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सृजन घोटाला : फंस सकते हैं कई और अधिकारी, जानिए... कैसे शुरू हुआ हेराफेरी का खेल Bhagalpur News

बिहार के चर्चित सृजन घोटाला मामले में सीबीआई ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। पूर्व डीएम वीरेंद्र यादव समेत कुल 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 09:24 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 09:24 AM (IST)
सृजन घोटाला : फंस सकते हैं कई और अधिकारी, जानिए... कैसे शुरू हुआ हेराफेरी का खेल Bhagalpur News
सृजन घोटाला : फंस सकते हैं कई और अधिकारी, जानिए... कैसे शुरू हुआ हेराफेरी का खेल Bhagalpur News

भागलपुर, जेएनएन। सृजन के खातों में सबसे अधिक सरकारी राशि का फर्जी तरीके से ट्रांसफर तत्कालीन जिलाधिकारी वीरेंद्र कुमार यादव के समय हुआ। वे जुलाई 2014 से अगस्त 2015 तक भागलपुर के जिलाधिकारी थे। उनके कार्यकाल में तकरीबन 300 करोड़ रुपये सृजन में ट्रांसफर किए गए थे। जिला भू-अर्जन कार्यालय के 270 करोड़ व मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के 12 करोड़ 20 लाख रुपये सृजन के खाते में भेजे गए थे। वीरेंद्र यादव हाल के दिनों में भोजपुर जिले में एक और भूमि घोटाला के सिलसिले में चर्चा में थे।

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इसी तरह जिलाधिकारी वंदना प्रेयसी के कार्यकाल में भी अवैध तरीके से जिला नजारत के 15 करोड़ रुपये सृजन के खाते में भेजा गया था। जिलाधिकारी आदेश तितरमारे के फर्जी हस्ताक्षर से पांच करोड़ रुपये सृजन के खाता में भेजे गए थे, जबकि सृजन ने बिना किसी निर्देश के सरकारी खाता में 20 करोड़ से अधिक की राशि आरटीजीएस कर दी।

ऐसे शुरू हुआ हेराफेरी का खेल

मनोरमा देवी ने सहयोग समिति चलाने के लिए सरकार के सहयोग से भागलपुर में एक मकान 35 साल के लिए लीज पर लिया। 35 साल के लिए मकान लीज पर लेने के बाद सृजन महिला विकास समिति के अकाउंट में सरकार के खजाने से महिलाओं की सहायता के लिए रुपये आने शुरू हो गए, जिसके बाद सरकारी अधिकारियों और बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से पैसे की हेराफेरी होने लगी। लगभग 500 करोड़ से ज्यादा पैसा समिति के अकाउंट में डाल दिए गए और इसके ब्याज से अधिकारी मालामाल होते चले गए। मनोरमा देवी की हेराफेरी के खेल में कई अधिकारियों के साथ साथ सफेदपोश भी शामिल थे। अपनी जिंदगी की 75 साल गुजारने के बाद मनोरमा देवी की मौत हो गई। मनोरमा देवी की मौत के बाद उसके बेटे अमित और उसकी पत्नी प्रिया महिला समिति के कामकाज को देखने लगी, जब यह मामला का पर्दाफाश हुआ तो दोनों फरार हो गए। फिलहाल सीबीआइ उसकी तलाश कर रही है। 1995 से लेकर 2016 तक चले इस घोटाले में 19 सौ करोड़ रुपये की हेराफेरी की बात बताई जा रही है।


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