शक्र की जयंती पर उनकी रचना प्रकाशित कराने का संकल्प
बेगूसराय। शुक्रवार को क्रांतिकारी कवि रामावतार यादव शक्र की 104वीं जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गृह स
बेगूसराय। शुक्रवार को क्रांतिकारी कवि रामावतार यादव शक्र की 104वीं जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गृह सिमरिया-दो पंचायत के रूपनगर में समारोह का आयोजन हुआ। इस दौरान उनकी अप्रकाशित रचनाओं को प्रकाशित कराने का स्थानीय लोगों एवं बुद्धिजीवियों ने संकल्प लिया। वरिष्ठ कवि अशांत भोला व युवा कवि प्रवीण प्रियदर्शी उनकी पुण्यतिथि के मौके पर 10 जून 2019 को शक्र की रचनाओं का लोकर्पण करेंगे। इसके पूर्व रूपनगर दुर्गा स्थान चौक पर शक्र की प्रतिमा पर साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों एवं ग्रामीणों ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, वरिष्ठ कवि अशांत भोला, जलेस के राज्य सचिव विनिताभ, श्याम नंदन निशाकर, प्रवीण प्रियदर्शी, बबलू दिव्यांशु, सजीव फिरोज, रामकृष्ण, केदारनाथ भास्कर, विद्यासागर ठाकुर, आयोजन समिति के अध्यक्ष रामानंद प्रसाद यादव, शक्र स्मृति विकास समिति के अध्यक्ष उदयकांत यादव, कृष्ण नंदन यादव, पूर्व मुखिया रामानुज ¨सह, वकील रजक, गंगाधर पासवान, अशोक पासवान, पंसस सुरेंद्र दास, शोषित समाज दल के उमेश पटेल, रंगकर्मी ऋषिकेश कुमार, बिजेंद्र रजक, सन्नी कुमार, बिजेंद्र रजक, रोहित कुमार, विकेश कुमार, राज कुमार आदि ने माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
एससीएसटी माइनोरिटी संयुक्त मोर्चा ने मनाई शक्र की जयंती : बेगूसराय : शुक्रवार को एससी/एसटी, ओबीसी माइनॉरिटी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले क्रांतिकारी कवि रामावतार यादव शक्र का 104वां जन्म शताब्दी समारोह आंबेडकर भवन पोखरिया में मनाया गया। कार्यक्रम में अनेक सामाजिक संगठन, पार्टियों के पदाधिकारी उपस्थित हुए। मुख्य अतिथि पूर्व सांसद राजवंशी महतो ने कहा कि महान क्रांतिकारी कवियों में एक कवि थे शक्र। उन्होंने समाज को दिशा दी जिससे दलित-पिछड़े आगे आए। उन्होंने कहा कि हमलोग उनके रास्ते पर चलकर ही समाज को बेहतर बना सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजवादी नेता महेंद्र मालाकार ने की। कार्यक्रम का संचालन गरीबदास ने किया। वक्ताओं में राजद युवा जिलाध्यक्ष मोहित यादव, अधिवक्ता रामविनोद यादव और एससी/एसटी ओबीसी माइनॉरिटी के संयोजक विजय पासवान ने कहा कि कविवर शक्र मात्र साहित्यकार ही नहीं बल्कि खुदीराम बोस, शहीदे आजम भगत ¨सह आदि की परंपरा के क्रांतिकारी कवि थे। उनका दोहा शोषित जनता पूछ रही है, आजादी की परिभाषा, पीड़ित मानव पूछ रहा है, आजादी की परिभाषा.. दलितों, पिछड़ों की दयनीय स्थिति दर्शाता है। समारोह को अर¨वद यादव, निर्माण प्रसाद यादव, नवीन ¨सह, सिकंदर महतो, रोहित पटेल, रामदास पटेल आदि ने संबोधित किया।