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भगत सिंह नास्तिक थे तो नास्तिक बनकर कोई दिखाएं : सुखदेव सिंह सिरसा

मटिहानी के पूर्व विधायक एवं विप्लवी पुस्तकालय के संरक्षक राजेंद्र राजन के 75 वें जन्म दिवस पर देहदान की औपचारिक घोषणा कार्यक्रम के दौरान एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान राजेंद्र राजन एवं उनकी पत्नी सुशीला देवी के देहदान की औपचारिक घोषणा की गई। इस मौके पर विप्लवी पुस्तकालय द्वारा जारी समय सुरभि अनंत पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 07:22 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 07:22 PM (IST)
भगत सिंह नास्तिक थे तो नास्तिक बनकर कोई दिखाएं : सुखदेव सिंह सिरसा
भगत सिंह नास्तिक थे तो नास्तिक बनकर कोई दिखाएं : सुखदेव सिंह सिरसा

संवाद सूत्र, मटिहानी (बेगूसराय) : मटिहानी के पूर्व विधायक एवं विप्लवी पुस्तकालय के संरक्षक राजेंद्र राजन के 75 वें जन्म दिवस पर देहदान की औपचारिक घोषणा कार्यक्रम के दौरान एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान राजेंद्र राजन एवं उनकी पत्नी सुशीला देवी के देहदान की औपचारिक घोषणा की गई। इस मौके पर विप्लवी पुस्तकालय द्वारा जारी समय सुरभि अनंत पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता तीन सदस्यीय अध्यक्ष मंडली सुरजीत सिंह सिरसा, प्रो. सीताराम सिंह प्रभंजन एवं पूर्व आइपीएस विभूति नारायण राय ने की। गोष्ठी को संबोधित करते हुए पूर्व आइपीएस विभूति नारायण राय ने कहा कि समय, समाज और संस्कृति आज खतरे में है। संस्कृति के नाम पर विद्वेष विखंडनवादी शक्तियां सत्ता की लालच में संगठित होकर समाज को तोड़ने का प्रयास कर रही है। प्रगतिशील लोगों के लिए यह दौर अत्यंत ही कठोर और चुनौतीपूर्ण है। मुझे और अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है। प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव सुखदेव सिंह सिरसा ने कहा कि कहने वाले तो बहुत होते हैं, परंतु अपने कहे पर चलने वाले बहुत कम होते हैं। भगत सिंह नास्तिक थे तो नास्तिक बन कर कोई दिखाएं। राजेंद्र राजन जैसी शख्सियत जो अपने संपूर्ण जीवन काल में रूढि़वादिता, कर्मकांड का विरोध किए तो अंतिम क्षणों में भी एक मिशाल लेकर आगे चलने का कठोर निर्णय लिया। चितक उदय प्रकाश ने कहा कि देश में क्या हो रहा है। इस पर सभी को सोचना चाहिए।हर मंच पर अपनी बात रखनी चाहिए।

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समारोह को डा. हितेंद्र पटेल, कवि डा. आलोक धन्वा, विभूति नारायण राय, संजय श्रीवास्तव आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर राजेंद्र राजन ने कहा कि मुझे बचपन से ही संघर्ष करने की शक्ति मा‌र्क्सवादी विचार से प्राप्त हुई और हमेशा वे साहित्य के साथ राजनीति में सक्रिय रहे। मौके पर पुस्तकालय सचिव आनंद प्रसाद सिंह, अध्यक्ष रमेश प्रसाद सिंह, कोषाध्यक्ष विष्णुदेव कुंवर, मनोरंजन विप्लवी, अगम विप्लवी, अवनीश राजन, संगीता राजन, स्वाति राजन आदि मौजूद थे।


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