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घर सजे मंजूषा से : मंजूषा को मिला रेशम का साथ, संग-संग भरेंगी उड़ान

मंजूषा कला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उड़ान भरेगी। अब इस कला को रेशम का साथ मिल गया है। रेशमी साडिय़ों और परिधानों पर मंजूषा संग-संग चलेगी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 11:04 AM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 11:04 AM (IST)
घर सजे मंजूषा से : मंजूषा को मिला रेशम का साथ, संग-संग भरेंगी उड़ान
घर सजे मंजूषा से : मंजूषा को मिला रेशम का साथ, संग-संग भरेंगी उड़ान

भागलपुर, जेएनएन। मंजूषा कला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उड़ान भरेगी। अब इस कला को रेशम का साथ मिल गया है। रेशमी साडिय़ों और परिधानों पर मंजूषा संग-संग चलेगी। वस्त्र विक्रेता, व्यवसायी और कलाकार मिलकर इस कला को मुकाम तक पहुंचाएंगे। दैनिक जागरण कार्यालय में मंजूषा कला के विकास को लेकर आयोजित परिचर्चा में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया। रेशमी वस्त्रों के निर्यातक जियाउर रहमान ने कहा कि मंजूषा के लिए जागरण ने जो पहल की है उस दिशा में वे आज से ही प्रयास शुरू कर देंगे। कहा, वे पांच साडिय़ां उपलब्ध कराएंगे। कलाकार इन साडिय़ों में मंजूषा पेंटिंग करके देंगे। इसे उन चुनिंदा लोगों तक पहुंचाया जाएगा, जिससे मंजूषा का व्यापक प्रचार-प्रसार हो सके। अगर, मांग बढ़ी तो कलाकारों को बड़ा बाजार मिल जाएगा।

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परिचर्चा में शहर के प्रबुद्धजन, वस्त्र विक्रेता, व्यवसायी और कलाकार शामिल हुए थे। इस दौरान कलाकारों को बाजार उपलब्ध कराने पर विस्तृत चर्चा हुई। रेशमी वस्त्र के निर्यातक और कपड़ा विक्रेताओं ने कहा कि कलाकारों से समन्वय बनाकर और देश-विदेश के बाजारों की मांग के आधार उत्पाद तैयार किए जाएंगे। कलाकारों को व्यवसायियों का साथ मिल जाएगा। विषय प्रवेश दैनिक जागरण भागलपुर के संपादकीय प्रभारी अविश्नी ने कराया।

पर्यटक ले जाएंगे देश के कोने-कोने में

यह निर्णय लिया गया कि नाथनगर के जैन मंदिर में हर वर्ष आने वाले 50 हजार से अधिक पर्यटक भी मंजूषा कला से रूबरू होंगे। हैंडीक्राफ्ट व साडिय़ों पर बनी कलाकृति पर जब मंजूषा देखेंगे तो यह कला देश के कोने-कोने में अपनी जगह बना लेगी।

मंजूषा के लिए तोड़ देंगे परंपराओं का बंधन

राष्ट्रीय व राज्यस्तरीय कला पुरस्कार से सम्मानित मंजूषा कलाकार उलूपी झा, मनोज पंडित व अनुकृति ने व्यवसायियों को भरोसा देते हुए कहा, आप मुझे डिजाइन दें उसे मंजूषा कला में उतार देंगे। कहा, बाजार की मांग पर परांपरागत बंधनों को भी तोड़ सकते हैं। मंजूषा के लिए प्रोफेशनल बनाने को भी तैयार हैं। रेशमी वस्त्रों के विक्रेता अपना लेंगे तो मंजूषा कला को उड़ान भरने से कोई सिस्टम नहीं रोक सकता है।

मंजूषा कला के विस्तार के लिए हमें दृढ़ संकल्प लेना होगा कि घर के बाहर मंजूषा कलाकृति लगाएंगे। भागलपुर महोत्सव का मंच मंजूषा से बनाया था, जो काफी चर्चित रहा। सिल्क व्यवसायी कपड़ों पर मंजूषा को गढ़ेंगे तो ब्रांड वैल्यू भी बढ़ेगा। व्यवसायियों का भरपूर सहयोग कलाकारों को मिलेगा। - राकेश रंजन केशरी, व्यवसायी

20 देशों में कपड़ों के व्यवसाय का अनुभव है। विदेशी बाजारों में पहचान मिले, इसके लिए मंजूषा की चित्रकारी को इस अनुरूप खूबसूरत बनाना होगा कि लोग आकर्षित हो सकें। नए प्रयोग करने होंगे। दो वर्ष पहले साड़ी बनवाई, लेकिन रंग की बेहतर गुणवत्ता नहीं होने से बाजार नहीं मिला। कलर व क्वालिटी पर ध्यान दें तो कलाकारों से साड़ी पर कार्य कराएंगे। -जियाउर रहमान, रेशमी वस्त्रों के निर्यातक

मंजूषा में कलाकारों के लिए बेहतर भविष्य है। सीएसफसी सेंटर में प्रशिक्षण व उत्पादों की बिक्री के लिए मॉल भी बनेगा। मिनिस्ट्री ऑफ साइंस में मेरी पेंटिंग लगी है। सांसद व राष्ट्रपति भवन तक मंजूषा पहुंचेगी। काफी संघर्ष के बाद मंजूषा के जीआइ रजिस्ट्रेशन की बाधा दूर की है। -मनोज कुमार पंडित, मंजूषा कलाकार

मंजूषा कला को पहले कोई नहीं जानता था। लेकिन अब कलाकारों की फौज तैयार हो रही है। महिलाओं के साथ युवाओं में भी इस कला के प्रति रूझान बड़ा है। केंद्र के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मंजूषा कला के उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं। -सुमना आचार्या, प्राचार्य, मंजूषा कला प्रशिक्षण केंद्र

मंजूषा कला ने हमें पहचान दी है। इसकी वजह से राज्य कला पुरस्कार का सम्मान मिल चुका है। अब मंजूषा का प्रसार कैसे हो इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। मंजूषा को घरेलू उपयोग की सामग्री पर उकेरा जा रहा है। लोगों की मांग के अनुरूप सामान तैयार करने से कलाकारों को रोजगार भी मिलने लगा है।- अनुकृति कुमारी, मंजूषा कलाकार

मंजूषा के तीन रंगों के महत्व को बताना होगा। तभी लोगों की चाहत बढ़ेगी। मंजूषा आर्ट की साड़ी को कलरफुल बनाना होगा, क्योंकि हैंडवर्क की कीमत ज्यादा होती है। कीमत कम करने को स्क्रीन पर मंजूषा आर्ट बनाएं। परांपरा के दायरे में रहेंगे तो दीवारों तक ही सिमटकर रह जाएंगे। -मो. इबरार अंसारी, सिल्क व्यवसायी

भागलपुर में मंजूषा की मांग कम है, लेकिन जब राज्य के अन्य हिस्से में स्टॉल लगाते हैं तो खरीदने वालों की भीड़ लगी रहती है। बाजार को वृहद रूप देने की आवश्यकता है। इसके लिए हर स्तर पर प्रयास करना होगा। -वीणा मिश्रा, मंजूषा कलाकार

दैनिक जागरण का अभियान घर सजे मंजूषा से कला के क्षेत्र में अनूठा प्रयास है। इस अभियान से कलाकारों का मनोबल ऊंचा हुआ है। मंजूषा कला ने महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराया है। इसके बाजार व आर्थिक सहयोग की दिशा में पहल हो। -पूनम कुमारी, मंजूषा कलाकार

मंजूषा कला को आधुनिक ढांचे में ढालने की जरुरत है। इसके लिए कंपनियों से संपर्क कर उन्हें अपने उत्पादों पर मंजूषा कला के उपयोग के लिए प्रेरित करना होगा। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में मंजूषा पेंटिंग रखनी होगी। -सुमित कुमार जैन, अध्यक्ष लायंस प्राइम

कला का विकास होगा तो रोजगार मिलेगा। नाथनगर के मुसहरी गांव को गोद लिया है। यहां महिलाओं को मंजूषा कला का प्रशिक्षण दिलाएंगे, जिससे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकें। इसके लिए मंजूषा कलाकरों का सहयोग भी लिया जाएगा। -मानव केजरीवाल, व्यवसायी

जैन मंदिर में भगवान वासुपूज्य की जीवनी पर आधारित मंजूषा पेटिंग कराई जाएगी। मंदिर में मंजूषा कला की साडिय़ां उपलब्ध कराएं, जिसे हम पर्यटकों को बेच सकें। आस्था के साथ कला जुड़ेगी तो उत्पादों की बिक्री भी बढ़ेगी। इसका लाभ सीधे कलाकारों को होगा। -सुनील जैन, व्यवसायी

हमें अपनी कला के महत्व को समझने के लिए पहले अपने घर में मंजूषा पेंटिंग लगाकर शुरूआत करना होगी। सरकारी व गैर सरकारी कार्यालय के साथ सार्वजनिक स्थानों मंजूषा पेंटिंग से प्रचार-प्रसार होगा। -अनवर आलम, समाजसेवी

मंजूषा कला का विस्तार करना होगा। देवघर में इस कला के बारे में लोग नहीं जानते हैं। भगवान शिव से जुड़ी कथा पर आधारित मंजूषा कला है। यहां मंदिर में मंजूषा पेंटिंग कराने की दिशा में पहल हो, ताकि लोगों को जानने का अवसर मिलेगा। - नीतीश कुमार, देवघर

दक्षिण भारत में मंजूषा पर कार्य कर रहे हैं। साड़ी की कई डिजाइन तैयार करने का परिणाम है कि अब चेन्नई से 200 पीस मंजूषा कला वारी साडिय़ों का आर्डर मिला है। हाल में हरियाणा में एनएचएआइ के अधिकारी के घर पर मंजूषा पेंटिंग की। -पवन कुमार सागर, मंजूषा कलाकार

मंजूषा को पहचान दिलाने में कलाकारों को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा। बाजार की तलाश में डरते हुए साड़ी पर मंजूषा पेंटिंग की थी, जिसे लोगों ने पसंद किया। साड़ी के साथ ड्रेस मटीरियल पर उपयोग हो रहा है। रेशमी वस्त्रों के विक्रेता मिल जाएं तो कलाकारों के भाग्य खुल जाएंगे। - उलूपी झा, मंजूषा कलाकार


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