कृषि विकास एवं जल संरक्षण के लिए ट्यूबवेल योजना महत्वपूर्ण है : डीएम
बेगूसराय। राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित ट्यूबवेल योजना कृषि विकास एवं जल संरक्षण के लिए अति महत्वपूर्ण है। इसलिए इसे प्राथमिकता के तौर पर संचालित किया जाना आवश्यक है। यह बात गुरुवार को दिनकर कला भवन में जिले के सभी ग्राम पंचायत के मुखिया पंचायत सचिव एवं कार्यपालक सहायकों की समीक्षा बैठक सह कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीएम अरविद कुमार वर्मा ने कही।
बेगूसराय। राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित ट्यूबवेल योजना कृषि विकास एवं जल संरक्षण के लिए अति महत्वपूर्ण है। इसलिए इसे प्राथमिकता के तौर पर संचालित किया जाना आवश्यक है। यह बात गुरुवार को दिनकर कला भवन में जिले के सभी ग्राम पंचायत के मुखिया, पंचायत सचिव एवं कार्यपालक सहायकों की समीक्षा बैठक सह कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीएम अरविद कुमार वर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि पूर्व में लघु जल संसाधन विभाग द्वारा नलकूपों के संचालन की व्यवस्था थी, लेकिन अब यह व्यवस्था ग्राम पंचायतों के जिम्मे दी गई है। ताकि नलकूपों को व्यवस्थित तरीके से चलाने एवं सिचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने का काम हो सके।
जिले में 50 प्रतिशत ट्यूब्वेल खराब : बैठक सह कार्यशाला में डीएम ने कहा कि जिले में चार सौ से ज्यादा ट्यूबवेल है, जिसमें वर्तमान में 198 खराब है। जानकारी दी कि जिले के 74 पंचायतों के 137 ट्यूबवेल की मरम्मत के लिए राशि दी गई है, लेकिन अब तक सिर्फ 30 ट्यूबवेल ही ठीक हो पाया है। राशि उपलब्ध रहने के बावजूद 130 ट्यूबवेल की मरम्मत का कार्य नहीं होने पर उन्होंने खेद जताया। उन्होंने कहा कि यदि कहीं भी ट्यूबवेल के संचालन में भूमि विवाद जैसा मामला आता है, तो कनीय अभियंता एवं संबंधित सीओ से समन्वय स्थापित करें, ताकि समस्या का समाधान हो सके। बैठक सह कार्यशाला में डीडीसी सुशांत कुमार ने कहा कि रबी फसल में पटवन का अपना महत्व है। इसलिए जिले के सभी नलकूपों का संचालन यथासंभव प्रारंभ करें। उन्होंने कहा कि नलकूपों के संचालन में यदि किसी प्रकार की समस्या आती है, तो उसका तत्काल समाधान किया जाएगा।
कार्यशाला के दौरान योजना के तकनीकी पहलू के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। इस दौरान रोकड़ पंजी, उपयोगिता प्रमाण पत्र आदि के संधारण की जानकारी भी दी गई। मौके पर जिला पंचायती राज पदाधिकारी मंजू प्रसाद, लघु सिचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता समेत सभी संबंधित पंचायतों के मुखिया, पंचायत सचिव, कार्यपालक सहायक आदि मौजूद थे।