जहां चाह वहां राह: बिहार में ही उगने लगे सेव और संतरा, नवगछिया के किसान पेश कर रहे हैं मिसाल
बिहार के भागलपुर के लोगों को अब हिमाचल प्रदेश व नागपुर से सेव व संतरा के आने की चिंता नहीं रहेगी। अब उन्हें अपनी ही धरती पर उगे सेव-संतरा खाने को मिल रहे हैं।
भागलपुर, जेएनएन। बिहार के भागलपुर के लोगों को अब हिमाचल प्रदेश व नागपुर से सेव व संतरा के आने की चिंता नहीं रहेगी। अब उन्हें अपनी ही धरती पर उगे सेव-संतरा खाने को मिल रहे हैं। जिले के नवगछिया के किसान अब संतरा व सेव भी उगाने लगे हैं। जहां चाह वहां राह वाली कहावत को पुलिस जिला नवगछिया के तेतरी गांव निवासी किसान गोपाल सिंह ने चरितार्थ कर दिखाया। वे अपनी खेतों में अमरूद, सीताफल के अलावा अब सेव, संतरा व नारंगी का भी उत्पादन करने लगे हैं। पहले नारंगी और सेव के लिए नागपुर और हिमाचल प्रदेश पर निर्भर रहना पड़ता था। अब नवगछिया के बागान से टूटकर ताजा फल घरों तक पहुंच रहा है।
15 एकड़ में फैला है नारंगी का बगान
किसान गोपाल सिंह बताते हैं कि 15 एकड़ में नारंगी फल का बागान है। इतने ही एकड़ में संतरा के पेड़ हैं। तीन साल पहले नारंगी और संतरे की खेती शुरू की थी। ये पौधे वर्ष 2012 में नागपुर से मंगवाए थे। नारंगी और संतरा का फल टूटकर बाजारों तक पहुंचने लगा है। बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा सिलीगुड़ी, कोलकाता और झारखंड तक नवगछिया की नारंगी और संतरा पहुंच रहा है। कोरोना में फलों की मांग के कारण अबकी कीमत भी अच्छी मिल रही है।
वीडियो कॉल से सुलझायी जाती है प्रॉब्लम
किसान ने बताया कि नागपुर और हिमाचल से ही समय-समय पर फलों के उत्पादन और उसकी सुरक्षा के उपाय भी वीडियो कॉल के माध्यम से बताए जाते हैं। इस कारण खेती में कभी कोई परेशानी नहीं हुई। बिहार के विभिन्न जिलों के किसान अक्सर फलों का बागान देखने आते हैं। कई किसानों ने इसकी विधि जानी और पौधा मंगवाने की मांग की है।
आधा से एक किलो का होता है अमरूद
किसान गोपाल सिंह ने बताया कि पिछले साल से तीन एकड़ में सेव की खेती भी शुरू की। एक हजार पौधे लगाए गए हैं, जो हिमाचल से मंगवाए थे। अगले साल से नवगछिया का सेव भी खाने को मिलने लगेगा। इसके अलावा अमरूद और सीताफल का भी बागान है। एक अमरूद का वजन आधा से एक किलो का होता है।