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शराब बंदी का स्वागत, पर सामाजिक जागरूकता भी जरूरी

भागलपुर । अगले वित्तीय वर्ष से राज्य भर में शराबबंदी की घोषणा का बुद्धिजीवियों ने स्वागत किया है। वह

By Edited By: Published: Fri, 27 Nov 2015 02:58 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2015 02:58 AM (IST)
शराब बंदी का स्वागत, पर सामाजिक जागरूकता भी जरूरी

भागलपुर । अगले वित्तीय वर्ष से राज्य भर में शराबबंदी की घोषणा का बुद्धिजीवियों ने स्वागत किया है। वहीं, शराब बिक्री से होने वाली आय के नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार से पहल करने की उम्मीद भी जताई है। ईस्टर्न चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष शैलेंद्र सर्राफ ने सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि निश्चित रूप से यह समाज के लिए हितकारी कदम होगा, पर इसके साइड इफेक्ट से निपटना बड़ी चुनौती होगी। कहीं ऐसा न हो जाए कि जल्दीबाजी में उठाया यह कदम नाकारात्मक दिशा की ओर मुड़ जाए। उन्होंने कहा, प्रदेश भर में शराब बिक्री से टैक्स के रूप में सरकार को तीन हजार करोड़ की आमदनी होती है। शराबबंदी के बाद सरकार इसकी भरपाई के लिए रजिस्ट्रेशन टैक्स में बढ़ोतरी कर सकती है। इससे लोगों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। इसके अलावा शराब का अवैध धंधा तेजी से फैलेगा। शराब की मांग के चलते ग्रामीण इलाकों में अवैध भट्टियां लग सकती हैं। पड़ोसी राज्यों से शराब की स्मलिंग होने की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। सरकार को इन सारे पहलुओं पर विचार करना होगा। शराब की खपत निचले तबकों में अधिक होती है। शराबबंदी के बाद जैसा कि गुजरात का अनुभव है, चोरी छिपे मंहगे दामों में इसकी बिक्री जारी रहेगी, ऐसे में निम्न तबकों का खर्च बढ़ जाएगा। सरकार को अपनी नीतियों की सफलता के लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक जागरूकता लाने की जरूरत है।

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वहीं, एक कार्यक्रम के सिलसिले में भागलपुर आए गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष और जाने माने लेखक कुमार प्रशांत ने नीतीश सरकार की इस पहल को अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय बताया। उन्होंने कहा गांधी जी का सपना था शराब बंदी। शराब ने कितने घरों को बर्बाद कर दिया है। घरेलू ¨हसा का सबसे बड़ा कारण शराब ही है। शराब बंदी से महिलाओं की दिशा में सुधार आएगा। यह जरूर है कि इससे सरकार को राजस्व में हानी होगी, पर इसकी भरपाई के लिए सरकार के पास तीन महीने के लिए सोचने का वक्त है। इस दौरान सरकार को अपनी नीतियों के क्रियान्वयन की दिशा में भी काम करना होगा। वहीं, बनारस स्थित सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष अमरनाथ भाई भी गांधी शांति प्रतिष्ठान की बैठक में भागलपुर पहुंचे थे। उन्होंने कहा, राजस्थान में शराब बंदी के लिए भाजपा के ही एक विधायक ने अपनी जान दे दी, पर वहां की भाजपा सरकार ने शराब बंदी को अमलीजामा नहीं पहनाया। नीतीश की सरकार ने ऐसी सरकारों को आइना दिखाने का काम किया है।

वरिष्ठ समाजसेवी रामशरण ने कहा, शराब के चलते ही अधिकतर अपराध व सड़क हादसे आदि घटनाएं होती हैं। शराब बंदी से इन घटनाओं पर लगाम लगेगा। इससे जो बचत होगी वह शराब बिक्री से होने वाले नुकसान का कुछ हद तक भरपाई कर पाएगी। केंद्र सरकार को भी चाहिए कि वह राज्य सरकार की इस अनूठी पहल का स्वागत करते हुए उसे अतिरिक्त वित्तीय सहायता मुहैया कराए। दवा व्यवसाय से जुड़े डा. हुसैन मानी ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसा हो जाए तो बहुत सारे घर उजड़ने से बचेंगे। आज जो भी अपराध बढ़ा है, उसका कारण शराब ही है।


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