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स्वाध्याय, यज्ञ और दान धर्म के तीन मुख्य आधार है : स्वामी निरंजनानंद Munger News

उन्होंने बताया कि स्वाध्याय यज्ञ और दान धर्म के तीन मुख्य आधार हैं। स्वाध्याय का लक्ष्य अपने भीतर के काम क्रोध लोभ मोह मद और मात्सर्य को जानना समझना और नियंत्रित करना है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 12:37 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 12:37 PM (IST)
स्वाध्याय, यज्ञ और दान धर्म के तीन मुख्य आधार है : स्वामी निरंजनानंद Munger News

मुंगेर [जेएनएन]। सन्यास पीठ के पादुका दर्शन आश्रम में चल रहे श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ के तीसरे दिन भक्तमय वातावरण में संपन्न हुआ। महायज्ञ में रिखिया पीठ के पीठाधीश्वरी स्वामी सत्संगानंद सरस्वती के आगमन से भक्तों का उत्साह दोगुना हो गया। प्रात: 8:00 बजे पूजा के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। वाराणसी से आए आचार्यों ने गुरु अर्चना और वैदिक मंत्र का पाठ किया। वेद पाठ के बाद बाल योग मित्र मंडल के बच्चों ने भजन कीर्तन किए।

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स्वामी निरंजनानंद सरस्वती जी के निर्देशानुसार भगवान नारायण और मां लक्ष्मी की कृपा के आह्वान के लिए ऊं नमो नारायणाय और ऊं श्री महालक्ष्म्यै: नम: मंत्र का जाप किया गया। पंडितों ने श्री सूक्त और पुरुष सूक्त का पाठ किया। पाठ के दौरान सभी को यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने का अवसर मिला। 54 महिलाओं ने मां लक्ष्मी और 54 पुरुषों ने श्री नारायण को पूजन सामग्री अर्पित किया। साथ ही वाराणसी के आचार्यों द्वारा हवन का कार्य जारी रहा।

मौके पर स्वामी निरंजनानंद सरस्वती जी ने धर्म के विषय पर अपनी चर्चा जारी रखते हुए बताया कि स्वामी सत्यानंद जी का वास्तविक लक्ष्य धर्म की स्थापना था। उन्होंने बताया कि स्वाध्याय, यज्ञ और दान धर्म के तीन मुख्य आधार हैं। स्वाध्याय का लक्ष्य अपने भीतर के काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मात्सर्य को जानना, समझना और नियंत्रित करना है। जिसके लिए योग पीठ में योग को माध्यम बनाया गया है।

यज्ञ का तात्पर्य उत्पादन, वितरण और ग्रहण की क्रियाओं से हैं और जीवन की हर कर्म को यज्ञ के रूप में देखा जा सकता है। स्वामी सत्यानंद जी ने सभी के सुख और समृद्धि के लिए रिखिया पीठ में राजसूय महायज्ञ की परंपरा प्रारंभ की थी। जिसका शतचंडी महायज्ञ अभिन्न अंग रहा। सन्यास पीठ में श्री लक्ष्मी नारायण यज्ञ की परंपरा भी श्री स्वामी जी के निर्देशानुसार शुरू हुई, जिसका लक्ष्य सर्वव्यापी शांति और संतोष है। आरती, मंत्र, पुष्पांजलि, प्रार्थना और यज्ञ-आशीर्वाद के साथ तीसरा दिन का अनुष्ठान संपन्न हुआ।


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