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Amazing story of Sumita, Chameli and Laxmi : संघर्ष से लिखी सफलता की कहानी, अब होगी सबकी जुबानी

Amazing story of Sumita Chameli and Laxmi आदिवासी समाज की सुनीता शिक्षिका बन संवार रहीं दूसरों की जिंदगी। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में बिखरी चमेली की प्रतिभा की खुशबू। नर्स बन मानवता की सेवा करने का सपना साकार करने में जुटी लक्ष्मी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 08:22 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 08:22 AM (IST)
Amazing story of Sumita, Chameli and Laxmi : संघर्ष से लिखी सफलता की कहानी, अब होगी सबकी जुबानी
भागलपुर की तीन लड़कियो की संघर्षपूर्ण गाथा।

भागलपुर। रेशम नगरी भागलपुर की तीन बेटियों की संघर्ष गाथा अब पूरा बिहार पढ़ेगा। इन बेटियों ने संघर्ष के बल पर न सिर्फ खुद सफलता हासिल की, बल्कि अब दूसरी बेटियों को बेहतर करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। बेटियों के सपनों में रंग भरने में मददगार बना बेटियों को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से प्रखंडों में संचालित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय।

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पीरपैंती की सुनीता कुमारी आदिवासी समुदाय से आती हैं। सुनीता ने कहा कि मेरे परिवार की स्थिति बहुत दयनीय थी। पिताजी को प्रत्येक दिन काम भी नहीं मिल पाता था। इस कारण घर में दो जून रोटी का इंतजाम भी मुश्किल से हो पाता था। घर के नाम पर एक झोपड़ी भी दूसरे के जमीन पर बनी हुई थी। जब मैं दूसरी लड़कियों को स्कूल जाते देखती थी, तो मेरा मन दुखी हो उठता था। मैं भी पढऩा चाहती थी, लेकिन परिवार की स्थिति के कारण मन मसोस कर रह जाती थी। मैंने कई बार मां से कहा कि मां मैं भी पढऩा चाहती हूं। मां यही कह कर चुप करा देती थी कि मेरे पास तुम्हें पढ़ाने के लिए पैसे नहीं है। कुछ दिन बाद गांव में एक संस्था खुली, जहां नि:शुल्क पढ़ाई कराई जाती थी। वहां मैंने पढऩा शुरू किया। कुछ दिन बाद गांव में कुछ दीदी आईं और उन्होंने बताया कि प्रखंड संसाधन केंद्र में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय खुला है, जहां बेटियों को नि:शुल्क पढऩे की व्यवस्था है। किताब, कापी, ड्रेस सब मुफ्त है। इसके बाद मेरा नामांकन उस विद्यालय में करा दिया गया।

2012 में मैंने आठवीं और 2014 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की। सरकार की ओर से दस हजार रुपये प्रोत्साहन राशि मिली, तब मैंने शेरमारी उच्च विद्यालय में इंटर कला में नामांकन कराया। इंटर की परीक्षा भी मैंने प्रथम श्रेणी से पास की। इसके बाद स्नातक की परीक्षा भी प्रथम श्रेणी से पास की। फिर मैंने बीएड की प्रवेश परीक्षा पास की। काउंसिलिंंग भी कराई, लेकिन मेरा नामांकन नहीं हो सका। मैं बचपन से ही शिक्षिका बनना चाहती थी। अभी मैं सरस्वती शिशु मंदिर शेरमारी में बच्चों को पढ़ा रही हूं। अब मेरे गांव की सभी बेटियां पढऩे स्कूल जाती हैं।

जगदीशपुर प्रखंड के मुस्तफापुर की चमेली ने कहा कि मेरे गांव की बेटियां प्राथमिक शिक्षा के बाद स्कूल जाना छोड़ देती थीं। बेटियां अपने माता-पिता के साथ मजदूरी करने में जुट जाती थीं। कस्तूरबा विद्यालय में छात्राओं के नामांकन के लिए शिविर लगाया गया। छह छात्राओं का नामांकन कस्तूरबा विद्यालय में कराया गया, जिसमें मैं भी थी। पढ़ाई के साथ साथ मैं हमेशा खेलकूद में भी भाग लेती थी। वर्ष 2014 में पटना के गांधी मैदान में आयोजित तरंग प्रतियोगिता में कराटे का प्रदर्शन किया।

वर्ष 2014 में ही चमेली ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में कई कांस्य पदक अपने नाम किए। इसके बाद चमेली ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में भी कराटे का प्रदर्शन किया। चमेली ने कहा कि सेल्फ डिफेंस के लिए मैंने जूड़ो कराटे सिखा। अब यही मेरी पहचान बन गई। अभी चमेली कई सरकारी और निजी विद्यालय में जूड़ो कराटे का प्रशिक्षण देकर उससे होने वाली आय से न सिर्फ अपनी पढ़ाई जारी रखी हुई हैं, बल्कि परिवार को भी आर्थिक सहयोग कर रही हैं।

शाहकुंड प्रखंड के दीनदयालपुर गांव की लक्ष्मी के घर की स्थिति दयनीय थी। इस कारण माता-पिता ने नाना के घर भेज दिया। पांचवीं तक की पढ़ाई लक्ष्मी ने नाना के यहां रह की। इसके बाद वह अपने माता-पिता के घर आ गई। लक्ष्मी की पढ़ाई फिर से बंद हो गई। इसके बाद लक्ष्मी का नामांकन कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका में विद्यालय में करा दिया गया। लक्ष्मी ने कहा कि मैं बचपन से नर्स बनना चाहती थी।

कस्तूरबा विद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही लक्ष्मी के सपने आकार लेने लगी। 2017 में मैट्रिक और 2019 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। पारा मेडिकल की परीक्षा में भी लक्ष्मी सफल हुई। इस बीच लक्ष्मी की शादी नयन से हो गई। नयन ने भी लक्ष्मी को सपने साकार करने के लिए प्रेरित किया। निजी संस्थान से एएनएम ट्रेनिंग की डिग्री हासिल की। लक्ष्मी कहती हैं कि अब मेरे गांव की लड़कियां पढ़ाई करने नियमित स्कूल जाती हैं। मैं उनके लिए प्ररेणाश्रोत बन गई हूं।

कस्तूरबा विद्यालय में पढ़ाई कर अपने सपने पूरा करने वाली तीन छात्राओं की सक्सेस स्टोरी राज्य स्तर पर चयनित हुई है। राज्य स्तर पर एक पत्रिका का प्रकाशन होगा, जिसमें भागलपुर की तीनों बेटियों की कहानी भी प्रकाशित होगी। कस्तूरबा विद्यालय सहित सभी विद्यालयों में उस पुस्तिका का वितरण किया जाएगा। - रवि कुमार, संभाग प्रभारी, सर्व शिक्षा अभियान भागलपुर


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