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यहां ब्रज की लठमार होली नहीं, रंगों के बरसात की होती है प्रतियोगिता

बेगूसराय। ऐसे तो होली का पर्व सभी जगह मनाया जाता है। कहा जाता है कि ब्रज की होली सबसे ज्यादा चर्चित है। लेकिन मटिहानी प्रखंड स्थित मटिहानी गांव में आयोजित होने वाली होली की चर्चा यहां ज्यादा होती है। होली पर यहां ब्रज की लठमार होली नहीं बल्कि रंगों के बरसात की प्रतियोगिता होती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Mar 2021 12:27 AM (IST)Updated: Sun, 28 Mar 2021 12:27 AM (IST)
यहां ब्रज की लठमार होली नहीं, रंगों के बरसात की होती है प्रतियोगिता

बेगूसराय। ऐसे तो होली का पर्व सभी जगह मनाया जाता है। कहा जाता है कि ब्रज की होली सबसे ज्यादा चर्चित है। लेकिन मटिहानी प्रखंड स्थित मटिहानी गांव में आयोजित होने वाली होली की चर्चा यहां ज्यादा होती है। होली पर यहां ब्रज की लठमार होली नहीं, बल्कि रंगों के बरसात की प्रतियोगिता होती है।

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दो दिन तक खेली जाती है होली : मटिहानी गांव में एक दिन नहीं बल्कि दो दिन होली मनाई जाती है। खास यह कि यहां कुआं पर सामूहिक होली खेली जाती है। पहले दिन चार कुआं पर तथा दूसरे दिन सात कुआं पर मटिहानी के साथ-साथ अन्य गांव के लोग भी जमा होते हैं। कुआं पर दो कतार में कई ड्रम, नांद व अन्य बड़ा बर्तन रखा जाता है। जिसमें कुआं से पानी भरने एवं रंग घोलने का काम किया जाता है। दो पक्ष में बंटकर लोग अलग-अलग कतार में रंग के भरे बर्तन के सामने खड़े होते हैं तथा एक पक्ष दूसरे पक्ष पर पिचकारी से रंग डालते हैं। जो पक्ष दूसरे को रंग डालकर भागने पर मजबूर कर देता है, वह विजेता घोषित होता है। यही सिलसिला दूसरे दिन दो कुआं पर चलता है और विजेता व उप विजेता घोषित किया जाता है।

होता है पुरस्कार वितरण : दूसरे दिन होली के समापन के बाद पंचायत भवन में पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। यहां रंगों के बरसात में विजेता व उप विजेता पक्ष को पुरस्कृत किया जाता है।

एक पखवाड़ा पूर्व से पिचकारी की तैयारी में जुट जाते हैं लोग : रंगों की बरसात प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बेहतर पिचकारी की आवश्यकता होती है। बाजार में बिकने वाली बड़ी पिचकारी की बात तो दूर प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए लोग साइकिल में हवा देने वाले पंप व बांस की पिचकारी भी तैयार करते हैं।

प्रतिष्ठित लोग भी होते हैं शामिल : मटिहानी में आयोजित इस होली में सिर्फ आम नहीं बल्कि खास लोग भी शामिल होते हैं। गांव से बाहर रहने वाले लोग भी होली के अवसर पर गांव पहुंचते हैं तथा होली में शामिल होकर पर्व का आनंद लेते हैं। बेगूसराय के तत्कालीन एसपी व पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय तक भी यहां की होली में शिरकत कर चुके हैं।

राजस्थान के माड़वार समाज ने शुरू कराई थी होली : इस गांव के बुजुर्ग व पूर्व सरपंच राजेंद्र चौधरी राजेश कहते हैं कि इस गांव में वर्षों पूर्व राजस्थान के माड़वार समाज के एक परिवार रहते थे, जो राजस्थान से पिचकारी लेकर यहां आए थे। पहली बार उन्होंने ही दो पक्ष में बांटकर कुआं पर होली की शुरूआत कराई थी, जो आज भी चल रहा है। हालांकि माड़वार समाज का वह परिवार अब यहां नहीं है।


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