बिन बारिस सूख रहा बिचड़ा, किसान हो रहे हताश
बांका। आषाढ़ का मास ढलान पर है और इंद्रदेव की वक्र ²ष्टि से रोपनी से पहले ही सूखाड़ की संभावना से किसानों का चेहरा मुरझाने लगा है।
बांका। आषाढ़ का मास ढलान पर है और इंद्रदेव की वक्र ²ष्टि से रोपनी से पहले ही सूखाड़ की संभावना से किसानों का चेहरा मुरझाने लगा है। बीते एक पखवाड़े से रोज खिली खिली धूप खिलने से किसानों का दिल दहलने लगा है। उमस भरी गर्मी से आमलोगों की बेचैनी भी बढ़ी है। लेकिन किसानों का तो सर्वस्व छीनता नजर आ रहा है। पंजवारा के किसान ब्रह्मदेव प्रसाद ¨सह, बाल मुकुंद बगवै, भोला यादव, जयराम यादव, भरत मंडल, जगदीश मंडल, शिवनंदन यादव आदि अन्य किसान बताते हैं कि बिचड़ा बुने हुए कई दिन बीत चुके। बिचड़े में अंकुरण भी आया। अब जब रोपनी के लिए बिचड़ा तैयार होने के कगार पर आया तो बिचड़ा सूखकर फटने लगा है। कई किसान अभी से बिचड़ा बचाने के लिए डीजल से खेत पटवन कर रहे हैं। कई के खेतों का बिचड़ा पीला पड़कर मुरझा सा गया है। जबकि वर्षा रानी को सूर्यदेव का ताप मुंह रोज मुंह चिढ़ा रहा है। इनलोगों का कहना है कि अगर दो चार दिनों में बारिस की कृपा नहीं बरसी तो रोपनी से पहले बिचड़े पर ही संकट का बादल मंडरा जाएगा। जिससे किसान ¨चतित नजर आ रहे हैं।