Coronavirius: कोरोना के बीच Swine Flu का कहर, भागलपुर में 298 सूअरों की मौत; शेखपुरा में दो दर्जन कुत्ते मरे
बिहार के कोरोना को ले अलर्ट के बीच भागलपुर में सूअरों में क्लासिक स्वाइन फ्लू का संक्रमण फैल गया है। बुधवार को भी आठ सूअरों की मौत हो गयी है। यह संख्या 298 पर पहुंच गयी है।
पटना, जेएनएन। बिहार के कोरोना को ले अलर्ट के बीच भागलपुर में सूअरों में क्लासिक स्वाइन फीवर (स्वाइन फ्लू) का संक्रमण फैल गया है। बुधवार को नए इलाके इसकी चपेट में आ गए। बुधवार को भी आठ सूअरों की मौत हो गयी है। शहर में सुअरों की मौत का आंकड़ा 298 पर पहुंच गया है। भागलपुर में सूअरों की मौत का सिलसिला पिछले आठ दिनों से जारी है। वहीं शेखपुरा में कुत्तों के मरने की घटना हुई है।
भागलपुर से जेएनएन के अनुसार, बुधवार को भागलपुर के सुरखीकल में तीन, हाउसिंग बोर्ड परिसर में दो, मानिकपुर में एक व डीईओ कार्यालय के समीप दो सूअरों की मौत हुई है। नगर निगम के स्वास्थ्य शाखा प्रभारी मो. रेहान ने बताया कि सूअरों के शवों को दफन कर वहां पर चूना व ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कराया गया है। पशुपालन विभाग ने पशुपालकों से सतर्क रहने को कहा है। विभाग ने तत्काल इसे क्लासिक स्वाइन फीवर बताया है।
वैक्सीनेशन की सुविधा नहीं
जिला पशुपालन अधिकारी डॉ. शंभूनाथ झा ने स्वीकार किया कि स्वाइन फ्लू के टीकाकरण व सूअरों के वैक्सीनेशन की सुविधा यहां नही है। उन्होंने यह कड़वी सच्चाई भी स्वीकार की कि पूरे राज्य में सूअरों के वैक्सीनेशन की व्यवस्था नहीं है। संक्रमण से हर साल सूअरों की मौत होती है, कारण कि सूअर गंदगी के बीच पलते हैं। सूअरों के एक-दूसरे के संक्रमण में आने से यह बीमारी तेजी से फैलती है। इसका संक्रमण छह से सात दिनों तक रहता है।
कोलकाता से छह दिनों में आएगी रिपोर्ट
सूअरों का विसरा लिया गया है। कोलकाता व भोपाल में राष्ट्रीय स्तर के लैब हैं। कोलकाता लैब में विसरा भेजा गया है। छह दिनों में रिपोर्ट आने के बाद संक्रमण के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी। जिले में 16 हजार और शहर में 1404 सूअर हैं।
90 पशुपालकों को बांटी दवा
जिला पशुपालन विभाग ने बचाव के लिए बरारी व सुरखीकल मोहल्ले में सूअर पालकों के बीच दवा वितरण किया। पशु चिकित्सक राजीव कुमार ने बताया कि 90 सूअर पालकों को ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन दवा बांटी गई।
केमिकल का किया छिड़काव
मायागंज में सूअर व मवेशी पालने वाले स्थानों पर वार्ड 27 के पार्षद उमर चांद ने केमिकल का छिड़काव कराया। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर व मायागंज के आसपास काफी संख्या में सूअरों की मौत हुई है। कोरोना के खतरे से भी लोग सहमे हुए है।
पशुपालक भी बरतें सावधानी
सूअरों को संक्रमण से बचाने के लिए साफ-सुथरा रखें। बीमार सूअर से स्वस्थ्य सूअर को अलग रखने का प्रयास करेंं। बीमार सूअरों के इलाज के लिए पशुपालन विभाग के चिकित्सकों से संपर्क करें और आवश्यकतानुसार दवा दें। जिला पशुपालन अधिकारी शंभू नाथ झा ने बताया कि शव को चार फीट तक गड्ढे में दफन करना जरूरी है।
पशुपालक कर रहे लालच
जिला पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि सूअरों को दवा खिलाने के काम में सूअर पालक सहयोग नहीं कर रहे हैं। वह सूअरों दवा खिलाने में भी आनाकानी करते हैं। यदि उनसे दवा खिलाने के लिए सूअरों को पकडऩे की मांग की जाए तो वे पैसों की मांग करते हैं।
शेखपुरा में दो दर्जन मर गए कुत्ते
शेखपुरा सेे जेएनएन के अनुसार, बहार के शेखपुरा जिले के बरबीघा प्रखंड अंतर्गत कुटौत और पिंजड़ी गांव में दो दर्जन कुत्तों की अचानक मौत होने से गांव वालों में डर का माहौल है। पहली घटना ङ्क्षपजड़ी गांव में घटी। यहां पिछले एक सप्ताह में एक दर्जन से अधिक कुत्तों की मौत हो गई। वहीं बुधवार की सुबह कुटौत गांव में दर्जनभर कुत्तों की मौत हो गई। गांव वालों ने इसकी सूचना पशुपालन विभाग के अधिकारियों को दी लेकिन विभाग ने अबतक कोई पहल नहीं की है। कुटौत गांव निवासी ग्रामीण रंजन कुमार व सुबोध कुमार ने बताया कि बुधवार की सुबह गांव के दो अलग-अलग स्थानों पर दर्जनभर कुत्तों की मौत हो गई। गांव वालों ने कुत्तों के शवों को गड्ढा खोदकर दफना दिया गया। उधर, ङ्क्षपजड़ी गांव में पिछले एक सप्ताह में कुत्तों की मौत पर ग्रामीण कौशल कुमार, प्रभात कुमार, अजीत कुमार ने बताया कि एक सप्ताह में अचानक इनकी मौत हुई है। कुत्ते पहले उल्टी करते हैं और फिर उनकी मौत हो जाती है। इस संबंध में बरबीघा पशु अस्पताल के चिकित्सक डॉ मंजीत कुमार ने बताया कि कुत्तों के बीमारी से मरने की बात सामने नहीं आई है। अचानक मरने की वजह जहर का सेवन हो सकता है।