हौसले को सलाम: आठवीं पास चौकीदार ने अपने पांच बेटों को बनाया अनमोल 'रत्न'
एक आठवीं पास चौकीदार पिता ने अपने पांच बेटों को पढ़ा-लिखाकर रत्न बना दिया। चौकीदार नेवालाल के दो बेटे बीपीएससी पास कर अधिकारी बने एक बेटा डॉक्टर एक पुलिस अधिकारी है।
बांका [कुमुद रंजन राव]। पढऩे और पढ़ाने वालों में सच्ची लगनशीलता हो तो संसाधन के अभाव में भी सफलता कदम चूमने लगती हैं। बांका के रजौन प्रखंड के भगवानपुर गांव के चौकीदार नेवालाल पासवान ने अपने पांच बेटों को 'रत्न' बना दिया।
उनके दो बेटे बिहार पब्लिक सर्विस की परीक्षाएं पास कर अधिकारी हैं, एक पुत्र डॉक्टर तथा एक बेटा पुलिस अधिकारी हैं। परिश्रम से मिली उपलब्धि पर गांवों के युवाओं के लिए चौकीदार का परिवार प्रेरणास्रोत बन हुआ है।
आठवीं पास नेवालाल और निरक्षर पत्नी पामा देवी ने अपने पुत्रों की शिक्षा के लिए कोई समझौता नहीं किया। आज जब नेवालाल इस दुनिया में नहीं रहे तो गांव के लोग उनकी मिसाल दे रहे हैं।
सबसे पहले नेवालाल के ज्येष्ठ पुत्र उमाशंकर पासवान बीएमपी में अवर निरीक्षक बने। उस समय तक उनके बाकी चार बेटों की पढ़ाई जारी थी। इसी बीच रजौन थाने में चौकीदार के पद पर कार्यरत नेवालाल पासवान ने नहीं रहे। उनके बाद मां पामा देवी व बड़े बेटे उमाशंकर दास ने चारों भाइयों को मुकाम तक पहुंचाया।
चौकीदार के निधन के बाद उनके दूसरे पुत्र गौरीशंकर पासवान ने अनुकंपा के आधार पर वह नौकरी कर ली। अन्य तीन बेटों में से तीसरे मुरारी पासवान बीपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर अधिकारी बने। सन्हौला हाईस्कूल में शिक्षक रहते हुए उन्होंने बिहार लेखा पदाधिकारी की परीक्षा पास की।
नेवालाल के चौथे पुत्र डॉ. अतुल आनंद ने मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद से वे पटना पीएमसीएच में पदस्थापित हैं। छोटे पुत्र भवानी शंकर ने इसी साल बीपीएससी की परीक्षा पास की है। भवानी शंकर की पदस्थापना डीपीओ पद पर हुई है।
डीपीओ बने भवानी शंकर ने बताया कि भाई की सफलता का सारा श्रेय पिताजी को जाता है। बचपन से ही उन्होंने पढ़ाई को पहला स्थान दिया। उनके निधन के बाद बड़े भाई उमाशंकर ने सबको संवारा है।