अघोर साधुओं ने कलिका मां को याद कर की तंत्र साधना, लाल आंखें और डरावना चेहरा Bhagalpur News
हवन से निकले धुंए से अघोर साधुओं के आंखें लाल हो गए थे... कुछ साधुओं का झूमना उनकी तंत्र विद्या की निपुणता को बयां कर रहा था।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। लाल बाबा, काला बाबा, नेटुआ बाबा, फलाहारी बाबा...जाने कितने नाम अघोर साधुओं के झुंड में बरारी स्थित श्मशान घाट पर दुर्गा पूजा की अष्टमी जगाने पहुंचा था। उनकी तंत्र-मंत्र और उपासना देखने वालों ने जरा उन्हें प्रणाम करने की गलती कर दी तो उनके मुंह से गालियों का आशीर्वाद मिलता था। ज्यों-ज्यों रात ढलने लगी श्मशान घाट और उफनाई गंगा नदी का हिलोर और रह-रहकर अघोर साधुओं का गर्जन भयभीत करने लगा था। लाशें जल रही थी, उन लाशों के आसपास अघोर साधु अपनी तंत्र साधना में लीन रहें... जय मां तारा... पगला बाबा की जय...श्मशान घाट पर प्रशासन का सारा तंत्र फेल। यहां सिर्फ अघोर साधुओं की गूंज थी जिनकी सिद्धि देखने कुछ लोग भी हिम्मत जुटा कर पहुंचे थे। जो दाह संस्कार के लिए दूर-दराज से पहुंचे थे वह दुकानों में ही खुद को कैद कर रखा था। 12 बजते ही पगला बाबा मंदिर परिसर में बकरे की बली दी गई। जिसका प्रसाद पाने भी लोग जुटे थे।
दुहाई मां तारा... दुधवा-रोटिया खइतै के डकिनियां
पूरब बांधबो, पश्चिम बांधबो, बांधबो उत्तर-दक्षिण के कलिका माई...
ग्यारह अंग से बांधबों गे शरीरा।
इस मंत्र से शरीर को बांध कर सारे कष्टों से निजात दिलाने के लिए अघोर साधु अपने शिष्यों को सिद्धि करा रहे थे। दूत-भूत, नजर-गुजर, धीर घूट लहर-तहर, शरद-तरद, गरम-बुखार, चमकी बान, करलो-करतूत के कटाव कर बांधी दिहैं गे शरीरा ऐ कलिका माय...। अघोर साधु शरीर को हर बाधा से दूर रखने के लिए तंत्र विद्या की सिद्धि करा रहे थे। अघोर साधुओं का झुंड अपने शिष्यों के साथ विश्वंभर नाथ पगला बाबा जय मां तारा काली मां अष्टभुजी रचित ज्योतिर्लिंग महादेव मंदिर परिसर में झूम रहा था।
हवन से निकले धुंए से उनके आंख लाल हो गए थे... कुछ साधुओं का झूमना उनकी तंत्र विद्या की निपुणता को बयां कर रहा था। दूर-दराज से तंत्र साधना के लिए इस बार भी अघोर साधु पहुंचे थे। जिसमें तारापीठ, दरभंगा के जोगियारा, कदिराबाद के अलावा पूर्णिया, जोगबनी, मुंगेर, नाथनगर, बौंसी, दुमका आदि से भी साधुओं का जत्था पहुंचा था। दरभंगा से पहुंचे जगदंबा बाबा सिर्फ जल ग्रहण करते हैं, भोजन के रूप में अन्न, फल भी ग्रहण नहीं करते। नाथनगर के भतौडिय़ा गांव निवासी अघोर साधु वकील मंडल समेत ऐसे कई अघोर साधु पहुंचे थे।