अब छोटी माता की हो रही विदाई की तैयारी
बांका। चेचक यानी गांवों में कही जाने वाली छोटी माता की अब विदाई का वक्त आ गया है।
बांका। चेचक यानी गांवों में कही जाने वाली छोटी माता की अब विदाई का वक्त आ गया है। गांव-गांव में होने वाले चेचक का प्रकोप अब नहीं दिखेगा। इसके लिए 15 जनवरी से एक एमआर टीकाकरण विशेष अभियान चलेगा। जिसके बाद छोटी माता सदा के लिए अलविदा कह देगी। ज्ञात हो पिछले दिनों जयपुर क्षेत्र के दर्जनों गांव में चेचक का प्रकोप इस कदर बड़ा था कि इसमें खासकर अधिक संख्या में बच्चे आक्रांत थे। गांव में आज भी दकियानूसी विचारों से गिरे लोग चेचक को माता के रूप में मानते आ रहे हैं। विकट परिस्थिति में भी गांव में चिकित्सीय उपचार नहीं करा कर चेचक का यहां भगवान जैसा सेवा सत्कार किया जाता है। चेचक को माता मानकर इलाज नहीं कराने के चक्कर में यहां कई लोगों की यहां जाने भी जा चुकी हैं।
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क्या है रूबेला :
रूबेला एक ऐसी बीमारी है जिसमें परोक्ष रूप से शरीर के अंदर गंभीर दुष्परिणाम छोड़ जाते हैं। जिसकी जांच के बिना पता लगाना संभव नहीं हो पाता है। जिसके कारण बच्चे के जन्म लेने के साथ मस्तिक का छोटा हो जाना मानसिक रूप से कमजोर तथा बहरा एवं गूंगा तक होने की प्रबल संभावना रहती है। यहां तक की गर्भपात होने की भी संभावना रहती है। ------------
नौ माह से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चों को लगेगा टीका :
(एमआर) मीजल्स, रूबेला टीका जो खसरा के साथ छोटी माता के लिए विशेष विशेष टीका है जो नौ माह से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चे को दिया जाएगा। इस टीका के लग जाने के बाद पोलियो के तरह छोटी माता से भी निजात मिल जाएगी।
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कोट
एमआर वैक्सीन शरीर में लाइव टाइम रोग रोधी क्षमता उत्पन्न कर घातक रोग से रक्षा करता है। इस अभियान को सफल बनाने में स्वास्थ्य विभाग के साथ शिक्षा विभाग एवं बाल विकास का महत्वपूर्ण योगदान होगा। जिसकी तैयारी पूरी जोरों से चल रही है।
- डॉ. योगेंद्र प्रसाद मंडल, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी बांका