Move to Jagran APP

Terrorist attack from J&K: अभी कश्‍मीर से लौटेंगे, लेकिन फ‍िर जाना तो होगा ही, बिहार के चार लोगों की आतंकवादियों ने ली जान

Terrorist attack from JK पूर्व बिहार और सीमांचल के चार लोगों की आतंकियों ने अब तक ली जान। रोजी-रोटी के लिए वर्षों से कश्मीर में रह रहे थे कामगार। डर से वहां रह रहे बिहार के लोग अब वापस घर आने लगे हैं। रोजगार के लिए फ‍िर जाना ही होगा।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 08:42 AM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 08:42 AM (IST)
Terrorist attack from J&K: अभी कश्‍मीर से लौटेंगे, लेकिन फ‍िर जाना तो होगा ही, बिहार के चार लोगों की आतंकवादियों ने ली जान
जम्‍मू कश्‍मीर में बाहरी कामगारों के लिए बेहद खौफनाक रहे।

भागलपुर [आनंद कुमार सिंह]। अररिया के खैरूगंज निवासी योगेंद्र ऋषिदेव अपने तीन मासूम बच्चों के लिए खुशियां खरीदने कश्मीर गए थे। उनकी वहां हत्या कर दी गई। रविवार रात में इसकी सूचना पर जब पूरा गांव योगेंद्र के घर पर उमड़ पड़ा, तब उनके तीनों बच्चे माजरा समझने के काबिल भी नहीं थे। एक, तीन और साढ़े चार वर्ष के इनके तीनों बच्चे नहीं समझ पाए कि उनके सिर से पिता का साया उठ चुका है। गरीबी ऐसी कि तीनों बच्चों के तन पर इस समय कपड़े भी नहीं थे। कमोवेश अन्य चार लोग, जो कश्मीर में आतंकियों का निशाना बने, के परिवारों की माली हालत भी इससे इतर नहीं है।

loksabha election banner

पांच अक्टूबर से कश्मीर के हालात में आए बदलाव बाहरी कामगारों के लिए बेहद खौफनाक रहे। पूर्व बिहार और सीमांचल के पांच कामगार भी आतंकियों का निशाना बने। इनमें से चार की मौत हो गई, जबकि पांचवां कश्मीर में ही जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। सबसे पहले पांच अक्टूबर को भागलपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड स्थित वादे सैदपुर निवासी वीरेद्र उर्फ विरंजन पासवान को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया। ये अपने बड़े भाई के साथ धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में रहकर गोलगप्पे बेचते थे। 15 अक्टूबर को बांका जिले के बाराहाट थाना क्षेत्र स्थित पड़घड़ी गांव के अरविंद साह की हत्या कर दी गई। ये भी वहां गोलगप्पे बेचते थे। 17 अक्टूबर को अररिया के राजा ऋषिदेव व योगेंद्र ऋषिदेव को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया। इनके एक साथी चुनचुन ऋषिदेव को भी गोली मारी गई। उनकी स्थिति गंभीर है। स्वजन शव आने की उम्मीद में कभी सरकारी कार्यालय तो कभी जनप्रतिनिधियों के घर पहुंच रहे हैं। बांका के अरविंद साह का शव सोमवार को बांका पहुंच चुका है।

एक दशक पूर्व तक इस इलाके के गरीब लोग रोजगार की तलाश में कोलकाता, दिल्ली, मुंबई और पंजाब जाते थे। जम्मू-कश्मीर में संचालित बंदूक फैक्ट्री में मुंगेर जिले के दर्जनों कारीगरों को वर्षों पूर्व काम मिला। परिणामस्वरूप, पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल के भी करीब 10 हजार से अधिक लोग छोटे-मोटे रोजगार की तलाश में कश्मीर का रुख करने लगे। जिस समय जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या चरम पर थी, उस समय खासकर आतंकी, गरीब मजदूरों को अपना निशाना नहीं बनाते थे। इस बार की घटना के बाद दहशत में आए कामगारों के स्वजन उनपर वापस लौटने का दबाव बना रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग लौट भी रहे हैं। ऐसे भी, छठ और दीपावली के मौके पर लोग वापस घर आते हैं। वापस लौटे रमेश ऋषिदेव व पवन ने बताया कि अभी हालात को देखकर तो वे लौट गए हैं, लेकिन वहां के स्थानीय लोगों ने जो प्यार दिया, वह अविस्मरणीय है। स्थिति सामान्य हुई तो वे लोग फिर कश्मीर जाएंगे, क्योंकि यहां रोजगार का कोई साधन नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.