Move to Jagran APP

निकरा प्रोजेक्ट की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना

बांका। बांका के निकरा प्रोजेक्ट की राष्ट्रीय स्तर पर सरहाना हुई है। मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र बांका में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से निकरा परियोजना से संबंधित बैठक की गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 09:57 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 09:57 PM (IST)
निकरा प्रोजेक्ट की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना
निकरा प्रोजेक्ट की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना

बांका। बांका के निकरा प्रोजेक्ट की राष्ट्रीय स्तर पर सरहाना हुई है। मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र बांका में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से निकरा परियोजना से संबंधित बैठक की गई। इसमें जिले के साथ-साथ इस परियोजना से जुड़े बिहार एवं झारखंड के 13 कृषि विज्ञान केंद्रों में की समीक्षा की गई। बैठक में केविक के वरीय विज्ञानी एवं प्रधान डॉ. मुनेश्वर प्रसाद ने निकरा परियोजना के तहत अंगीकृत कटोरिया प्रखंड का मेढ़ गांव जहां वर्ष 15-16 से 20-21 तक किए गए कार्यों का प्रस्तुतीकरण दिया गया। इसकी सराहना अटारी पटना के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक प्रसार शिक्षा एमएस कुंडू, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूष सहित सभी पदाधिकारी द्वारा किया गया।

loksabha election banner

---------

प्रोजेक्ट से लोगों को हो रहा लाभ

वरीय विज्ञानी ने कहा कि मेढ़ा सूखाग्रस्त इलाका है। यहां इस परियोजना के तहत एक चेक डैम का निर्माण एवं एक तालाब का जीर्णोद्धार कराकर जल संरक्षण की दिशा में कार्य किया गया। यहां कृषि यंत्रीकरण का उपयोग कर धान की सीधी बोआई, ड्रम सीडर का उपयोग कर नई तकनीक से खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। साथ ही यहां धान का प्रभेद सहभागी एवं सबौर अर्धजल का प्रत्यक्षण कराया गया। इससे पाया गया कि कम वर्षा में इसकी उपज अन्य प्रभेदों की तुलना में अच्छा रहा।

----

जल संरक्षण को भी मिला बल

निकरा प्रोजेक्ट के तहत ही वर्षा जल संरक्षण द्वारा गो पालन कराने एवं डेयरी से उत्सर्जित पानी से हरा चारा उत्पादन तथा किचेन गार्डन को विकसित किया गया। सूखा क्षेत्र रहने के कारण गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं को चारा की समस्या से निजात दिलाने के लिए यूरिया उपचारित भूसा एवं पलास के पत्ते का साईलेज बनवाया गया। पशु चॉकलेट का प्रत्यक्षण किया गया। यहां सामुदायिक पशु स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया। जिसके तहत ग्रामीण लोगों को प्राथमिक उपचार एवं टीकाकरण कराने का प्रशिक्षण देकर ग्रामीण लोगों को प्राथमिक उपचार की दिशा में आत्मनिर्भर बनाया गया। गावं के लोगों द्वारा ही बकरियों का पीपीआर वैक्सीन का टीकाकरण किया गया। जिससे बकरियों की मृत्युदर में कमी आयी है। समीक्षा बैठक के दौरान बिहार कृषि विवि के कुलपति डॉ. आरके सोहाने, कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी रधुवर साहू, संजय मंडल, डॉ. धर्मेद्र कुमार सहित अन्य थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.