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बैंक प्रबंधकों की लापरवाही से नहीं मिला फसल बीमा का लाभ

बेगूसराय। बैंक अधिकारी केसीसी धारक किसानों के घर उनके एनपीए खाते का ऋण वसूलने के लिए दिन-रात एक करते

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 04:19 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 04:19 PM (IST)
बैंक प्रबंधकों की लापरवाही से नहीं मिला फसल बीमा का लाभ
बैंक प्रबंधकों की लापरवाही से नहीं मिला फसल बीमा का लाभ

बेगूसराय। बैंक अधिकारी केसीसी धारक किसानों के घर उनके एनपीए खाते का ऋण वसूलने के लिए दिन-रात एक करते दिख रहे हैं। इसके लिए बैंक लगातार लोक अदालत लगाकर ऋण की वसूली के लिए प्रयासरत हैं। फिर भी किसानों का खाता एनपीए है। इसके लिए कहीं ना कहीं संबंधित बैंक के अधिकारी भी जिम्मेवार हैं। कारण यह है कि बैंक कर्मियों एवं इंश्योरेंस कंपनी की मिलीभगत से गढ़पुरा प्रखंड क्षेत्र के किसानों को करोड़ों का चूना लगाने की बात सामने आई है। वर्ष 2017-18 में खरीफ फसलों के नुकसान को लेकर जिले भर के अधिकतर बैंकों में केसीसी धारक किसानों को इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा 80 से 90 प्रतिशत फसल क्षति की भरपाई की गई है। परंतु, एकमात्र गढ़पुरा प्रखंड में किसानों को इस लाभ से वंचित रखा गया है। मालूम हो कि गढ़पुरा प्रखंड में कुल पांच बैंक हैं जिसमें से किसी भी बैंक ने किसानों को इसका लाभ नहीं दिया है।

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खरीफ फसलों में बैंकों ने मक्का का नहीं धान का किया था इंश्योरेंस, किसानों को नहीं मिला लाभ : वित्तीय वर्ष 2017-18 में बेगूसराय जिले के अन्य प्रखंडों के बैंकों में लंबे समय बाद इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा 80 से 90 फीसदी फसलों की क्षति की भरपाई की गई है। खरीफ फसलों में अधिकतर बैंकों ने मक्का और धान दोनों का इंश्योरेंस किया था। गढ़पुरा प्रखंड में स्थित एसबीआइ और यूको बैंक की एक-एक शाखा एवं बिहार ग्रामीण बैंक की तीन शाखायें है। इसमें से एक ने भी वित्तीय वर्ष 2017-18 में किसानों के खेत में लगाए गए मक्का की फसल का इंश्योरेंस नहीं किया। सभी बैंकों ने सिर्फ धान की फसल का इंश्योरेंस किया था जिसका नतीजा हुआ कि प्रखंड क्षेत्रों के किसान को इसके लाभ से वंचित होना पड़ा। अधिकतर बैंक के शाखा प्रबंधक इस पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। दबी जुबान से कह रहे हैं कि यहां खरीफ फसलों में सिर्फ धान की खेती होती है। जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गढ़पुरा बीएओ अर¨वद कुमार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में गढ़पुरा प्रखंड क्षेत्र में कुल 1286 हेक्टेयर भूमि पर मक्के की खेती हुई थी। 12 जनवरी को गढ़पुरा प्रखंड सभागार में हुए पंचायत समिति की बैठक में भी यह मुद्दा गरमाया रहा। भरी सदन में बैंक अधिकारियों के खिलाफ ¨नदा प्रस्ताव पास करने की भी बात कही गई थी।

गढ़पुरा के विभिन्न बैंकों में केसीसी का आंकड़ा : बिहार ग्रामीण बैंक, गढ़पुरा के केसीसी धारक किसानों की संख्या 1965 है। इन किसानों के बीच 21.5 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया है। शाखा प्रबंधक आरबी दास ने बताया कि 80 फीसदी किसान डिफॉल्टर हैं जिनका 13 करोड़ के करीब का ऋण एनपीए हो चुका है। बिहार ग्रामीण बैंक मालीपुर के शाखा प्रबंधक विवेक कुमार ने बताया कि मालीपुर बैंक में केसीसी धारक किसानों की संख्या 2442 है जिन्हें 21 करोड़ का ऋण दिया गया है। इसमें 950 किसानों का खाता एनपीए हो चुका है। बिहार ग्रामीण बैंक, सोनमा के शाखा प्रबंधक ने बताया कि यहां 22 केसीसी धारक किसानों के बीच 43 लाख 43 हजार 568 का ऋण है। यूको बैंक गढ़पुरा के शाखा प्रबंधक रंजीत कुमार ने बताया कि यहां करीब तीन सौ केसीसी धारक किसान हैं जिन्हें पांच करोड़ का ऋण दिया गया। इनमें से 70 फीसद खाता एनपीए हो चुका है। एनपीए खाता की राशि करीब साढे तीन करोड़ है। भारतीय स्टेट बैंक गढ़पुरा के मुख्य प्रबंधक भूषण कुमार ने बताया कि यहां केसीसी धारक किसानों की संख्या 15 सौ है जिन्हें 12 करोड़ का ऋण दिया गया है। इसमें करीब बारह सौ किसानों का खाता एनपीए हो चुका है।

राजनीतिक पार्टी एवं किसान कर रहे हैं विरोध : गढ़पुरा के किसी भी बैंकों के द्वारा 2017-18 के खरीफ फसल क्षति का मुआवजा इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा नहीं देने से खासकर किसान एवं राजनीतिक पार्टियों में विरोध के सुर उठने लगे हैं। गढ़पुरा के किसान लक्ष्मी नारायण मिश्र, अनिल झा, धरमपुर के चेतन विप्लव, रजौर के ओमप्रकाश यादव के अलावा सीपीआइ के अंचल मंत्री विपिन कुमार ¨सह, कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष आभाष झा, आरजेडी के प्रखंड अध्यक्ष नंदलाल महतो समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने गढ़पुरा प्रखंड के किसानों का बैंकों के द्वारा की गई हकमारी का पुरजोर विरोध किया है। उन्होंने इसके लिए चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी करने की भी बात कही है।


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