आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को सरकारी कर्मी घोषित करे सरकार : उषा
बेगूसराय : सरकार आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं का शोषण कर रही है। दिनभर कार्य करने के बावजूद इन्हें अत
बेगूसराय : सरकार आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं का शोषण कर रही है। दिनभर कार्य करने के बावजूद इन्हें अत्यल्प मानदेय दिया जाता है और इसका भी समय पर भुगतान नहीं हो पाता है। उक्त बातें गुरूवार को आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन के संयुक्त संघर्ष मोर्चा द्वारा समाहरणालय के समक्ष आहूत प्रदर्शन को संबोधित करते हुए पूर्व विधान पार्षद उषा सहनी ने कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद भी आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्य करने वाली सेविका को मात्र चार हजार पांच सौ रूपये मानदेय मिलेगा। जो सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से भी काफी कम है। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए यूनियन के जिला महासचिव संगीता झा ने सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार के हर कार्य को सफल बनाने में आंगनबाड़ी सेविका केा लगाया जाता है। चाहे व नियमित टीकाकरण हो या फिर पल्स पोलिया अभियान। कहा, सरकार के शौचालय निर्माण कार्य को अंजाम तक पहुंचाने में भी आंगनबाड़ी सेविका को ड्यूटी पर लगाया गया है। इसके बावजूद मानदेय के रूप में महज तीन हजार रूपये दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री की घोषणा को लॉलीपॉप बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें न्याय चाहिए। प्रदर्शन को संघ के नेता अर्चना चौधरी, एटक नेता ललन लालित्य, प्रह्लाद ¨सह, तलत प्रवीण, नीलम झा, शकुंतला सिन्हा, मीना कुमारी समेत अन्य ने भी संबोधित किया।
इससे पूर्व प्रदर्शनकारियों ने शहर में जुलूस भी निकाला। रेलवे स्टेशन के समीप से निकला जुलूस ट्रैफिक चौक, कचहरी रोड, मेन मार्केट आदि जगहों से होते हुए समाहरणालय के समक्ष पहुंच प्रदर्शन में तब्दील हुआ। मेन रोड में जाम की स्थिति पैदा हो गई थी। प्रदर्शनकारी सरकार से आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, तत्काल 18 हजार रूपये मासिक न्यूनतम वेतन का निर्धारण करने, लंबित मानदेय का शीर्घ भुगतान करने आदि की मांग कर रहे थे।