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छत्‍तीसगढ़ नक्‍सली हमला: शहीद राजेश का अंतिम संस्‍कार राजकीय सम्‍मान के साथ संपन्‍न

छत्‍तीसगढ़ नक्‍सली हमले में शहीद बिहार के सीआरपीएफ जवान राजेश का शव उनके पैतृक गांव लाया गया। इसके बाद राजकीय सम्‍मान के साथ उनका अंतिम संस्‍कार किया गया।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 21 May 2018 10:45 AM (IST)Updated: Mon, 21 May 2018 10:44 PM (IST)
छत्‍तीसगढ़ नक्‍सली हमला: शहीद राजेश का अंतिम संस्‍कार राजकीय सम्‍मान के साथ संपन्‍न

बेगूसराय [जेएनएन]। छत्‍तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में गीते दिन नक्‍सली हमले में शहीद बिहार के बेगूसराय निवासी सीआरपीएफ जवान राजेश कुमार (26 वर्ष) का पार्थिव शरीर सोमवार को कोलकाता से पटना एयरपोर्ट लाया गया, जिसके बाद सीआरपीएफ द्वारा मोकामा में शहीद को सलामी देने के बाद शव को ससम्मान उनके पैतृक गांव बीहट के सुंदरवन भेज दिया गया। पैतृक गांव पहुंचने के बाद शहीद राजेश के पार्थिव शरीर का राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम संस्कार बेगूसराय के सिमरिया गंगा तट पर किया गया।
शहीद की झलक पाने को बेताब दिखे लोग
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में रविवार को हुए नक्सली हमले में शहीद बीहट सुंदरवन टोला निवासी नवलकिशोर सिंह के 26 वर्षीय पुत्र राजेश कुमार का पार्थिव शरीर जैसे ही सिमरिया राजेंद्र पुल पर पहुंचा, वहां इतंजार में खड़े हजारों नौजवानों ने शहीद राजेश कुमार अमर रहें के नारे लगाने शुरु कर दिए। फूल से सजे वाहन के साथ काफिला धीरे धीरे थर्मल, चकिया, मल्हीपुर व बीहट चांदनी चौक पहुंचा। चांदनी चौक के पास बच्चों ने हाथों में रखे फूलों की बारिश की। इसके बाद हजारों लोगों की भीड़ शहीद के अंतिम दर्शन को उमड़ी पड़ी। जगह-जगह चौक चौराहे पर लोगों की भीड़ जमा थी। हर कोई अपने शहीद की एक झलक पाने को बेताब था।

इसके बाद रतन चौक के रास्ते शहीद का पार्थिव शरीर उनके पैतृक आवास पर पहुंचा। वहां पहले से भीड़ इस कदर उमड़ रही थी। शहीद का पार्थिव शरीर ज्यों ही उनके घर पहुंचा, चीत्कार मच गया।

यहां बिहार पुलिस के जवानों द्वारा उन्‍हें सलामी दी गई। फिर, शव को फूलों से सजे वाहन पर रखकर गांव का भ्रमण कराते हुए सिद्धपीठ बड़की दुर्गा मंदिर परिसर लाया गया। इसके बाद महात्मा गांधी उच्च विद्यालय बीहट के मैदान में अंतिम दर्शन हेतु रखा गया।
पांच साल के बेटे ने दी मुखाग्नि
महात्मा गांधी उच्च विद्यालय बीहट के मैदान में जिला के प्रभारी मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित किए। इसके बाद काफिला बीहट चांदनी चौक के रास्ते एचएफसी खेल मैदान गया। तत्पश्चात काफिला मल्हीपुर होते हुए सिमरिया गंगा नदी तट पहुंचा, जहां शहीद के पांच वर्षीय पुत्र ऋषभ कुमार ने नम आंखों से अपने पिता को मुखाग्नि दी।
अब पिता को शहीद के बच्‍चों व पत्‍नी के भविष्‍य की चिंता
शहीद के पिता नवल किशोर सिंह ने बताया कि राजेश ने 2010 में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में नौकरी ज्वाइन की थी। पिता को अपनी उम्र को देखते हुए शहीद की पत्‍नी व तीन बच्‍चों के भविष्‍य की चिंता खाए जा रही है। राजेश की शादी छह वर्ष पूर्व लखीसराय रामपुर गांव में स्वीटी कुमारी के साथ शादी हुई थी। उसे दो पुत्र व एक पुत्री हैं।

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परिवार वालों का बुरा हाल
शहीद के बूढ़ी मां सुनीता देवी तथा पत्‍नी स्‍वीटी कुमारी का रो-रोकर बुरा हाल है। पिता भी रोते हुए बताते हैं कि उन्‍होंने किस तरह मजदूरी कर बेटे को पढ़ा-लिखाकर बड़ा किया था और अब जब उसकी बारी आई तो वह छोड़कर चला गया। शहीद राजेश की चारों विवाहित बहनें कभी माता-पिता तो कभी भाभी व उनके बच्‍चों को संभाल रही हैं।

मौत के पहले की थी पिता से बात
शहीद के पिता नवल किशोर सिंह ने बताया कि राजेश शुक्रवार को ही वापस ड्यूटी पर गए थे। रविवार को ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद गश्ती पर गए और हमला हो गया। हमले के पूर्व शहीद राजेश ने पिता से मोबाइल पर बात की थी और कहा था कि जंगल में नक्सली हमला हुआ है उसी में जा रहे हैं। उसके बाद राजेश के शहीद होने की सूचना मिली। यह परिवार के लोगों के साथ राजेश की अंतिम बातचीत थी।


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