भाजपा नहीं दुहरा पा रही पुराने जनसंघ का प्रदर्शन
बांका। भाजपा अभी भले देश की सबसे अधिक सदस्यता वाली बड़ी राजनीतिक पार्टी हो लेकिन बांका में उसकी हैसियत एक सीट से कभी आगे नहीं बढ़ सकी है।
बांका। भाजपा अभी भले देश की सबसे अधिक सदस्यता वाली बड़ी राजनीतिक पार्टी हो, लेकिन बांका में उसकी हैसियत एक सीट से कभी आगे नहीं बढ़ सकी है। हालत यह है कि वह अपने पुराने भारतीय जनसंघ का प्रदर्शन भी पिछले पांच दशक में नहीं दुहरा सकी है।
पिछले 2015 के विधानसभा चुनाव में उसने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारा। मगर जीत फिर केवल एक सीट तक सिमटी रही। बांका सीट से रामनारायण मंडल चुनाव जीते। बेलहर, कटोरिया और अमरपुर सीट से उसके प्रत्याशी हार गए। भले इस चुनाव में उसका वोट रिकार्ड बढ़ गया, मगर यह सीट जीतने लायक नहीं बन सका। इसके पहले 2010 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की यही हालत थी। जदयू के साथ मिलकर लड़ने पर उसे दो में एक सीट पर जीत मिली। कटोरिया सुरक्षित सीट पर सोनेलाल हेम्ब्रम चुनाव जीते तो बांका सीट से उसके प्रत्याशी रामनारायण मंडल चुनाव हार गए। इसके पहले लगातार कई वर्षों तक बांका सीट पर ही हार जीत से उसे संतोष करना पड़ा। हालत यह है कि भाजपा जिला में धोरैया सुरक्षित सीट पर हाल में प्रत्याशी भी नहीं उतार रही है। धोरैया के साथ बेलहर सीट से भी उसको पहली जीत का इंतजार है। यह इंतजार इस चुनाव में भी पूरा नहीं होने जा रहा है। क्योंकि इन दोनों सीटों पर इसबार उसके उम्मीदवार नहीं हैं। उसकी परीक्षा फिर बांका के साथ कटोरिया में है। दोनों सीट पर जीतने के बाद ही वह अपने पुराने प्रदर्शन को दुहरा सकेगी। भाजपा ने दोनों सीट पर पिछले चुनाव के उम्मीदवार रामनारायण मंडल और निक्की हेम्ब्रम को मैदान में उतारा है।
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तीसरे विधानसभा में बाबूलाल और सीताराम बने विधायक
1967 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के पुराने रूप जनसंघ ने बांका में रिकार्ड तोड़ प्रदर्शन किया है। उस बार उसके दो विधायक जीते थे। उस वक्त जनसंघ का देश में मजबूत आधार नहीं था। तब जनसंघ प्रत्याशी सीताराम किशोरपुरिया ने कटोरिया तथा बाबूलाल मंडल ने बांका सीट जीत कर पहली बार भगवा फहरा दिया था। इसी साल लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी वेणीशंकर शर्मा ने बांका सीट से जीत दर्ज किया था। तब देश भर में जनसंघ की सीटें ईकाई अंकों में थी। पूर्व सांसद जनार्दन यादव बताते हैं कि वे पहले चुनाव से बांका के चुनाव में सक्रिय हैं। तब आरएसएस का काम गांव-गांव तक था। इसी काम की बदौलत दो विधायक और सांसद जीते थे। इसी चुनाव में वे अमरपुर सीट कुछ सौ वोटों के अंतर से हार गए थे।
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1967 विधानसभा में जनसंघ विधायक
बाबूलाल मंडल-बांका
सीताराम किशोरपुरिया-कटोरिया
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1972 विधानसभा में जनसंघ के विजेता
जनार्धन यादव-अमरपुर
---------------------- 2010 में भाजपा के विधायक सोनेलाल हेम्ब्रम-कटोरिया
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2015 के विधानसभा में भाजपा के विधायक
रामनारायण मंडल-बांका