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भागलपुर में अवैध निर्माण का मकडज़ाल, 10 वर्ष पहले 269 भवनों को किया था चिह्नित

भागलपुर शहर में धड़ल्ले से सरकारी जमीन का अतिक्रमण और अवैध निर्माण हो रहा है। मुख्य सड़कों से लेकर गलियों में भी अपार्टमेंट होटल से लेकर शॉपिंग मॉल बने हैं। लेकिन नगर निगम प्रशासन लापरवाह बना हुआ है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 09:45 AM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 09:45 AM (IST)
भागलपुर में अवैध निर्माण का मकडज़ाल, 10 वर्ष पहले 269 भवनों को किया था चिह्नित
भागलपुर शहर में अति‍क्रमण हटाया जा रहा है।

भागलपुर, जेएनएन। शहर में जिस गति से आबादी बढ़ रही है, उसी प्रकार अवैध निर्माण भी हो रहा है। शहर में धड़ल्ले से सरकारी जमीन का अतिक्रमण और अवैध निर्माण हो रहा है। स्थिति यह है कि मुख्य सड़कों से लेकर गलियों में भी अपार्टमेंट, होटल से लेकर शॉपिंग मॉल तक का निर्माण हो रहा है लेकिन नगर निगम लापरवाह बना हुआ है। पिछले दो दशक में एक भी भवन पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है।

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ऐसे में शहर में अवैध निर्माण गंभीर समस्या बन गया है। इसके अतिक्रमण के कारण सड़कें सिकुड़ती जा रही हैं। इससे एक तरफ शहर की सूरत बिगड़ रही है, वहीं दूसरी तरफ कार्रवाई नहीं होने से शहर में अवैध निर्माण करने वालों के हौसले बुलंद हैं।

निगम ने भवनों को किया चिह्नित, नहीं हुई कार्रवाई

नगर निगम ने 10 वर्ष पहले 269 भवनों को अवैध निर्माण और अतिक्रमण वाले भवनों को चिह्नित किया था। इसमें सात भवनों को पुराने और जर्जर भवनों की सूची में शामिल है। वर्तमान दौर में 300 अवैध निर्माण से संबंधित नए मामलों की फाइलों को सुनवाई के लिए खोला गया है। खानापूरी के लिए लोगों को नोटिस भी जारी किया गया। आंकड़े बताते हैं कि कई निर्माणों पर नगर निगम की ओर से वर्षो से निगरानीवाद का मामला चल रहा है। लेकिन, अवैध तरीके से बने भवनों के हिस्से को तोडऩे को लेकर निर्णय फाइलों में है।

ऐसे होता है अवैध निर्माण

शहर में किसी तरह के भवन निर्माण का नगर निगम से नक्शा पास कराना अनिवार्य होता है। साथ ही भवन निर्माण के बायलॉज के मुताबिक बिल्डिंग के सामने की सड़क की चौड़ाई कम- से- कम 12 फीट रखनी होती है। ऐसे में बिना नक्शा पास कराए या नक्शा के विपरीत या फिर उसके सामने की सड़क की चौड़ाई मानक के अनुरूप यदि कम है तो वह निर्माण अवैध कहलाता है।

ऐसे चलता है मामला

नगर निगम में अवैध निर्माण को लेकर दो तरह से शिकायतें दर्ज होती हैं। सबसे पहले नगर आयुक्त के स्तर से पहले  निपटारा किया जाता है। यहां यदि बात नहीं बनती है तो फिर मामला ट्रिब्यूनल के बाद हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक जाता है। नगर निगम अवैध निर्माण पर रोक लगाकर निगरानी वाद शुरू करता है। इसकी जानकारी संबंधित थाने को दी जाती है। ऐसे मामलों में निर्माण पर रोक लगी रहे, इसे देखने की जिम्मेवारी संबंधित थाने की होती है।

अवैध निर्माण की श्रेणी

-नगर निगम से बिना नक्शा पास कराए घर बनाना

-नक्शा में छेड़छाड़ कर बिल्डिंग खड़ी करना (जैसे दो मंजिल की परमिशन और तीन या चार मंजिल खड़ी कर देना)

- सरकारी जमीन या किसी दूसरे के जमीन पर कब्जा कर घर बनाना।

- जी प्लस टू के लिए 12 फीट, जी प्लस थ्री के लिए 20 फीट, जी प्लस फोर के लिए 30 फीट सड़क होनी चाहिए

नक्शा के विरूद्ध भवन निर्माण करने वालों पर विभागीय निर्देश के आलोक में कार्रवाई होगी। अभियंता से जांच कराने के बाद मकान मालिक को पक्ष रखने का अवसर मिलेगा। - सत्येंद्र वर्मा, उपनगर आयुक्त


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