अंग परिक्रमा पत्रिका का विमोचन : बोले कुलपति-संस्कृति व संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी
अंग परिक्रमा पत्रिका जो नगर समावेशी निर्देशिका है उसका विमोचन भागलपुर में किया गया। इस पत्रिका का संपादन रोशन सिंह ने किया है।
भागलपुर, जेएनएन। संस्कृति व संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी है। भारतीय संस्कृति में शिक्षा का अर्थ मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना है। उक्त बातें अंग परिक्रमा पत्रिका जो नगर समावेशी निर्देशिका है के लोकार्पण सह सम्मान समारोह में उद्घाटनकर्ता तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके राय ने कही। उन्होंने कहा कि युवाओं को इस तरह के पॉजिटिव कार्यों पर रुचि होना काबिले तारीफ है, जिसका उदाहरण अंग परिक्रमा का निरंतरता है।
मुख्य अतिथि प्रताप यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. उग्र मोहन झा ने कहा कि अंग परिक्रमा नगर समावेशी निर्देशिका के रूप में अंग वांग्मय की तरह संग्रहणीय हैं। आज आवश्यकता समावेशी विकास की है, जो अनुशासित संकल्प से ही साकार हो सकता है। जिप अध्यक्ष टुनटुन साह ने कहा कि हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा। सही का साथ दें और गलत का विरोध करें। महापौर सीमा साह ने कहा कि तकनीक का प्रयोग सही दिशा में करें और अच्छे बुरे का ज्ञान हम बच्चों को दें। चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अशोक भिवानीवाला ने कहा कि राजनीति का शिक्षा और अध्यात्म के साथ सामंजस्य होना आवश्यक है।
सिटी एसपी ने कहा कि आज हम नागरिकों को सकारात्मक दायित्व की पूर्ति का प्रयास करना होगा। स्वामी आगमानंद ने कहा कि अंग परिक्रमा बुद्धिजीवियों, सामान्य जनों एवं आगंतुकों के बीच सेतु का काम करती है। इसके माध्यम से आगे व्यक्ति समाज नगर देश में विकृतियों को समन करने के लिए तमाम उपायों के साथ योग ध्यान नैतिक शिक्षा, कला संस्कृति, साहित्य, पत्रिका के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए जिससे बुद्धि मन परिवर्तित हो।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुआ और आकाशवाणी कलाकार कपिल देव कृपाला ने स्वागत गीत गाकर आगत अतिथियों का स्वागत किया। अतिथियों का स्वागत पत्रिका के संपादक रोशन सिंह ने किया कार्यक्रम का संचालन तिमांविवि के सीनेट सदस्य मुकेश कुमार सिंह ने और धन्यवाद ज्ञापन जय कृष्ण पटेल ने किया।