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प्रवचन के बाद ब‍िहार के पूर्व DGP गुप्‍तेश्‍वर पांडेय का जागा प्रकृति प्रेम, भागलपुर में कर रहे कटि स्‍नान

ब‍िहार के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक गुप्‍तेश्‍वर पांडेय भागलपुर पहुंचे। उनमें अब प्रकृति प्रेम जागृत हो गया है। तपोवर्धन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र का मनोरम दृश्‍य उन्‍हें काफी भा रहा है। वे वहां अपना आयुर्वेद इलाज करवा रहे हैं। उन्‍होंने आज आध्‍यात्‍म और प्रकृति विषय पर कई बातें कही।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 09:39 AM (IST)
प्रवचन के बाद ब‍िहार के पूर्व DGP गुप्‍तेश्‍वर पांडेय का जागा प्रकृति प्रेम, भागलपुर में कर रहे कटि स्‍नान
भागलपुर के तपोवर्धन प्राकृतिक चिकित्‍सा केंद्र में पूर्व पुलिस महानिरीक्षक गुप्‍तेश्‍वर पांडेय।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) गुप्‍तेश्‍वर पांडेय लगातार इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं। पहले तो उन्‍होंने ब‍िहार पुलिस महानिदेशक पद से स्‍वच्‍छि‍क सेवानिवृति ले ली। उस समय वर्ष 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने थे। शायद वे चुनाव लड़ना चाहते थे। जदयू और मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के वे काफी करीबी माने जाते थे। लेकिन जब उन्‍हें टिकट नहीं मिला तो वे प्रवचन करने लगे। अयोध्‍या, मथुरा आदि कई जगहों पर उन्‍होंने भागवत कथा और राम कथा कही। उनके प्रवचन को सुनने काफी संख्‍या में लोग आते थे। आनलाइन प्रसारण भी होता था। इसके बाद वे प्रकृति की ओर लौट आए हैं। वे पिछले पांच दिनों से भागलपुर में हैं। प्रकृति संरक्षण और आयुर्वेद की तरफ उनका झुकाव हो गया है।

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उन्‍होंने कहा क‍ि उनका भागलपुर आगमन प्रकृति चिकित्सा के तौर तरीकों को आत्मसात करने के लिए है। मोटापा से वे परेशान हैं। इसके‍ लिए वे लगातार आयुर्वेद उपचार करा रहे हैं। योग, ध्‍यान, साधना, व्‍यायाम करते हैं। उन्‍होंने कहा कि वे कटि स्नान, मिट्टी और प्रकृति प्रदत्त खाद्य पदार्थों से उपचार करना सीखा है। वे तपोवर्धन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र आकर प्रसन्न हैं। कहा कि उन्‍हें यहां का प्राकृतिक वातावरण बहुत ही मनोरम लग रहा है। पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय भागलपुर के तपोवर्धन चिकित्सा केंद्र में पत्रकार वार्ता की। अपने आध्यात्म की तरफ झुकाव होने को लेकर उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में ऐश्वर्य की कभी पूजा नहीं हुई और ना होगी। पूजा हमेशा त्याग की हुई है। भगवान श्रीराम की पूजा इसलिए होती है उन्‍होंने उन्‍होंने हमेशा त्याग किया है। 

उन्‍होंने चिंता जताए हुए कहा कि सामाजिक चेतना में काफी गिरावट आई है। सम्प्रदायि‍क तनाव है। सामाजिक समरसा लोग भूलने लगे हैं। ऐसे में लोगों में लोगों की रक्षा आध्‍यात्‍म से ही संभव है। उन्‍होंने कहा कि समाज मे सुगंध फैलाने और बेहतर बनाने में लोगों का आध्यात्मिक होना जरूरी है। जबतक जीव में चेतना नहीं होगी समाज तरक्की नहीं कर सकता। जीव आध्यात्मिक होगा तो उसकी जड़ता खत्म होगी और समाज को अच्छी दिशा देगा। वरना सरकारें आएगी और जाएगी समाज का उत्तरोत्तर विकास नहीं होगा। इसलिए मनुष्य को आध्यात्मिक होना जरूरी। उन्‍होंने कहा कि वे विद्यार्थी काल से ही आध्यात्मिक हैं। छात्र काल में वे अयोध्या के सरयूपार जाकर पहली आध्यात्मिक यात्रा की थी। उस समय वे स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे। पूजा-पाठ और आध्यात्मिक संस्कार तब से था। उन्‍होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वे आइपीएस अफसर बनेंगे।

उन्‍होंने कहा कि सभी प्रोफेशन में निगेटिविटी वाले भी मिलेंगे। दुष्ट प्रवृत्ति वाले लोग सभी विभाग में मिलेंगे। ऐसे लोग तमोगिनी चित्त वाले होते हैं। कहा कि जीवन को सुखी बनाना है तो जो जहां हैं वहीं से आध्यात्मिक बन जाएं। कल्याण होगा। उन्‍होंने युवाओं से कहा मन तो चंचल है, उसे बुद्धि से नियंत्रित करने की कला विकसित करें। मन पर नियंत्रण रहेगा तो विकास होगा। माता-पिता और शिक्षक भी मन नियंत्रित करने की कला बच्‍चों को सिखाएं।

मन को नियंत्रित कीजिए, समग्र विकास होगा

सूबे के पुलिस महानिदेशक पद को सेवाकाल में ही त्याग देने वाले गुप्तेश्वर पांडेय के लिए अब सबकुछ आध्यात्म ही है। आध्यात्म चिंतन और उससे ही समाज के समग्र विकास हो सकता। आध्यात्म की राह पकड़ मन को नियंत्रित करना आसान है। यदि आप ऐसा कर लिए तो मनुष्य जीवन सफल हो जाएगा। पांडेय बातचीत के क्रम में बिल्कुल ही आध्यात्मिक थे। उन्हें पुलिस सेवा के सर्वोच्च डीजीपी के पद को छोड़ देने का जरा भी मलाल नहीं। उनका मानना है कि सही समय पर सही निर्णय लिया वरना कई शीर्ष राजनेताओं के अंतिम समय को सबने देखा कि कई सालों तक उन्हें बिस्तर पर जिंदा लाश बनकर रहना पड़ा। वह समय रहते खुद को चिंतन की ओर फिर अपने छात्र काल की तरह मुखातिब हो गए।

गुप्‍तेश्‍वर पांडेय ने वर्ष 1980 के अपने छात्र काल का जिक्र करते हुए अयोध्या नगरी के सरयूपार स्थित एक नवाबगंज गांव जाने का जिक्र किया। वह समय उनके छात्र जीवन काल का अनुपम काल था जब वह आध्यात्म को आत्मसात करने की सोची थी। उसके बाद वह उसमें रम गए। इस बीच आइपीएस भी बन गया। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि वह पुलिस सेवा में भी आएंगे लेकिन आए और वर्षों सेवा भी की लेकिन आध्यात्म से नाता नहीं तोड़ा। उन्होंने इस बात को लेकर स्थिति स्पष्ट किया कि वह डीजीपी का पद त्याग देने के बाद आध्यात्म की तरफ नहीं गया बल्कि वह छात्र काल से आध्यात्मिक थे, हां सेवाकाल में हमारे सेवाकर्म को देख सहज कोई यह नहीं सोच सकता था कि आध्यात्मिक भी हैं।

पूर्व डीजीपी ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि खुद के विकास के लिए उन्हें पहले मन पर नियंत्रित करना होगा। मन नियंत्रित हो जाए इसके लिए उन्हें बुद्धि का विकास करना होगा। मन नियंत्रित कर शराब या अन्य व्यसन से आसानी से छुटकारा मिल सकता है। उन्होंने माता-पिता और शिक्षकों को मन नियंत्रित करने की कला के विकास पर जोर देने को कहा ताकि बच्चों को उनके चंचल मन को वह नियंत्रित करने की दीक्षा दे सके।

उन्होंने कहा कि समाज में सुगंध फैलाने और उसे बेहतर बनाने में लोगों का आध्यात्मिक होना जरूरी है। जबतक जीव में चेतना नहीं होगी, समाज तरक्की नहीं कर सकता। जीव आध्यात्मिक होगा तो उसकी जड़ता खत्म होगी और समाज को अच्छी दिशा देगा। वरना सरकारें आएगी और जाएंगी, समाज का उत्तरोत्तर विकास नहीं होगा।

इसलिए मनुष्य को आध्यात्मिक होना जरूरी है। उन्होंने बेवाकी से एक बात कही कि सभी पेशे में नाकारात्मकता वाले लोग मिलेंगे। पुलिस, डाक्टर, इंजीनियर, वकाल, जज चाहे जो भी प्रोफेशन हो। ऐसे लोग तमोगिनी चित्त वाले होते हैं। इसलिए जीवन को सुखी बनाना है तो जो जहां हैं वही से आध्यात्मिक बन जाएं, कल्याण होगा। सामाजिक चेतना में गिरावट से आज समाज में नली, गली, जाती, संप्रदाय का झगड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि अपने देश में ऐश्वर्य की कभी पूजा नहीं हुई ना होगी, पुरातन काल से हमेशा त्याग की पूजा होती आई है। भगवान श्रीराम की पूजा उनके त्याग के कारण ही होती है।

उन्होंने बताया कि वह प्रकृति चिकित्सा में यकीन करते हैं। इसलिए खुद के शरीर में आए मोटापे को दूर करने तपोवन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र पहुंचे थे। यहां कटि स्नान, मिट्टी लेप, प्रकृति प्रदत्त फल, साक, सब्जियों से उपचार ही सही उपचार है। यहां आकर प्रकृति चिकित्सा के तौर-तरीके को बेहतर और नजदीक से जाना। डाक्टर जेता सिंह ने प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े नए आयाम की जानकारी दी। प्रकृति चिकित्सा से मानसिक, शारीरिक परेशानी से सरलता से निजात पाया जा सकता।


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