दया याचिका खारिज होने के बाद भी टल रही फांसी, यहां के जेलों में बंद 12 ऐसे दरिंदे Bhagalpur News
भागलपुर में बंद 12 ऐसे दरिंदगी हैं जिन्हें फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन बचाव के कानूनी विकल्प का रास्ता अख्तियार करते हुए अभी वे फंदे से बचे हुए हैं।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। निर्भया केस में दोषियों को फांसी की सजा पर देश भर की निगाहें टिकी हैं कि आखिर कब? कई ऐसे कैदी भागलपुर की जेल में भी बंद हैं, जिन्हें दरिंदगी की हद पार करने का दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुना दी गई है, लेकिन बचाव के कानूनी विकल्प का रास्ता अख्तियार करते हुए अभी वे फंदे से बचे हुए हैं।
शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा, भागलपुर में बंद 12 ऐसे दरिंदगी हैं, जिन्हें फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इनमें सात ऐसे हैं, जिन्होंने दुष्कर्म के बाद बेरहमी से पीडि़ता का कत्ल कर दिया था।
अदालत ने जघन्य वारदात में दोषी पाए जाने पर फांसी पर लटकाने का आदेश दिया। यहां बंद 12 कैदियों में ज्यादातर की सजा उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखी। अब सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई को लंबित है। वैशाली के राघोपुर निवासी जगत राय की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी थी। इसने सात लोगों को जलाकर मार डाला था। जगत का डेथ वारंट भी जारी कर दिया गया था। उसे फांसी दी जाती, इससे पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं की एक संस्था ने न्यायालय में अर्जी दे दी। जिसकी सुनवाई होने तक फांसी टाल दी गई है।
यहां फांसी की सजा पाए 12 कैदियों में दीपक राय उर्फ विपत राय, निरंजन कुमार उर्फ अलखदेव कुमार, मुन्ना पांडेय, मनीष कुमार उर्फ नेपाली मंडल, शेरू उर्फ ओंकार नाथ सिंह, जगत राय, अजीत कुमार, ध्रुव सहनी, सोनू कुमार, रूपेश कुमार मंडल, प्रशांत कुमार मेहता, जियाउद्दीन उर्फ धन्नो शामिल है। इनमें मुन्ना, मनीष, ध्रुव, सोनू, प्रशांत, जियाउद्दीन और रूपेश दुष्कर्म के बाद हत्या का दोषी है।
मुन्ना पांडेय ने भागलपुर जिले के सबौर थाना क्षेत्र में 31 मई 2015 को एक बच्ची के साथ दुष्कर्म कर हत्या कर दी थी। 23 मार्च 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने दोषी को फांसी की सजा सुनाई। अभियुक्त को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली और अब अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।