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Sadanand Singh passed away: कांग्रेस व‍िरोधी लहर में भी जीते चुनाव, कांग्रेस ने टिकट नहीं द‍िया तो जीत गए न‍िर्दलीय

Sadanand Singh passed away ब‍िहार कांग्रेस के द‍िग्‍गज नेता सदानंद स‍िंंह का न‍िधन हो गया। वे कहलगांंव से नौ बार व‍िधायक चुने गए। वर्ष 2020 में उन्‍होंने राजनीति‍ से सन्‍यास ले ल‍िया था। उनकी अपनी पहचान थी। जीवन के अंत तक कांग्रेस में रहे।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 08 Sep 2021 12:54 PM (IST)Updated: Wed, 08 Sep 2021 12:54 PM (IST)
ब‍िहार के दिग्‍गज कांग्रेस नेता सदानंंद स‍िंंह का न‍िधन हो गया है।

आनलाइन डेस्‍क, भागलपुर। Sadanand Singh passed away: भागलपुर ज‍िला सदानंद सिंह के निधन से शोक में है। सभी दलों के नेता ही नहीं, बल्कि आम लोगों ने भी अपने पसंदीदा नेता सदानंद बाबू को श्रद्धांजलि दी। लोग कहते हैं कोई ऐसे नहीं बनता है सदानंद। हमेशा आनंद में रहने वाले सदानंद बाबू के न‍िधन से ब‍िहार के कांग्रेस का एक युग समाप्‍त हो गया है। भागवत झा आजाद ने उन्‍हें पार्टी में लाया था। वे आजीवन कांग्रेस से जुडे रहे। लेकिन पार्टी के अलावा उनकी अपनी भी पहचान क्षेत्र की जनता के बीच थी। वे कहलगांव के नौ बार व‍िधायक रहे। एक बार को ब‍िहार के इकलौते कांग्रेस व‍िधायक थे। वे डा जगन्‍नाथ मिश्र की सरकार में मंत्री थे। राजद की सरकार में एक बार विधानसभा अध्‍यक्ष भी बने। उनकी अपनी पहचान थी। कहा जाता है कि वे पार्टी के बल पर नहीं बल्कि अपने बल पर चुनाव जीतते थे।

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1969 में पहली बार चुनाव लड़े और जीत गए। उन्‍होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के व‍िधायक नागो स‍िंह को हराया था। इसके बाद तो उनकी पहचान बन गई। नौ बार व‍िधायक चुने गए। हालांक‍ि इस दौरान उनकी हार भी हुई है।

आपाताकाल के दौरान 1977 में पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल था। जनता पार्टी की लहर थी। लेकिन कहलगांव विधानसभा की जनता ने अपने कांग्रेस उम्‍मीदवार सदानंद बाबू को विजय श्री आशीर्वाद द‍िया। लोगों ने प्रत‍िक्रिया थी क‍ि कांग्रेस का व‍िरोध जहां होना है तो, हमलोग सदानंद बाबू को ही वोट देंगे।

वर्ष 1980 में कांग्रेस ने सदानंद स‍िंह को टिकट न‍हीं द‍िया। लेक‍िन वे कहां मानने वाले थे। निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। और वे चुनाव जीत गए। हालांकि कुछ ही द‍िनों बाद वे फ‍िर से कांग्रेस में चले गए। वर्ष 2020 में उन्‍होंने राजनीति‍ से सन्‍यास ले ल‍िया। इस उन्‍होंने उन्‍होंने अपने पुत्र शुभानंद मुकेश को कहलगांव से कांग्रेस का टिकट दिलाया। हालांकि शुभानंद चुनाव में हार गए। सदानंद बाबू के निधन पर हर ओर शोक की लहर है।

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