पर्णकुटीर बनाकर गंगा मैया की भक्ति में लीन हुए श्रद्धालु
धर्म, आस्था, परंपरा और संस्कृति को आत्मसात करता हुआ सिमरिया धाम इन दिनों कल्पवास मेले की धूम है।
बेगूसराय। धर्म, आस्था, परंपरा और संस्कृति को आत्मसात करता हुआ सिमरिया धाम इन दिनों कल्पवासियों की भक्ति से तपोभूमि में परिणत हो चुका है। सुबह से शाम तक कल्पवासी गंगा में डूबकी लगाते हैं। हर तरफ भक्तिमय माहौल बना हुआ है। पर्णकुटीर में कल्पवासियों की भक्ति देखते ही बन रही है। अपना सबकुछ छोड़कर कल्पवासी गंगा के किनारे बालू के ढेर पर पर्णकुटीर बनाकर मां गंगा की भक्ति में लीन हैं।
कल्पवासी की भक्ति को देखने के लिए प्रतिदिन पहुंच रहे हैं लोग
राजेंद्र पुल से होकर गुजरनेवाले लोग जैसे ही गंगा के किनारे बालू के ढेर पर कल्पवासियों के पर्णकुटीर को देखते हैं, तो उनकी भक्ति को देखने के लिए लोग गंगा घाट पहुंच जाते हैं। वहां पहुंच कर कल्पवासियों की भक्ति को देखकर न सिर्फ भाव-विभोर होते हैं, वरन आने वाले लोगों को कल्पवासियों के पर्णकुटीर में भोजन भी कराया जाता है। बिरौल की कल्पवासी लक्ष्मी देवी कहती हैं कि वह गत 21 वर्षों से गंगा के किनारे पर्णकुटीर बना कर गंगा का सेवन कर रही हैं। उनके साथ की अन्य कल्पवासियों ने बताया कि प्रतिदिन पर्णकुटीर में जो भोजन बनाते हैं उसमें कुछ अधिक महाप्रसाद बनाया जाता है, ताकि आनेवाले लोगों को भी ग्रहण कराया जा सके। वहीं दरभंगा मनिगाछी की रामरतिया देवी कहती हैं कि आतिथ्य सत्कार मिथिला की संस्कृति है। आनेवाले लोगों को किसी भी प्रकार की कमी आतिथ्य सत्कार में नहीं होने दी जाती है। सिमरिया गंगा तट स्वर्गलोक है। मां की आराधना से बढकर कुछ नहीं है। यही मां सारी मनोकामना पूरी करती हैं।
दुधिया रोशनी से जगमगा रहा है सिमरिया गंगा घाट
राजकीय कल्पवास मेले में इन दिनों कल्पवासियों के पर्णकुटीर समेत संपूर्ण मेला क्षेत्र बिजली की रोशनी से जगमगा रहा है। शाम होते ही गंगा घाट का नजारा ही बदल जाता है। चारों तरफ भक्तिमय माहौल, गीत-संगीत व भजन-कीर्तन कल्पवासियों के उत्साह को और बढ़ा देता है।