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जैन मंदिर : भगवान वासुपूज्य का 1008 कलशों से किया गया मस्तकाभिषेक, बोले-दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व Bhagalpur News

पंडित आलोक शास्त्री ने कहा कि दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व है। इसके चिंतन और पालन से मानव शुद्ध होता है। ईमानदारी समृद्धता लाती है और बेईमानी दरिद्रता।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 07:59 AM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 07:59 AM (IST)
जैन मंदिर : भगवान वासुपूज्य का 1008 कलशों से किया गया मस्तकाभिषेक, बोले-दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। कबीरपुर स्थित दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र में दशलक्षण महापर्व का समापन हुआ। अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पूरी आस्था के साथ मनाया गया और भगवान वासुपूज्य की विशाल श्वेत पाषाण की खडग़ासन प्रतिमा का 1008 कलशों से श्रद्धालुओं द्वारा महा मस्तकाभिषेक किया गया।

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इस अवसर पर पंडित आलोक शास्त्री ने कहा कि दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व है। इसके चिंतन और पालन से मानव शुद्ध होता है। ईमानदारी समृद्धता लाती है और बेईमानी दरिद्रता। किसी को पीछे करके नहीं सबको आगे करके आगे बढऩे की सोच रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म कहता है किसी को तकलीफ देकर मुझसे अपनी खुशी की उम्मीद मत रखना।

वहीं पंडित नमन शास्त्री ने कहा कि उदारता बड़ी सोच का प्रतिफल है। हमें अपने एक एक पल का सदुपयोग कर समाज एवं राष्ट्र को उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। जैन सिद्धक्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने दशलक्षण के सफलतापूर्वक समाप्ति पर सभी को बधाई दी और आभार प्रकट किया।

इससे पहले कबीरपुर स्थित जैन सिद्ध क्षेत्र मंदिर में चल रहे दसलक्षण महापर्व के नौंवें दिन 'उत्तम आकिंचन्य धर्म' श्रद्धा व भक्तिपूर्वक के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सिद्ध क्षेत्र के दक्षिणी उद्यान में भगवान पद्म प्रभु जिनालय में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना और मंगल आरती की। प्रवचन के लिए महाराष्ट्र से पधारे आलोक शास्त्री ने कहा कि आकिंचन्य अर्थात परिग्रह छोड़ो। जितना परिग्रह उतना तनाव। उन्होंने कहा कि उदारता ही समृद्धता है। धन का लोभ ही दुख का कारण है। जीवन में आगे बढऩा है तो इच्छाओं को नहीं बढऩे दें।

वहीं कोतवाली चौक स्थित जैन मंदिर में प्रवचन के दौरान पंडित नमन शास्त्री ने कहा कि जिसे दूसरों के दर्द का एहसास हो, वही व्यक्ति दूसरों की मदद कर सकता है। समन्वय सौभाग्य को आमंत्रण देता है। इस दौरान जैन अंताक्षरी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका नेतृत्व राजीव पाटनी, सूरज जैन ने किया।

वहीं सिद्धक्षेत्र के मंत्री सुनील जैन ने बताया कि गुरुवार को भगवान वासुपूज्य निर्वाण सह दशलक्षण महापर्व का समापन समारोह मनाया जाएगा। इस अवसर पर अभिषेक, पूजन, निर्वाणोत्सव के साथ 1008 कलशों से महामस्तकाभिषेक, पूजन एवं निर्वाण लाडू अर्पण किया जाएगा। इसको लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह है। कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड सहित अन्य राज्यों से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। मौके पर सरोज जैजानी, अशोक पाटनी, सुमित बडज़ात्या, कैलाश गंगवाल, सुमंत, संजय जैन समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।


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