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ढाई साल में फिर जर्जर हो गई बेलहर-संदीपी पथ

बांका। जमुई जिला को जोड़ने वाली बेलहर-संदीपी पथ निर्माण के ढाई वर्ष बाद फिर जर्जर हो गया है। इस कारण

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 11:51 PM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 11:51 PM (IST)
ढाई साल में फिर जर्जर हो गई बेलहर-संदीपी पथ

बांका। जमुई जिला को जोड़ने वाली बेलहर-संदीपी पथ निर्माण के ढाई वर्ष बाद फिर जर्जर हो गया है। इस कारण राहगीरों के सामने आवागमन में घोर परेशानी की समस्या उत्पन्न हो गई है। नक्सलियों या शराब माफियाओं के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई में भी परेशानी होती है। बेलहर-संदीपी पथ नक्सल प्रभावित खसिया, सरदारा, चट्टीखिलाड़ आदि गांव को जोड़ती है। इस पथ का निर्माण कार्य करीब ढ़ाई दशक पूर्व हुआ था। जिससे करीब तीन दर्जन गांव का आवागमन होता है। एक दशक से पथ काफी जर्जर हो गया था। स्थानीय लोगों की मांग पर दो साल पूर्व मरम्मति कार्य किया गया था। लेकिन कार्य मानक अनुरूप नहीं किया गया। लिहाजा सड़क फिर से जर्जर हो गई। सौंताडीह, घोघा, कुमरी आदि के ग्रामीणों ने बताया कि जब सड़क मरम्मति कार्य शुरू हुआ था, तो जर्जर सड़क से मुक्ति मिलने की उम्मीद जगी थी। लेकिन संवेदक के घटिया निर्माण कार्य कारण सड़क की स्थिति पहले जैसी हो गई है। जिससे गंभीर रूप से बीमार मरीजों या प्रसव पीड़िताओं को लेकर सफर करना जोखिम भरा कदम होता है। इसकी उच्चस्तरीय जांच जरूरी है।

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आवेदन गुम होने की बात पूछने पर प्रमुख से उलझे प्रधान लिपिक

संसू, चांदन (बांका): एक योजना संबंधी आवेदन गुम के संबंध में पूछने पर अंचल कार्यालय के प्रधान लिपिक राज किशोर यादव सोमवार को प्रमुख रवीश कुमार से भीड़ गए। दोनों के बीच काफी तीखी नोकझोंक के बीच मामला मारपीट तक पहुंचने पर बीडीओ दुर्गाशंकर, सीओ प्रशांत शांडिल्य और थानाध्यक्ष रविशंकर कुमार ने बीच बचाव के बाद शांत किया। इधर, प्रमुख ने उक्त प्रधान लिपिक के तबादले के लिए वरीय पदाधिकारी को आवेदन दिया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि राजकिशोर के चांदन में योगदान के बाद से उनका कार्यकाल बराबर विवादों में रहा है। आरोप है कि 12 बजे के बाद कार्यालय आना और दो बजे के बाद बांका चला जाना उसकी रोजाना की ड्यूटी है। इस संबंध में बिरनिया पंचायत के गोपडीह निवासी अन्छु दास ने बताया कि एक लाभुक का आवेदन लिपिक द्वारा गुम कर दिया गया। इसकी शिकायत सीओ से करने के बाद कुछ दिन बाद दूसरा आवेदन दिया गया। उसी आवेदन की खोज होने पर वह आवेदन भी गायब पाया गया। इसकी शिकायत इस बार प्रमुख से की गयी। बाद में प्रमुख द्वारा पूछने पर प्रधान लिपिक राजकिशोर यादव प्रमुख से पूरी तरह उलझ गए। मामला मारपीट तक पहुंचने से पहले ही अधिकारियों के हस्तक्षेप से शांत हो गया।


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