86 साल बाद कोसी मिथिला फिर होगा एकाकार, फरवरी से निर्मली और दरभंगा के बीच चलेगी ट्रेन
1934 में आई भूकंप में विभक्त हुए कोसी व मिथिला का मिलन जल्द होगा। अब वह दिन दूर नहीं है जब निर्मली व दरभंगा तक ट्रेन चलने लगेगी। वहीं रेलमार्ग से जुडऩे के बाद विकास की नई इबारत भी लिखी जाएगी।
सहरसा [अमरेंद्र कांत]। सबकुछ ठीक रहा है तो अगले माह तक 86 वर्षों के बाद कोसी व मिथिला फिर एकाकार हो जाएगा। वर्ष 1934 में आई भूकंप में विभक्त हुए कोसी व मिथिला के मिलन से इस इलाके के लोगों का जहां सपना साकार होगा। वहीं रेलमार्ग से जुडऩे के बाद विकास की नई इबारत भी लिखी जाएगी।
2004 में रखी गई थी नींव
अंग्रेजों के शासनकाल में उद्योग की ²ष्टि से यह इलाका काफी महत्वपूर्ण माना जाता था। लेकिन 1934 के प्रलंयकारी भूकंप ने इस इलाके को तहस-नहस कर दिया। भूकंप से पहले कोसी नदी पर बने पुल से छोटी लाइन की गाडिय़ों का परिचालन होता था। लेकिन सबकुछ बर्बाद हो गया। वर्ष 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने कोसी व मिथिला के मिलन की नींव निर्मली में रखी थी। कोसी महासेतु व रेल पुल की नींव रखने के बाद महासेतु तो वर्षों पहले बनकर तैयार हो गया। लेकिन रेल पुल कुछ माह पहले बना है। जिसपर ट्रेन गुजरने लगी है।
आसनपुर कुपहा तक चलने लगी ट्रेन
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोसी रेल मेगा ब्रिज का उद्घाटन किया था। जिसके बाद आसपनपुर कुपहा तक चलने लगी। 85 साल बाद वर्ष 2020 में जब ट्रेन दौड़ी थी तो बुजुर्गाें ने पुरानी यादों को साकार होते देखा। अब वह दिन दूर नहीं है जब निर्मली व दरभंगा तक ट्रेन चलने लगेगी।
सहरसा से दरभंगा तक जाएगी ट्रेन
डीआरएम अशोक माहेश्वरी के अनुसार सहरसा से आने वाली ट्रेन सरायगढ़ जंक्शन होते हुए निर्मली व दभंगा स्टेशन तक जाएगी। इसके लिए तेज गति से कार्य कराए जा रहे हैं। सरायगढ़ जंक्शन को बेहतर बनाया जा रहा है। कहा कि दरभंगा से भी ट्रेन सरायगढ़-सुपौल व सहरसा होकर गुजरेगी। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि किन-किन ट्रेनों का परिचालन होगा।
निर्मली-दरभंगा को जोडऩे के लिए कार्य काफी तेज गति से चल रहा है। फरवरी माह में महाप्रबंधक का निरीक्षण संभावित है। निरीक्षण के बाद ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा। -अशोक माहेश्वरी, डीएआरएम, समस्तीपुर।