निर्माण नही हो पाया है। जिससे नदी में पानी भरने से गांवों में प्रवेश कर जाता है। ना ही कभी धार का सफाई किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि नदी की सफाई कर दिया और तटबंध बना दिया जाय तो फिर इतना तबाही नहीं मचाएगा। अचरज तो इस बात का है कि हर साल सुरसर नदी के तटबंधों पर विभाग द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं इसके बावजूद हर साल सूरसर के तटबंध से पानी गांव में निकलकर भारी तबाही मचाती है।

गांव को डुबो देती है,नदी में पुल भी नहीं- मानिकपुर पंचायत के अमरोरी गांव एवं अंचरा पंचायत के लक्ष्मीपुर एवं तोपनवाबगंज के ग्रामीणों का जीवन-यापन खेती से हीं होता है। वहां के छात्रों का पढ़ाई लिखाई खेती पर निर्भर करता है। किनका बेटा अबकी बार पढ़ेगा या पढ़ने के लिए बाहर जाएगा ये खेत का फसल और भाव तय करता है ,सीधा समझे तो अमरोरी एवं लक्ष्मीपुर के ग्रामीणों का भविष्य फसल और भाव हीं तय करता है। अमरोरी के पश्चिमी भू-भाग में ग्रामीण खेती करते है,किसानों के घर और खेत के बीच में एक धार पड़ता है जिन्हें बलुवाही धार कहते है,कुछ वर्ष में इस नदी ने ऐसा विकराल रूप ले लिया कि कितने किसानों के खेत को बर्बाद कर दिया अभी उस खेत में किसान खेती नहीं कर पाते उसमें बालू का भंडार लगा हुआ है।

बलवाही धार में पुल नहीं होने के कारण किसानों को खेत जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है,लोग धार को तैरकर पार करते है, यहां तक कि ट्रैक्टर आदि का जाना-आना मुश्किल हो जाता है,बैलगाड़ी से फसल लाना पड़ता है। इस संदर्भ में जब फारबिसगंज अनुमंडल पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार अलबेला ने कहा कि हम जांच के लिए गांव जाएंगे। नदी की सफाई कैसे होगी,इनके बारे में हम पता लगाते है उनके बाद हम सफाई करवाने का विचार करेंगे।


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